वह कहानी: जब कॉमेडी का तड़का लगा तो बन गई सुपरहिट फिल्म

साल 1997 में मेरी एक कहानी, “मेहमान जो हमारा होता है,” हिंदी अकादमी की त्रैमासिक पत्रिका इंद्रप्रस्थ के जनवरी-मार्च अंक में छपी थी। यह कहानी सामाजिक अलगाव के गंभीर विषय पर आधारित थी, लेकिन जब इसमें कुछ फेरबदल कर हास्य का तड़का लगाया गया, तो यह एक सुपरहिट फिल्म का मसाला बन गई।