- चन्द्र प्रकाश झा
राज कपूर का जन्म ब्रिटिश शासनकाल में, 14 दिसंबर 1924 को, उत्तर-पश्चिम फ्रंटियर प्रोविंस (अब खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान) के पेशावर नगर के किस्सा ख्वानी बाजार मोहल्ले में कपूर हवेली में हुआ। उनके पिता, प्रसिद्ध रंगमंच और फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज कपूर, ने उनका नाम सृष्टिनाथ राज कपूर रखा।
भारतीय सिनेमा के इस महानायक को फिल्मों के “शोमैन” के रूप में जाना गया, और उनकी अभिनय शैली को महान ब्रिटिश अभिनेता चार्ली चैपलिन से प्रेरित माना जाता है। उन्होंने “आवारा” (1951), “श्री 420” (1955) और “मेरा नाम जोकर” (1970) जैसी फिल्मों में चैपलिन-प्रेरित चरित्रों को जीवंत किया।
अभिनय और निर्देशन में सफर
राज कपूर ने पहली बार 10 वर्ष की उम्र में 1935 की फिल्म “इंकलाब” में अभिनय किया। उन्हें बड़ा ब्रेक 1947 में किदार शर्मा की फिल्म “नील कमल” में मिला, जिसमें उन्होंने बेगम पारा और मधुबाला के साथ काम किया। इसके बाद, 1948 में उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी आर.के. फिल्म्स की स्थापना की और “आग” फिल्म बनाई, जिसमें नरगिस, प्रेमनाथ और कामिनी कौशल ने अभिनय किया। “श्री 420” (1955) उनकी एक बड़ी सफल फिल्म रही, जो “आवारा” से भी अधिक लोकप्रिय हुई।
उनकी फिल्में न केवल भारत में, बल्कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, रूस और मध्य पूर्व सहित अन्य देशों में भी बेहद लोकप्रिय हुईं। उनकी फिल्म “आवारा” को अमेरिकी टाइम पत्रिका ने विश्व सिनेमा के शीर्ष दस महानतम प्रदर्शनों में से एक माना।
राज कपूर का निर्देशन हमेशा उत्कृष्ट रहा। उनकी फिल्म “बूट पॉलिश” (1954) और “आवारा” (1951) को कान फिल्म फेस्टिवल में नामांकित किया गया और उन्होंने ‘पल्मे डी’ पुरस्कार प्राप्त किया।
निजी जीवन
12 मई 1946 को राज कपूर ने कृष्णा मल्होत्रा से विवाह किया। उनके तीन पुत्र – रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर – और दो पुत्रियां – रितु नंदा और रीमा जैन हुईं। उनके बेटे और पोते-पोतियां भी भारतीय सिनेमा में सक्रिय रहे। रणधीर कपूर और ऋषि कपूर की बेटियां करिश्मा कपूर और करीना कपूर, और ऋषि कपूर के बेटे रणबीर कपूर भी फिल्मी दुनिया के सितारे बने।
राज कपूर का अभिनेत्री नरगिस के साथ लंबा रोमांस चला, लेकिन इसे उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया। बाद में नरगिस ने अभिनेता सुनील दत्त से विवाह किया। राज कपूर के पुत्र ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा ‘खुल्लम खुल्ला’ (2017) में इस बात की पुष्टि की।
संगीत और फिल्म निर्माण
राज कपूर का संगीत के प्रति रुझान बेहद गहरा था। शंकर-जयकिशन की जोड़ी उनकी पसंदीदा संगीतकार थी, जिन्होंने उनकी फिल्मों के लिए 20 से अधिक बार संगीत दिया। शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी जैसे गीतकारों के साथ उनकी जोड़ी ने हिंदी सिनेमा को अनगिनत यादगार गाने दिए।
उनकी फिल्मों में मुकेश और मन्ना डे की आवाज प्रमुख रही। जब मुकेश का निधन हुआ, तो राज कपूर ने कहा, “मैंने अपनी आवाज खो दी।”
प्रमुख फिल्में
राज कपूर और नरगिस की जोड़ी ने “आग” (1948), “बरसात” (1949), “आवारा” (1951), “श्री 420” (1955), और “चोरी चोरी” (1956) जैसी 16 फिल्मों में साथ काम किया। इनमें से कई फिल्में आर.के. स्टूडियो के बैनर तले बनीं।
उनकी अन्य महत्वपूर्ण फिल्में हैं:
“जिस देश में गंगा बहती है” (1960)
“संगम” (1964)
“तीसरी कसम” (1966)
“मेरा नाम जोकर” (1970)
“सत्यम शिवम सुंदरम” (1978)
“राम तेरी गंगा मैली” (1985)
राज कपूर को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले, जिनमें 1971 में पद्म भूषण और 1988 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं। उन्होंने तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर अवार्ड्स जीते। उनकी फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया।
अंतिम दिनों की यादें
अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, राज कपूर अस्थमा जैसी बीमारियों से जूझे। वह “हिना” नामक फिल्म बनाना चाहते थे, जिसे उनके निधन के बाद रणधीर कपूर और ऋषि कपूर ने पूरा किया और 1991 में रिलीज़ किया।
राज कपूर का निधन 2 जून 1988 को हुआ। लेकिन उनकी विरासत आज भी भारतीय सिनेमा में अमर है। उनके निर्देशन, अभिनय और संगीत प्रेम ने उन्हें न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में भारतीय सिनेमा का शोमैन बना दिया।
लेखक चन्द्र प्रकाश झा एक प्रमुख भारतीय पत्रकार और लेखक हैं, जो अपने गहरे विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण, समाजिक मुद्दों और राजनीति पर लेखन के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने भारतीय पत्रकारिता में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, विशेषकर उन विषयों पर चर्चा करके जो आमतौर पर मुख्यधारा मीडिया द्वारा नजरअंदाज किए जाते हैं।उनका कार्य क्षेत्र मुख्य रूप से समाज और राजनीति से जुड़े मामलों पर आधारित है। उनके लेखन में भारतीय समाज की जटिलताओं, राजनीतिक असमंजस और सामाजिक बदलावों पर गहरी नज़र डाली जाती है। उनका लेखन समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों, दलितों, आदिवासियों, और समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों को प्रमुखता से उजागर करता है।