केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के तत्वाधान में मुंबई में सिनेमा पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

– विनाेद कुमार

संगोष्ठी के दौरान डा़ रामदास तोंडे की पुस्तक ʺसाहित्य और सिनेमाʺ का लोकार्पण


तेजी से बदलते युग में ‘साहित्य और सिनेमा’ विषय पर विचार विमर्श के लिए वसई के संत गोन्सालो गार्सिया महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा एक से तीन फरवरी के दौरान तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया था। 

यह आयोजन केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिल्ली, उच्च शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में सिनेमा और साहित्य से जुडी देशभर की हस्तियों एवं शोधार्थीयों ने हिस्सा लिया। संगोष्ठी में केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी, सुप्रसिद्ध हिंदी कथाकार, कवि एवं फिल्मकार उदय प्रकाश, संगोष्ठी प्रभारी एवं केन्द्रीय हिंदी निदेशालय के सहायक निदेशक डॉ. मोहम्मद नसीम, संत गोन्सालो गार्सिया महाविद्यालय के हिन्दी विभाग अध्यक्ष डॉ. रामदास तोंडे, प्राचार्य डॉ.सोमनाथ विभूते, फिल्म लेखक विनोद विप्लव, श्री.धीरज मेश्राम, डॉ.शीतला प्रसाद दुबे, देशभर से आए प्रमुख हिन्दी विद्वान डॉ. संदीप रणभीरकर, डॉ.आशुतोष कुमार मिश्र, श्री.हार्दिक भट्ट, डॉ. मोहसिन अली खान, डॉ. अपर्णा पाटील, प्रो.बिपुल कुमार, डॉ.मुन्ना पाण्डेय, डॉ.गंगाधर चाटे, डॉ.संतोष मोटवानी, डॉ. तब्बसुम खान, प्रो.दिलीप शाक्य,डॉ. सचिन गपाट,गजल गीतकार मनजीत सिंह कोहली, कवयित्री नीता श्रीवास्तव आदि विशेषज्ञों ने साहित्य और सिनेमा के विविध पक्षों पर अपने सारगर्भित विचार रखें।


भारतभर से आए प्रध्यापकों और शोधार्थियों ने अपने सौ से अधिक शोध आलेख प्रस्तुत किए। इस संगोष्ठी का उद्देश्य ‘साहित्य और सिनेमा’ के बीच के संबंधों की पडताल करना और उन दाेनों के प्रभाव को समझना था। इस संगोष्ठी ने साहित्य और सिनेमा के क्षेत्र में अध्ययन करनेवाले विद्यार्थियों‚ शोधकर्ताओं और विशषेज्ञों को एक मंच प्रदान किया, जिसपर इस क्षेत्र में हुए शोधों और विचारों काे साझा किया जा सका।साथ ही तेजी से बदलते दौर में साहित्य और सिनेमा की दशा-दिशा और चुनाैतियों पर भी विचार विमर्श किया गया। 

इस संगोष्ठी में सोशल मीडिया के युग में साहित्य और सिनेमा, हिन्दी सिनेमा की विकासयात्रा और संभावनाएं‚ हिंदी की साहित्यिक कृतियों का फिल्म रूपांतरण‚ हिन्दी सिनेमा और क्षेत्रीय सिनेमा‚ हिंदी सिनेमा का कला एवं तकनीकी पक्ष और फिल्म समीक्षा, सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। 

संगोष्ठी का सूत्रसंचालन डॉ.लतिका पाटील ने किया और आभार डॉ.रामदास तोंडे ज्ञापित किया। संगोष्ठी की सफलता के लिए एनएसएस के स्वयंसेवक,हिंदी विभाग के छात्र और महाविद्यालय के प्रध्यापकों और कर्मचारियों ने कड़ा परिश्रम किया।