जानें क्या है हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेलियर में अंतर

– विनोद कुमार

आधुनिक समय में दिल की बीमारियों का प्रकोप बढ रहा है। आज युवा पीढी भी इन समस्याओं का शिकार हो रही है। दिल की बीमारियों एवं ह्रदय रोगाें में  कार्डियक अरेस्ट, दिल का दौरा और हार्ट फेलियर जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। ये तीनों समस्याएं भले ही एक से लगती हों‚ लेकिन इन तीनों का मतलब बिल्कुल अलग है। यही वजह है कि इन तीनों में फर्क समझना बेहद ज़रूरी है, ताकि वक्त रहते इलाज किया जा सके और व्यक्ति की जान बचाई जा सके। 


आपने अक्सर हार्ट फेलियर, कार्डियक अरेस्ट और दिल का दौरा इन शब्दों को सुना होगा. ये सभी शब्द सुनने में एक से ही लगते हैं, लेकिन इन तीनों शब्दों का मतलब बिल्कुल अलग-अलग है। इन तीनों में फर्क समझना बहुत जरूरी है, ताकि जल्द से जल्द इलाज किया जा सके और व्यक्ति की जान बचाई जा सके। इन तीनों में क्या फर्क है इस बारे में  आज हम आपको यहां बता रहे हैं।

दिल का दौरा 

जब दिल की मांसपेशियों में खून का प्रवाह ब्लॉक हो जाता है तब  किसी व्यक्ति को दिल का दौरा यानी की हार्ट अटैक आता है। ऑक्सीजन की सप्लाई न होने से दिल का वह भाग मरने लगता है। इससे नुकसान कितना ज्यादा हो सकता है इसका परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि खून का फ्लो कितनी देर तक बंद रहा। इससे होने वाला नुकसान कभी कम होता है, तो कभी घातक भी। जितनी जल्दी आप इसके बारे में जान जाएंगे, जीवित रहने के चांसेज उतने ही बढ़ जाएंगे। 

दिल के दौरा के लक्षण

सीने में दर्द होने के साथ पसीना आना। हाथ, कंधे और जबड़े में दर्द होना या फिर उनका असहज लगना। ये सभी चेतावनी के लक्षण हैं, ऐसे व्यक्ति को बिना देर किए हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए। 

कार्डियक अरेस्ट

जब दिल का धड़कना अचानक से बंद हो जाए तब व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट पड़ता है। यह किसी भी उम्र के लोगों के साथ हो सकता है। इसकी कई वजह हो सकती हैं, जिसमें हार्ट अटैक भी शामिल है। यह एक मेडिकल इमर्जेंसी होती है, जिसमें तुरंत सीपीआर (CPR)करने की जरूरत पड़ती है।

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण

कार्डियक अरेस्ट से पहले व्यक्ति को सीने में तेज दर्द और जलन होने लगती है। इसके साथ ही सांस लेने में दिक्कत और चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस होते हैं। इस दौरान पल्स और ब्लड प्रेशर एकदम से रुक जाता है। इसमें फौरन मेडिकल सहायता की जरूरत होती है। 

हार्ट फेलियर

हार्ट फेलियर एक ऐसी सिचुएशन है, जिसमें दिल कमजोर होने या उसे किसी तरह की कोई हानि पहुंचने पर, बॉडी में पर्याप्त खून और ऑक्सीजन पंप नहीं कर पाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। जिनमें हार्ट अटैक या फिर हाइपरटेंशन से होने वाला नुकसान सबसे आम है।

हार्ट फेलियर के लक्षण 

हार्ट फेलियर से जो व्यक्ति गुजर रहा होता है उसे सांस फूलना, पैरों और एड़ियों में सूजन और पेट फूलने लगता है। हार्ट फेलियर लाइलाज है, लेकिन इसके बारे में वक्त रहते पता चल जाए, तो सही ट्रीटमेंट और लाइफ स्टाइल में बेहतर चेंजेस से व्यक्ति नॉर्मल लाइफ जी सकता है।  


विटामिनों की कमी से छिन सकती है आंखों की रोशनी

– विनोद कुमार


शरीर में विटामिन ए और विटामिन बी12 की लंबे समय तक कमी आंखों की रोशनी को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है और अगर इस पर लंबे समय तक ध्यान ना दिया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है।


स्वस्थ शरीर के लिए विटामिन और मिनरल्स बेहद जरूरी हैं। विटामिन्स और मिनरल्स की मदद से ही हमारा शरीर इंफेक्शन से लड़ पाता है, साथ ही हमारी हड्डियों की मजबूती और हमारे दिमाग और हार्मोन के सही तरीके से काम करने के लिए भी विटामिन्स और मिनरल्स बेहद जरूरी हैं। बैलेंस डाइट से आमतौर पर इंसानों को सभी जरूरी विटामिन और मिनरल्स मिल जाते हैं। हमारे शरीर में 13 विटामिन्स की जरूरत होती है, जो विभिन्न फूड सोर्स से मिल जाते हैं लेकिन अगर शरीर में किसी विटामिन की लंबे समय तक कमी हो जाए तो वह शरीर के लिए घातक साबित हो सकता है। ऐसे ही दो विटामिन की कमी आँखों की रोशनी भी छीन सकते है!

विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में विटामिन ए और विटामिन बी12 की लंबे समय तक कमी आंखों की रोशनी को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है और अगर इस पर लंबे समय तक ध्यान ना दिया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। ग्लोबल हेल्थ एजेंसी के अनुसार, हर साल करीब ढाई से पांच लाख बच्चे विटामिन ए की कमी से अपनी आंखों की रोशनी को खो देते हैं। 

विटामिन बी12 दिमाग के सही तरीके से काम करने के लिए भी बेहद जरूरी है। यह विटामिन दिमाग और नर्वस सिस्टम के विकास में मदद करता है लेकिन इसकी कमी ऑप्टिक न्यूरोपैथी का कारण बन सकती है। ऐसे में हमें समय समय पर अपने शरीर की जांच कराते रहना चाहिए ताकि किसी विटामिन और मिनरल की  कमी होने पर सप्लीमेंट या खानपान की मदद से उसकी कमी को पूरा किया जा सके।