- मधुमेह यानी डायबिटिज् ऐसी बीमारी है जिसका असर दूसरे अंगों पर भी पड़ता है। हालांकि इस बीमारी में दूसरे अंगों में इसका असर नहीं दिखता है लेकिन अगर ब्लड में शुगर की मात्रा अधिक बढ़ जाये तो इसके कारण 5-10 साल में दूसरे अंग भी प्रभावित होने लगते हैं। इसके कारण गुर्दे में, आंखों में, पैर की नसों में कुछ खराबी आ सकती है। दिल की बीमारी के बढ़ने की संभावना सबसे अधिक रहती है। इसके कारण लकवा होने और पैर में रक्त संचार बाधित होने का खतरा अधिक रहता है। इसके कारण अगर कोई आर्टरी ब्लॉक होती है तो हार्ट अटैक हो सकता है। इसके अलावा ब्रेन में भी रक्त की सप्लाई बाधित होने से ब्रेन स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। यह स्थिति अचानक से नहीं आती है बल्कि यह 10 साल पुराने इतिहास के कारण होता है। इसके अलावा माइक्रोवैस्कुलर संबंधित समस्यायें होने लगती है, यह किडनी से संबंधित है, अगर यह हो जाये तो उपचार मुश्किल हो जाता है।
- डायबिटीज की समस्या आम हो चुकी है, भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या अधिक है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2019 में डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या लगभग 77 मिलियन थी, जो 2030 तक 101 मिलियन तक पहुंच सकती है। डायबिटीज के मरीज अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए इलाज के साथ-साथ कई तरह के घरेलू उपाय अपनाते हैं। इसी में से एक ज्यादा पानी पीना भी शामिल है।
- हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, अधिक पानी पीने से बढ़ते शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि डायबिटीज के मरीज अगर सही मात्रा में पानी सेवन करें तो वे अपने ब्लड शुगर लेवल को अधिक बढ़ने से रोक सकते हैं, जिससे बीमारी बढ़ने का खतरा कम हो जाएगा। साथ ही नियमित रूप से पानी का सेवन करने से खून में बढ़े हुए ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है, क्योंकि यूरिन के रास्ते ग्लूकोज की अधिक मात्रा बाहर निकल जाती है।
- कितनी मात्रा में करना चाहिए पानी का सेवन
- पानी पीने से डायबिटीज मरीजों को कई प्रकार के फायदे मिलते हैं। हेल्दी जीवन के साथ ही कई बीमारी भी नियमित और सही मात्रा में पानी पीने से नहीं होती है। एक स्वस्थ्य व्यक्ति को दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए। एक्सपर्ट बताते हैं कि डायबिटीज के मरीज पानी में नींबू का रस या फिर पुदीने की कुछ पत्तियां डाल कर भी पी सकते हैं।
- इन बातों का रखें ख्याल
- रात को एक कप पानी तांबे के बर्तन में रखें और सुबह खाली पेट इसे पी लें। ये ध्यान रखें कि अगर आप डायबिटीज की दवा ले रहे हैं, तो तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना अचानक ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है, लेकिन जरूरी है कि एक बार आप अपने डॉक्टर से सलाह कर लें।
ज्यादा पानी का सेवन ब्लड शुगर को करेगा कंट्रोल
जानें क्या है हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेलियर में अंतर
आपने अक्सर हार्ट फेलियर, कार्डियक अरेस्ट और दिल का दौरा इन शब्दों को सुना होगा. ये सभी शब्द सुनने में एक से ही लगते हैं, लेकिन इन तीनों शब्दों का मतलब बिल्कुल अलग-अलग है। इन तीनों में फर्क समझना बहुत जरूरी है, ताकि जल्द से जल्द इलाज किया जा सके और व्यक्ति की जान बचाई जा सके। इन तीनों में क्या फर्क है इस बारे में आज हम आपको यहां बता रहे हैं।
दिल का दौरा
जब दिल की मांसपेशियों में खून का प्रवाह ब्लॉक हो जाता है तब किसी व्यक्ति को दिल का दौरा यानी की हार्ट अटैक आता है। ऑक्सीजन की सप्लाई न होने से दिल का वह भाग मरने लगता है। इससे नुकसान कितना ज्यादा हो सकता है इसका परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि खून का फ्लो कितनी देर तक बंद रहा। इससे होने वाला नुकसान कभी कम होता है, तो कभी घातक भी। जितनी जल्दी आप इसके बारे में जान जाएंगे, जीवित रहने के चांसेज उतने ही बढ़ जाएंगे।
दिल के दौरा के लक्षण
सीने में दर्द होने के साथ पसीना आना। हाथ, कंधे और जबड़े में दर्द होना या फिर उनका असहज लगना। ये सभी चेतावनी के लक्षण हैं, ऐसे व्यक्ति को बिना देर किए हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए।
कार्डियक अरेस्ट
जब दिल का धड़कना अचानक से बंद हो जाए तब व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट पड़ता है। यह किसी भी उम्र के लोगों के साथ हो सकता है। इसकी कई वजह हो सकती हैं, जिसमें हार्ट अटैक भी शामिल है। यह एक मेडिकल इमर्जेंसी होती है, जिसमें तुरंत सीपीआर (CPR)करने की जरूरत पड़ती है।
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
कार्डियक अरेस्ट से पहले व्यक्ति को सीने में तेज दर्द और जलन होने लगती है। इसके साथ ही सांस लेने में दिक्कत और चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस होते हैं। इस दौरान पल्स और ब्लड प्रेशर एकदम से रुक जाता है। इसमें फौरन मेडिकल सहायता की जरूरत होती है।
हार्ट फेलियर
हार्ट फेलियर एक ऐसी सिचुएशन है, जिसमें दिल कमजोर होने या उसे किसी तरह की कोई हानि पहुंचने पर, बॉडी में पर्याप्त खून और ऑक्सीजन पंप नहीं कर पाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। जिनमें हार्ट अटैक या फिर हाइपरटेंशन से होने वाला नुकसान सबसे आम है।
हार्ट फेलियर के लक्षण
हार्ट फेलियर से जो व्यक्ति गुजर रहा होता है उसे सांस फूलना, पैरों और एड़ियों में सूजन और पेट फूलने लगता है। हार्ट फेलियर लाइलाज है, लेकिन इसके बारे में वक्त रहते पता चल जाए, तो सही ट्रीटमेंट और लाइफ स्टाइल में बेहतर चेंजेस से व्यक्ति नॉर्मल लाइफ जी सकता है।
विटामिनों की कमी से छिन सकती है आंखों की रोशनी
स्वस्थ शरीर के लिए विटामिन और मिनरल्स बेहद जरूरी हैं। विटामिन्स और मिनरल्स की मदद से ही हमारा शरीर इंफेक्शन से लड़ पाता है, साथ ही हमारी हड्डियों की मजबूती और हमारे दिमाग और हार्मोन के सही तरीके से काम करने के लिए भी विटामिन्स और मिनरल्स बेहद जरूरी हैं। बैलेंस डाइट से आमतौर पर इंसानों को सभी जरूरी विटामिन और मिनरल्स मिल जाते हैं। हमारे शरीर में 13 विटामिन्स की जरूरत होती है, जो विभिन्न फूड सोर्स से मिल जाते हैं लेकिन अगर शरीर में किसी विटामिन की लंबे समय तक कमी हो जाए तो वह शरीर के लिए घातक साबित हो सकता है। ऐसे ही दो विटामिन की कमी आँखों की रोशनी भी छीन सकते है!
विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में विटामिन ए और विटामिन बी12 की लंबे समय तक कमी आंखों की रोशनी को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है और अगर इस पर लंबे समय तक ध्यान ना दिया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। ग्लोबल हेल्थ एजेंसी के अनुसार, हर साल करीब ढाई से पांच लाख बच्चे विटामिन ए की कमी से अपनी आंखों की रोशनी को खो देते हैं।
विटामिन बी12 दिमाग के सही तरीके से काम करने के लिए भी बेहद जरूरी है। यह विटामिन दिमाग और नर्वस सिस्टम के विकास में मदद करता है लेकिन इसकी कमी ऑप्टिक न्यूरोपैथी का कारण बन सकती है। ऐसे में हमें समय समय पर अपने शरीर की जांच कराते रहना चाहिए ताकि किसी विटामिन और मिनरल की कमी होने पर सप्लीमेंट या खानपान की मदद से उसकी कमी को पूरा किया जा सके।
केंद्र सरकार ने केरल में मंकी पॉक्स के प्रकोप की जांच करने के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ दल भेजा
– विनोद कुमार
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने केरल के कोल्लम जिले में मंकी पॉक्स के पुष्ट मामले के मद्देनजर सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को स्थापित करने में राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ सहयोग करने के लिए केरल में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ दल भेजा है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने केरल के कोल्लम जिले में मंकी पॉक्स की पुष्टि हुई।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को स्थापित करने में राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ सहयोग करने के लिए केरल में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ दल भेजा है।
केरल भेजे गए केंद्रीय दल में नई दिल्ली के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के विशेषज्ञ और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के साथ-साथ क्षेत्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण कार्यालय, केरल के विशेषज्ञ शामिल हैं।
केंद्रीय दल राज्य के स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर काम करेगा और जमीनी स्थिति का जायजा लेगा तथा आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल की सिफारिश करेगा। केंद्र सरकार स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी करके मंकी पॉक्स बीमारी के प्रकोप की ऐसी किसी भी संभावना के मामले में राज्यों के साथ समन्वय करके सक्रिय कदम उठा रही है।
दुनियाभर में मंकी पॉक्स के मामले बढ़ने के बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यों से कहा कि इस संक्रमण के खिलाफ भारत की तैयारियों के तहत देश में प्रवेश के सभी बिंदुओं पर तथा समुदायों में सभी संदिग्ध मामलों की स्क्रीनिंग और जांच कराई जाए। केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मंकी पॉक्स के किसी भी संदिग्ध या पुष्ट मामले के प्रबंधन के लिए पर्याप्त मानव संसाधन सुनिश्चित करने, साजो-सामान संबंधी समर्थन के साथ अस्पतालों को चिह्नित करने को कहा है।
आपको बता दें कि मंकीपाक्स वायरस एक मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। 1958 में यह पहली बार शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। इस वायरस का पहला मामला 1970 में रिपोर्ट किया गया है। मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों (tropical rainforest area) में यह रोग में होता है।
कैसे फैलता है संक्रमण-
मंकीपाक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ऐसे में लोगों को शारीरिक संपर्क से बचाव रखना चाहिए।
संक्रमित व्यक्ति या किसी व्यक्ति में पंकीपाक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।
संक्रमित व्यक्ति को इलाज पूरा होने तक खुद को आइसोलेट रखना चाहिए।
मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से भी हो सकता है।
क्या है मंकीपाक्स का इलाज
मंकीपाक्स का कोई इलाज नहीं है। लेकिन चेचक का टीका मंकीपाक्स को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है। मंकीपाक्स को यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला वायरस बताया है।
मंकीपाक्स का लक्षण -
बार-बार तेज बुखार आना।
पीठ और मांसपेशियों में दर्द।
त्वचा पर दानें और चकते पड़ना।
खुजली की समस्या होना।
शरीर में सामान्य रूप से सुस्ती आना।
मंकीपाक्स वायरस की शुरुआत चेहरे से होती है।
संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिन तक रहता है।
चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस होना।
गला खराब होना और बार-बार खांसी आना।
ध्यान दें!
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 193.53 करोड़ से अधिक टीके प्रदान किये
– विनोद कुमार
- राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के पास कोविड-19 टीके की उपलब्धता
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पास अभी भी 9.70 करोड़ से अधिक अतिरिक्त और बिना इस्तेमाल हुई खुराकें मौजूद हैं
15 जुलाईए 2022 केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा विस्तृत करने और लोगों को टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है।
राष्ट्रव्यापी कोविड 19 टीकाकरण अभियान 16 जनवरी,2021 को प्रांरभ हुआ था। कोविड-19 के टीके को सभी के लिए उपलब्ध कराने के लिए नया चरण 21 जून 2021 से शुरू किया गया था। टीकाकरण अभियान की रफ्तार को अधिक से अधिक टीके की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया है।
इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को टीके की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की जाती है, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड टीके प्रदान करके उन्हें पूर्ण सहयोग दे रही है। टीके की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार टीका निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क प्रदान करेगी।
सर्कार द्वारा ये पुष्टि हुई है की अभी तक कुल 1,93,53,58,865 वाक्सिन्स की पूर्ति हो चुकी है और 9,70,62,185 टीके शेष हैं अभी।
केंद्र सरकार द्वारा अब तक निःशुल्क और सीधे राज्य सरकार खरीद माध्यमों से टीके की लगभग 193.53 करोड़ (1,93,53,58,865) खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराई गई हैं। अभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास कोविड-19 टीके की 9.70 करोड़ (9,70,62,185) से अधिक अतिरिक्त और बिना इस्तेमाल हुई खुराकें उपलब्ध है, जिन्हें लगाया जाना है।