दिव्यांगों की प्रतिभा को बढ़ावा देने पर अधिक से अधिक दिव्यांग समाज के भावी कर्णधार बन सकते हैं

विनोद कुमार‚ हेल्थ रिपोर्टर


शिक्षा का अधिकार एक सार्वभौमिक अधिकार है, जो दिव्यांग लोगों सहित सभी को मिलना चाहिए। अगर दिव्यांगों को शिक्षा का अधिकार प्रदान किया जाए और सही तरीके से उनका पालन-पोषण किया जाए, तो अधिक से अधिक दिव्यांग समाज मे भावी कर्णधार के रूप में उभर सकते हैं और समाज में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस (आईडीपीडी) के अवसर पर एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा में पैनलिस्टों ने यह बात कही।

एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज ऑफ इंडिया ने हाल ही में एक पैनल चर्चा आयोजित किया जिसका विषय था : "कोविड–19 के बाद की समावेशी, सुलभ और टिकाऊ दुनिया में दिव्यांग लोगों का नेतृत्व और भागीदारी।" कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए, एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज ऑफ इंडिया के फेसबुक पेज के माध्यम से यह पैनल चर्चा ऑनलाइन आयोजित की गई थी।


इस पैनल चर्चा में भाग लेने वाले मुख्य पैनलिस्टों में भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के विकलांगता विभाग की ब्रांड एंबेसडर सुश्री इरा सिंघल, राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) और पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शारीरिक दिव्यांगजन संस्थान (पीडीयू-एनआईपीपीडी) के निदेशक डॉ हिमांगशु दास और भारत के स्पेशल एडुकेटर जयंती नारायण शामिल थे, जो वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थम्प्टन, यूके में एक विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर हैं।

भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के विकलांगता विभाग की ब्रांड एंबेसडर सुश्री इरा सिंघल ने कहा, "लोग केवल अपनी अक्षमताओं को लेकर परेशान नहीं होते हैं, बल्कि वे अपनी क्षमताओं के सही इस्तेमाल न होने को लेकर भी परेशान रहते हैं, इसलिए हमें उनकी क्षमताओं पर ध्यान देने और यह याद रखने की आवश्यकता है कि विकलांगता से ऐसे लोगों को परिभाषित नहीं किया जा सकता है।ʺ सुश्री सिंघल ने खुद ही अपना उदाहरण पेश किया है और साबित किया है कि दिव्यांग लोगों के लिए कुछ भी हासिल करना असंभव नहीं है। सुश्री सिंघल प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में शीर्ष पर पहुंचने वाली भारत की पहली दिव्यांग हैं। वह महिला और बाल विकास मंत्रालय और नीति आयोग की ब्रांड एंबेसडर भी हैं और भारतीय चुनाव आयोग के लिए सुगम चुनाव के लिए राष्ट्रीय पैनल में हैं।

सुश्री सिंघल ने दिव्यांग लोगों को याद दिलाया कि उनके पास प्रतिभा है और उन्हें अपनी अक्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अपनी प्रतिभा को निखारने पर ध्यान देना चाहिए। "याद रखें कि दुनिया आपको वैसे ही देखेगी जैसे आप खुद को देखते हैं। अगर आप अपनी क्षमता और काबिलियत को देखेंगे तो दुनिया यही देखेगी, लेकिन अगर आप अपनी अक्षमताओं को देखेंगे तो दुनिया आपको एक दिव्यांग के रूप में देखेगी।

राष्ट्रीय बहु दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीएमडी, चेन्नई) के निदेशक डॉ. हिमांगशु दास ने कहा कि भारत में दिव्यांग लोगों की अधिक समावेशिता पर सरकार के ध्यान को देखते हुए कोविड के बाद की दुनिया में समाज के सभी वर्गों के दिव्यांग लोगों की अधिक नेतृत्व और भागीदारी देखने को मिलेगी। डॉ. दास ने कहा “दिव्यांग लोगों के अधिकार (आरपीडब्ल्युडी) अधिनियम, 2016 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की केंद्र और राज्य सरकारों दोनों द्वारा गंभीरता से निगरानी की जा रही है। आरक्षण, नीतियों, योजनाओं और कानूनी उपायों के अधिक सक्रिय, दिव्यांगों के अनुकूल और समावेश आधारित होने के साथ, हम दिव्यांग लोगों की बहुत अधिक भागीदारी देखेंगे। ”

डॉ. जयंती नारायण ने कहा “विशेष आवश्यकता वाले लोगों को भी शिक्षा का अधिकार है। उन तक पहुंचें और उन्हें शिक्षित करें! उन्हें महान लीडर के रूप में बढ़ते हुए और हमारे समाज के सदस्यों का योगदान करते हुए देखें।”

एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज ऑफ इंडिया के महासचिव श्री सुमंत कर ने कहा, “महामारी ने हमारे जीवन में विशेष रूप से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के जीवन में कहर ढाया है। ऐसे बच्चों को फिजियोथेरेपी और अन्य उपचारों की आवश्यकता होती है जिसके लिए हम बाहरी विशेषज्ञों को नियुक्त करते हैं। चूंकि, हमने बाहरी लोगों को विलेज जाने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था, इसलिए हमने प्रोफेशनलों के द्वारा ऑनलाइन सत्रों की सहायता से बुनियादी चिकित्सीय उपचार करने के लिए तुरंत एसओएस मदर और सहकर्मियों को प्रशिक्षित किया। हमने विशेष आवश्यकता वाले अपने बच्चों को भी विभिन्न प्रतियोगिताओं में नामांकित किया है जिससे उन्हें अपने कौशल को बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसे बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता लाएं और एक बेहतर समाज के विकास और निर्माण के लिए हमें इसमें शामिल करने की आवश्यकता है।"

अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस (आईडीपीडी) की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव की सिफारिश के माध्यम से 1992 में की गई थी। समाज और विकास के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग लोगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देने और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में दिव्यांग लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के विचार के साथ यह हर साल 3 दिसंबर को मनाया जाता है। 

Snakebite caused disability is a major concern; India needs a new health policy to prevent this



- Vinod Kumar, Health Reporter 

Globally 4 people get disabled every 5 minutes  due to snakebites which kills nearly 58,000 people in India annually
 
Snakebite can produce multiple disabilities of  various organ systems including acute kidney injury and blindness
 
Disability not being addressed as part of the snakebite agenda in any country of the world, says expert from WHO

 

Every year in India snakebites cause long-lasting disabilities in four out of five people every five minutes, causing a huge disease burden that often gets underestimated and neglected. But, today Minister of State for Social Justice and Empowerment Shri Ramdas Athawale highlighted the need for a new health policy to tackle the rarely notifiable condition.

 

Union Minister, Public health experts, policymakers and administrators have gathered at a policy roundtable on Snakebite & Disability, organised by the leading health awareness institution Integrated Health & Wellbeing (IHW) Council and powered by BSV, to underline the requirement of spreading awareness on means to prevent disability caused due to snakebite on the occasion of the International Day of Persons with Disability. 

 

“Today many administrators and leaders have gathered here to discuss a pertinent issue of disability due to snakebite. I am grateful that IHW has invited me to be a part of this event. Due to snakebite, many people die across the world. From 2000 to 2019 1.2 million people died due to the snakebite, whereas, in India approximately 58,000 people die every year due to snakebite. This grave issue needs special emphasis from the government. New technologies need to be invented to deal with it. Local people, who take out the venom, should be encouraged. A new policy should be made to deal with this health crisis due to the snakebite,” said Shri Ramdas Athawale, Minister of State for Social Justice and Empowerment, Government of India.

 


Ms. Urvashi Prasad, Director, DMEO, Niti Aayog outlined the need for strengthening the infrastructure of the primary healthcare centres, which are the first point of contact in such cases.

 

“A whole public health approach becomes very important, as much as we look at the healthcare side of the medical facility services we provide. We need to put our emphasis on primary care. We need to strengthen our infrastructure part and not just the physical infrastructure but actually the human resource capabilities that we have. We also need to involve the local leaders traditionally to amplify our messaging against disabilities due to the snakebite,” Prasad said.

 

“From the policy perspective, it's very important to consult very widely with those who are affected and try to get the disability community, so that they can achieve better outcomes for the people who need help. Disability is not being addressed as part of the snakebite agenda in any country of the world. We need to recognize the fact that disability is perhaps the more important outcome in snakebite envenoming than death itself,” said Dr David Williams, Technical Officer (Antivenoms) vaccines, WHO.

 

However, Mr Chetan Raj Singh, Vice President-Critical Care & Emergency Medical, Bharat Serums & Vaccines Limited said there is no dearth of anti-venom medicines in India but the trained doctors. If you look in India, we are very lucky that we have five anti-venom manufacturing companies. So, there is no dearth of anti-venoms. People are not dying because they did not have access to anti-venom. It's not about the efforts that we are doing, or BSV as a company is making. We may have a lot of energy and motivation to do so, but unless these things are not backed by the policymakers, government programs, health programs at the state level, no awareness can happen. Doctors at the community health centers, and the primary health centers need to be trained.”

 

Highlighting the lesser-known chronic aspects of disability due to snakebite, Dr. Maya Gopal krishnan, Assistant Professor, Department of Medicine, AIIMS, Jodhpur said, “Prevention of disabilities is more important and trying to address these disabilities is more difficult. One of the greatest prevention of disabilities would be timely administration of activities. And the best part is, it does not require huge resources or diagnostic support at the level of a primary care center. You do not need to do all the calculations of all the tests. The patients simply need a blood clotting test. Snakebite can produce multiple disabilities of various organ systems. These kinds of disabilities can lead to kidney disease. Around 25 to 30% are going through acute kidney injury besides blindness.”

 

Health Problems Due To Work From Home Amid Pandemic + Vital Tips To Stay Fit

Dr. Tushar Rane, Internal Medicine Expert, Apollo Spectra Hospital Mumbai


It has been over a year and the world still continues to fight Coronavirus. Now, India is in the middle of the second wave and people are still working from home. Though, work from home is a dream turned into reality. After all, you will be able to do things at your pace. But, as said, every coin has two sides; your work from home can be a bane for you. The erratic schedule and long working hours can take a toll on you. Here are some foolproof tricks to stay fit and fine while working from home.

You may have rejoiced when your HR told you that you need to work from home during these unprecedented times Finally, you got to do what you always wanted to. Work from home sounded fun as no more getting up early, traveling for long hours, attending meetings physically, or no burnouts. We have to admit that the first few months were fine but now after a year, our outlook has changed. Work from home has made us lazy and we are prone to stress and many health issues. There are many people who have noticed changes in their physical and mental health. You may end up feeling more anxious than what you felt in the workplace. Below are some of the issues that crop up owing to work from home.

·   Musculoskeletal pain in the muscles, bones, ligaments, tendons, and nerves: People will have back and neck pain from a not so right desk set-up, unsupportive chair, or just long hours sitting down is a common problem among those working from home as in the office there is a proper desk setup. Do not sit on the bed or the couch. Use a good chair that keeps your posture intact.

·  Eye strain: Since you are glued to your laptops or computers then you will encounter eye problems such as blurry vision, eye irritation, or itchy eyes. You may also experience a headache due to the constant usage of gadgets. Eye muscles will contract when you look close and they tend to relax when you look away. Even blue light from the gadget can disturb your vision.

·   Temporary hearing loss: You will be required to attend meetings online via video calls or phone calls. But, you will have to keep your ears safe while getting used to this new normal. If you are using earphones then try to keep the volume at a safe level or you may encounter noise-induced hearing loss.

·   Loneliness: Being confined to your work station at home can lead to feelings of depression, stress, anxiety and sadness. You may also suffer from burnout due to work for longer hours.

  • Weight gain: Sitting in one place for a long time can make you pile up those excess kilos. Avoid binge and emotional eating. Obesity in turn is one of the risk factors for Heart Disease and a precursor to Diabetes

·  Insufficient sleep: The hectic schedule and excessive gadget usage can make you a night owl.  Insufficient sleep will rob your peace of mind and will make it difficult for you to concentrate and function properly.

Tips to stay in top shape while working from home

·  Exercise every day without fail. You can do activities like aerobics, cycling in the building premises, walking at home, yoga, pranayama, and meditation to stay stress-free and get rid of depression.

·  To combat loneliness, try to open up about your feelings with your family and friends. Spend some quality time with your family. Stick to the working hours and spend some ME time to rejuvenate.

·  Eat mindfully and avoid overeating. Try to eat fruits, vegetables, nuts, seeds, legumes, pulses, and whole grains. Do not have carbonated drinks, alcohol, or too much caffeine. Say No smoking, spicy, oily, and junk food. This will help you to maintain an optimum weight.

·   Use a good chair and maintain a proper posture while working from home. Stand up from time to time to combat back pain. Stretch frequently and limit the usage of the gadgets and create gadget-free zones at home or opt for a digital detox to bid adieu to the text neck syndrome or carpal tunnel syndrome.

·  To avoid hearing problems, lower the sound of the gadget and avoid long-time usage of the phone.

·  Try to take a break after every 20 minutes and focus on an object that's kept 20 feet away from you till 20 seconds use an anti-glare screen for the monitor and blink often to avoid dry eyes.

·   Sleep peacefully for at least 8 hours and you will be active and fresh.