रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस के मरीज अधिक सर्तकता बरतें

कोरोनावायरस (कोविड -19) के मौजूदा प्रकोप के मद्देनजर आर्थोपेडिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने रह्युमेटाॅयड आर्थराइटिस (गठिया) के मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी है क्योंकि गठिया जैसे रह्युमेटिक रोगों से ग्रस्त लोगों में संक्रमण होने और अधिक गंभीर संक्रमण होने का अधिक खतरा होता है। 
नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन एवं आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन (एसीएफ) के अध्यक्ष डा. (प्रो.) राजू वैश्य ने आज बताया कि गठिया जैसी रह्यूमेटोलाॅजी से संबंधित बीमारियों के जो मरीज हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन या अन्य स्टेराॅयड, बाॅयोलाॅजिक्स या जैनुस किनासे (जेएके) इनहिबिटर्स जैसी दवाइयां ले रहे हैं उनमें रोग प्रतिरोधक (इम्युन) क्षमता कम हो जाती है। इन दवाइयों का उपयोग जोड़ों में दर्द एवं सूजन को कम करने के लिए होता है। यही नहीं, जिन मरीजों में रह्युमेटाॅयड रोग का समुचित तरीके से नियंत्रण नहीं किया गया है उनमें भी संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम होती है और साथ ही साथ उनमें रह्युमेटाॅयड आर्थराइटिस की सभी तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।



नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन एवं आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन (एसीएफ) के अध्यक्ष डा. (प्रो.) राजू वैश्य ने आज बताया कि  अगर रह्युमेटाॅयड के मरीजों में अचानक ही स्टेराॅयड की खुराक कम कर दी जाए या बंद कर दी जाए तो यह उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में मरीजों को चिकित्सक से समुचित परामर्श करना चाहिए और अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए चिकित्सक की सलाह का पालन करना चाहिए।


Dr. (Prof.) Raju Vaishya


डा. (प्रो.) राजू वैश्य, अध्यक्ष, आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन (एसीएफ) 


अमरीका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र (सीडीसी) के अनुसार प्राप्त आकडों के अनुसार अनेक देषों में कोविड - 19 के कारण अस्पताल में भर्ती होेने वाले मरीजों को क्लोरोक्वीन या हाइड्रोसी क्लोरोक्वीन दिया जा रहा है। ब्रिटेन के नेशनल रह्युमेटाॅयड आर्थराइटिस सोसायटी (नार्स) के अनुसार हालांकि क्लोरोक्वीन एवं हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन काफी हद तक सुरक्षित हैं लेकिन लंबे समय इन दवाइयों के सेवन के कारण लीवर एवं किडनी के मरीजों में कार्डिएक विषाक्तता के दुष्प्रभाव तथा रोग प्रतिरक्षण क्षमता में कमी जैसी समस्याएं प्रकट हुई हैं। इसके अलावा अभी तक कोरोनावायरस के संक्रमण भी प्रकट हुए हैं। इसके अलावा अभी तक ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले हैं जिसके आधार पर कोरोनावायरास के संक्रमण के उपचार के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के उपयोग, उसकी खुराक की मात्रा और अवधि के बारे में कोई दिशा निर्देशा दिया जा सके। इसके अलावा कोविड-19 के उपचार के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की समुचित खुराक एवं अवधि के बारे में कोई भी वैज्ञानिक आंकड़ा नहीं है।
गौरतलब है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन एवं क्लोरोक्वीन का उपयोग मलेरिया एवं रह्युमेटाॅयड आर्थराइटिस जैसी सूजन पैदा करने वाली कुछ बीमारियों में होता रहा है। इस समय कोरोना वायरस के इलाज में क्लोरोक्वीन एवं हाइड्राक्सी क्लोरोक्वीन का उपयोग हो रहा है और इन दवाइयों की कीमतों में कई गुना बढ़ोतरी होने की भी खबर है।
डा. (प्रो.) राजू वैश्य ने कहा कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है और इसके कई दुष्प्रभाव होते हैं जिनमें मतली, पेट में एंठन और डायरिया आदि शामिल हैं। इसकेे गंभीर दुष्प्रभावों में आंखों पर प्रभाव (रेटिनोपैथी) और हृदय पर प्रभाव शामिल है। हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का दुष्प्रभाव बच्चों पर भी देखा गया है इसलिए मौजूदा समय में कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज एवं रोकथाम के लिए किसी को भी चिकित्सक के परामर्श के बिना हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का उपयोग नहीं करना चाहिए। 


बच्चों को कोरानावायरस के संक्रमण से दूर रखने के लिए स्कूल दे रहे हैं टिप्स


नोवेल कोरोनावायरस के प्रकोप को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन किया गया हैै। प्रधानमंत्री ने लोगों को इस दौरान घर में ही रहने की सलाह दी है। ऐसे में माता—पिता के सामने दोहरी चुनौती है कि उन्हें खुद को बाहर निकलने से रोकना है और साथ ही साथ अपने बच्चों को घर में ही रहने के लिए समझाना है।
स्कूल बंद होने पर बच्चे चाहते हैं कि वे घर के बाहर जाकर दोस्तों के साथ मस्ती करें। उन्हें यह देखकर अजीब लग सकता है कि जब स्कूल बंद है तो उन्हें खेलने के लिए घर से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है या मम्मी – पापा उन्हें लेकर घूमने के लिए बाहर नहीं जा रहे हैं। अगर बच्चे बाहर खेलने जाने की जिद करें और माता-पिता उन्हें बाहर जाने से मना करें तो वे गुस्से में आ जाते हैं। ऐसे में बच्चों को प्यार से समझाना जरूरी है।
माता—पिता इस समस्या का सामना कैसे करें इसके लिए स्थित द विजडम ट्री स्कूल की ओर से माता—पिता को वाट्सअप और सोशल मीडिया के जरिए वीडियो एवं अन्य जानकारियां भेजकर उन्हें समझा रहा है।
इस पहल को शुरू करने वाले स्कूल नौएडा स्थित द विजडम ट्री स्कूल के अध्यक्ष के के श्रीवास्ता ने इस मौके पर कहा कि हालांकि आज सबके सामने खासकर माता—पिता के सामने मुश्किल वक्त है लेकिन इस वक्त का लाभ उठाकर माता—पिता बच्चों को ड्राइंग बनाने, घर के समान से खिलौने और मॉडल बनाने, डांस — म्यूजिक सिखने, अच्छी किताबें पढ़ाने आदि वैसे काम में वयस्त रख सकते हैं जिनसे बच्चों का कुछ सीखें भी और उनका मनोरंजन भी हो।


श्री के के श्रीवास्तव ने उम्मीद जताई की लाकडाउन की अवधि पूरा होने तक देश में सबकुछ सामान्य हो जाएगा। यह धैय और संयम रखने का समय है। 


द विजडम ट्री स्कूल की प्रिसिपल सुनीता ए शाही ने माता—पिता को यह भी सलाह दी है कि बच्चों को घर से बाहर जाने से रोकने के लिए उनके मन में कोरोना वायरस को लेकर अतिरिक्त भय पैदा नहीं करें बल्कि उन्हें सही जानकारी दें। बच्चे को कोरोना वायरस के खतरों के बारे में आसान शब्दों में प्यार से बताएं कि वायरस कैसे फैलता है और इसके खतरे को कैसे कम कर सकते हैं जैसे कि हाथ धोते हुए उन्हें ढेर सारे बुलबुले दिखाएं। कोरोना वायरस के बारे में बच्चे को बताना जब पूरा हो जाए तो उनसे तुरंत किसी ऐसे टॉपिक पर बात शुरू कर दें जो हल्का-फुल्का हो। बच्चों के साथ ये सभी बातें मुस्कुराहट और हंसी.मजाक के साथ करनी चाहिए या जितना हो सके बातचीत को हल्का रखना चाहिए। इसके अलावा बच्चों को घर पर ही मनोरंजक गतिविधियों एवं घर पर खेले जाने वाले खेलकृकूद में व्यस्त रखें ताकि वे घर से बाहर जाने के बारे में सोचें ही नहीं।


उन्होंने माता-पिता को सलाह दी कि माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को किसी भी संक्रमित व्यक्ति के आस-पास नहीं जाने दें। खांसी-जुकाम और बुखार से पीड़ित लोगों से उन्हें दूर रखें। इसके अलावा माता-पिता को चाहिए कि अपने घर को स्वच्छ रखें और अगर समय हो तो सुबह-शाम पूरे घर को और आसपास की जगह को कीटाणुनाशक से साफ करें। बच्चों के खिलौन भी कीटाणुनाशक से साफ करें। उनके नाखूनों को भी साफ रखें क्योंकि उसमें छिपे वायरस बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बच्चों को साबुन-पानी से लगातार हाथ धोना सिखाएं।