अब युवा भी बन रहे हैं हार्ट अटैक के शिकार

– विनोद कुमार

जीवन के सबसे मूल्यवान और सबसे सक्रिय अवस्था से गुजर रहे युवा भी अब दिल की बीमारियों से अछूते नहीं रहे हैं। दिल की बीमारियों के कारण अब युवाओं और स्वस्थ दिखने वाले लोगों की भी दिल के दौरे के कारण अचानक मौत होने लगी है। 




दिल के दौरे से अब केवल उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप से पीड़ित अधिक वजन के पुरुष ही पीड़ित नहीं हो रहे हैं, बल्कि अब चिकित्सकों के पास खुद पैदा किये गये जोखिम कारकों के कारण 30 से 40 वर्ष के युवा दिल के रोगी भी इलाज के लिए आ रहे हैं। 


हृदय रोग विशेषज्ञ तथा नई दिल्ली स्थित कालरा हास्पीटल एंड श्री राम कार्डियो थोरेसिक न्यूरोसाइंसेस सेंटर के निदेशक एवं प्रमुख कार्डियोलॉजिस्ट डा. आर. एन. कालरा ने युवा पीढ़ी में बढ़ती दिल की बीमारियों के मद्देनजर मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों को नियमित अंतराल पर अपना चेकअप कराने की सलाह दी। 

डा. कालरा कहते हैं कि हमारे देश में हार्ट अटैक सहित कोरोनरी हार्ट रोगों (सीएचडी) का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। इसने भारतीय आबादी में पहले नम्बर के हत्यारे के रूप का स्थान ले लिया। ऐसे में लोगों को दिल की बीमारियों के बारे में शिक्षित करना बहुत ही महत्वपूर्ण है ताकि वे इन रोगों से बचने के लिए अपने रोजमर्रे के जीवन में सुधार ला सकें तथा हृदय रोगों से मुक्त होकर स्वस्थ जीवन जी सकें। 

डा. कालरा कहते हैं, ''दिल के दौरे के 60 प्रतिशत से अधिक मामलों को सही खान-पान, व्यायाम और धूम्रपान से परहेज जैसे जीवन षैली में सुधार की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन मौजूदा समय में युवा पीढ़ी अपनी जिंदगी इस तरह से जी रही है मानो उनका कोई भविष्य नहीं है। अस्वस्थ जीवन शैली के साथ-साथ गलाकाट प्रतियोगिता के कारण होने वाला तनाव और धूम्रपान जैसे कारक युवा में दिल की बीमारी पैदा करने के लिए बिल्कुल सही कारक साबित होते हैं। युवा पीढ़ी का तेजी से हृदय रोग का शिकार होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। पहले दिल की बीमारी से पीड़ित पिता को उसके बेटे इलाज के लिए अस्पताल लेकर आते थे। लेकिन अब मुझे यह देखकर आश्चर्य होता है कि पिता दिल की बीमारी से पीड़ित अपने बेटे को इलाज कराने के लिए अस्पताल लेकर आते हैं।''

युवाओं में मुख्य तौर पर धूम्रपान की लत, कामकाज से जुड़े अथवा कामकाज से इतर कारणों से होने वाले तनाव, अस्वास्थ्यकर आहार, अपर्याप्त शारीरिक श्रम तथा अधिक नमक वाले एवं पैकेट वाले खाद्य पदार्थों के सेवन के कारण दिल के दौरे बढ़ रहे हैं। यह पाया गया है कि जो युवक दिन भर में 10 सिगरेट पीते हैं उनके दिल की समस्याएं होने की आशंका 50 फीसदी बढ़ जाती है। धूम्रपान एवं गलत खानपान से कॉलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ जाता है जिससे दिल की धड़कन 50 प्रतिशत बढ़ जाती है और रक्त चाप 30 प्रतिशत बढ़ जाता है।
डा. आर. एन. कालरा बताते हैं कि युवाओं में दिल के दौरे का खतरा तब तक नहीं घटने वाला है जब तक कि कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाएगा। आज की समस्या यह है कि हम बहुत ही स्थूल जीवन शैली को अपना रहे हैं और ऐसी जीवन शैली में बहुत अधिक शारीरिक श्रम की गुंजाइश नहीं है। आज युवा मानसिक तथा शारीरिक तौर पर बहुत ही अधिक दवाब में हैं। इस समस्या का मुख्य समाधान यह है कि हम अपनी जीवन शैली में व्यापक बदलाव लाएं और अगर ऐसा करते हैं तो इससे समय से पूर्व होने वाले दिल के दौरे को रोका जा सकता है। यह देखा गया है कि नियमित रूप से व्यायाम करने वाले लोगों को जीवन में दिल की बीमारी होने या दिल के दौरे से मौत होने की आशंका कम होती है।

युवा हमारे देश के भविष्य हैं और युवाओं के स्वास्थ्य संबंधी मसलों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। सभी बीमारियों में से कार्डियो वैस्कुलर रोग समेत गैर संचारी रोग उनके लिए सबसे बड़े खतरे हैं। आधुनिक जीवन षैली इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है। दिल के दौरे का कारण बनने वाली जीवन शैली से जुड़ी अन्य आदतों में व्यायाम नहीं करने की आदत और जंक फुड का अधिक सेवन शामिल है। इसके अलावा आज के समय में युवा लोग अपना वक्त स्मार्टफोन, टैब, कम्प्यूटर, लैपटॉप आदि के जरिए व्यतीत करते हैं जो हमारे दिल के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक है। 

डा. कालरा का सुझाव है कि लोगों को जंक फुड पर निर्भर रहने के बजाय स्वास्थ्यवर्द्धक आहार खाना चाहिए। स्वास्थ्यवर्द्धक आहार को अपनाना न केवल आसान है बल्कि यह काफी कारगर भी है। व्यस्त दिनचर्या होने के बावजूद अपनी जीवन शैली को संतुलित बनाने की कोशिश करें, अपनी प्राथमिकताओं को तय करें और उन्हें व्यवस्थित करें। आपको योग, नृत्य या अन्य तरह के व्यायाम अपनाना चाहिए। इससे आपको खुद को शारीरिक एवं मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी। 

इसके अलावा, फल एवं सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करनी चाहिए, धूम्रपान, मादक द्रव्यों एवं स्टेरॉयड से दूर रहना चाहिए तथा हर सप्ताह कम से कम पांच दिन 45 मिनट तक व्यायाम करना चाहिए, शराब का सेवन कम करना चाहिए, 6 से 7 घंटे सोना चाहिए, मधुमेह एवं रक्त चाप को काबू में रखना चाहिए तथा टेलीविजन एवं स्मार्टफोन कम देखना चाहिए। इन सब उपायों को अपनाकर दिल की बीमारियों के खतरे को 80 प्रतिषत तक कम किया जा सकता है।

जिम में बहुत अधिक वर्कआउट क्यों हो रहा है जानलेवा‚ रखें इन तरीकों का ख्याल

– विनोद कुमार

अगर आप बहुत अधिक जिम या वर्कआउट करते हैं तो आपको सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि बहुत ज्यादा वर्कआउट आपके लिए हृदय रोग का कारण बन सकता है।


मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव अभी भी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती हैं। बीते दिनों जिम में वर्कआउट करते समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, तब से वह अस्पताल में भर्ती हैं। इसके पहले भी कुछ फिल्मी कलाकारों और जानी-मानी शख्सियतों को वर्कआउट करते समय दिल का दौरा पड़ने का मामला सामने आ चुका है, जिसके कारण काफी यंग एज में कई लोगों ने अपनी जान गवां दी। ऐसे में जिम करने को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं, एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या जिम में वर्कआउट करने से हृदय से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं या इसकी कुछ और वजह है? 

जिम में वर्कआउट के दौरान हार्ट अटैक से कैसे बचें?

अगर आप जिम में वर्कआउट करते हैं तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए  बताया है कि जिम में वर्कआउट करने और अपने हृदय की रक्षा करने के लिए क्या करना चाहिए?

अगर आपकी उम्र 50 वर्ष से अधिक है और आप जिम जाना शुरु कर रहे हैं तो बेहतर होगा कि आप सबसे पहले किसी कार्डियोलॉजिस्ट से अपनी जांच करवाएं या स्ट्रेस टेस्ट करवाएं।

अगर आपको वर्कआउट करते समय सीने में दर्द है या सांस लेने में तकलीफ या हल्का सिर दर्द महसूस होता है तो आपको रुक कर अपनी फिजिशियन को दिखाना चाहिए। चिकित्सक की सलाह पर ही वर्कआउट स्टार्ट करना चाहिए।

किसी भी तरह के व्यायाम को बहुत अधिक करने से बचना चाहिए। हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए मॉडरेट एक्सरसाइज काफी अच्छा है। संतुलित तरीके से वर्कआउट करना चाहिए।

वर्कआउट के दौरान खुद को सही तरीके से हाइड्रेट रखें और भरपेट जिम जाने से बचना चाहिए।


इन पोषक तत्वों से अपनी मानसिक सेहत का रखें ख्याल‚ रहें तनाव मुक्त

– विनोद कुमार

नई दिल्ली:  आप दिन में जो खाते हैं वह आपका दिन बना या बिगाड़ सकता है। अपने मस्तिष्क को सही प्रकार के पोषक तत्वों और उच्च गुणवत्ता वाले आहार से एकाग्रता, मनोदशा और ऊर्जा के स्तर में सुधार किया जा सकता है। ज्यादातर लोग मानसिक तनाव, डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसा आमतौर पर इसलिए होता है क्योंकि दिनचर्या में इतना व्यस्त होने के कारण किसी के पास भी अपनी सेहत का ध्यान रखने का समय नहीं है।

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और शर्करा युक्त चीजें खाने से हमें ताकत मिलता है। लेकिन ये अस्थाई रूप से आपको उर्जा नहीं देते हैं। जब आप ऊर्जावान महसूस करते हैं और अपने मूड पर बेहतर नियंत्रण रखते हैं, तो आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है और आपको लगता है कि जीवन जीने लायक है। यदि आप कम महसूस कर रहे हैं और खराब मानसिक स्वास्थ्य के कगार पर हैं, तो सही भोजन विकल्प आपको बेहतर मस्तिष्क स्वास्थ्य में मदद कर सकते हैं और चिंता के लक्षणों को कम कर सकते हैं।


पोषण विशेषज्ञ लवनीत बत्रा ने अपने हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट में उन पोषक तत्वों के बारे में बात की है जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए अद्भुत हैं।

मैग्नीशियम

मैग्नीशियम एक शांत खनिज है जो तंत्रिका तंत्र को पोषण देता है और चिंता, भय, घबराहट, बेचैनी और चिड़चिड़ापन को रोकने में मदद करता है।

स्रोत: अमरनाथ के पत्ते, सूरजमुखी के बीज, अखरोट, केला, खुबानी

ओमेगा -3 फैटी एसिड

फैटी एसिड तीन प्रकार के होते हैं: एएलए, ईपीए और डीएचए। तीन में से, ईपीए चिंता से निपटने में सबसे अच्छा प्रतीत होता है।

बी विटामिन

बी विटामिन आठ अलग-अलग पोषक तत्वों का एक समूह है, विशेष रूप से बी 6, बी 9 (फोलिक एसिड) और बी 12, तंत्रिका तंत्र के उचित कार्य के लिए आवश्यक हैं और चिंता को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं।

स्रोत: मूंगफली, फलियां, पत्तेदार साग

जस्ता के निम्न स्तर, संभवतः समवर्ती ऑक्सीडेटिव तनाव से जुड़े, कम जीएबीए और ग्लूटामेट का कारण बन सकते हैं, जिसमें एक एंगोजेनिक प्रभाव होता है, और जस्ता से भरपूर खाद्य पदार्थ जीएबीए के स्तर को बढ़ाते हैं जो चिंता के लक्षणों को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

स्रोत: ऐमारैंथ, बाग-दाल के बीज, सभी दालें

विटामिन डी

बहुत से लोगों में विटामिन डी की कमी होती है या उनमें विटामिन डी का स्तर कम होता है, एक वसा में घुलनशील पोषक तत्व जो मस्तिष्क के कार्य और मनोदशा के नियमन के लिए आवश्यक है। अध्ययनों से पता चलता है कि विटामिन डी की अपर्याप्तता या कमी मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति वाले लोगों में विशेष रूप से आम है, जिसमें चिंता विकार भी शामिल हैं

स्रोत: अंडे की जर्दी, मशरूम, विटामिन डी फोर्टिफाइड फूड्स और सप्लीमेंट्स



National Workshop on Roadmap for Cancer Treatment Organised

- Vinod Kumar

24 AUG 2022, New Delhi. One-day national workshop was organized by Union Health Ministry yesterday in National Capital. Addressing the workshop, Shri Rajesh Bhushan, Union Health said , “Lessons from India’s fight against the pandemic can serve as valuable beacons in our targeted policies for prevention and treatment of Cancer. 

Any initiative related to cancer control and management cannot be implemented in silos but needs to be taken up with "whole of govt and whole of society" approach as has been our learning from management of the pandemic, since the issue is crosscutting across various government and non-government management spheres.”


 “Lessons from COVID management Valuable Beacons for our policies regarding Cancer Prevention and Treatment”

“Any initiative related to cancer control must not be implemented in silos but needs to be taken up with ‘whole of Government and whole of society’ approach”

Further elaborating, Union Health Secretary pointed that the pandemic has taught us that health is not the exclusive responsibility of only the Union Health Ministry but jointly addressed by various Ministries at the Centre and through state governments. He added that health cannot reside only at the tertiary healthcare centers, but has a huge footprint in the primary and secondary levels too. Tertiary health facilities of Ministries such as Labour, Railways, Steel, ONGC, Atomic Energy etc., can be pooled to make a significantly large and sustainable network of healthcare for an exponential impact of healthcare delivery, he noted.  Highlighting the paradigm change that the National health Mission (NHM) has recently undergone, he noted that not only primary and secondary healthcare services, but referrals with linkages to tertiary health services are being provided through a comprehensive end-to-end delivery solution.

Shri Rajesh Bhushan identified framing, sharing and adherence of evidence based common Standards of Protocols for critical care management as another learning for cancer management. These can guide the restructuring and refinement of the National Cancer Control Programme of Union Health Ministry, he noted. Capacity building of healthcare providers is required through regular training, retraining and skill enhancement for cancer care. He mentioned thatcapacity building also to be ensured with clear communication with all stakeholders and feedback procedures put in place. “We need to adapt and promote health technology and prevention and treatment of cancer such as telemedicine for improved access to care”, he stressed.  Various “Hub and Spoke” models implemented in some states such as Assam, Punjab, Andhra Pradesh,Bihar can be emulated by other states, along with detailed mapping of the facilities with the granular planning of healthcare delivery, he suggested.

 Sessions on the following topics were organized in the one-day national workshop organized by Union Health Ministry:

i.          Infrastructure and human resources for Cancer Care in India

ii.         Affordability of Cancer Care in India

iii.        Best Practices with respect to cancer care by States

iv.        Review of Ongoing Projects and its related issues

 

Ms. Roli Singh, AS & MD (NHM), Shri Vishal Chauhan, Joint Secretary (Policy), Dr Rajendra Badwe, Director, Tata Memorial Centre were also present at the event along with other senior officials from various states and medical institutes.