सर्दियों में सर्दी—जुकाम से कैसे बचें

सुप्रसिद्ध श्वसन विशेषज्ञ एवं नौएडा स्थित मेट्रो सेंटर फॉर रेसपाइरेट्री डिजीजेज के प्रमुख डॉ. दीपक तलवार बताते हैं कि तापमान में गिरावट के कारण बच्चे खास तौर पर प्रभावित हो सकते हैं और उनमें टांसिलाइटिस, गले में सूजन, सांस लेने में दिक्कत, बुखार, जुकाम और नाक से पानी आने जैसी समस्याएं आमतौर पर हो सकती हैं


डॉ. दीपक तलवार बताते हैं कि हर साल हम लोग सामान्य मौसम के मुकाबले ठंड के मौसम में तीन गुना अधिक फ्लू के मामले देखते हैं। उनके अनुसार तापमान कम होने और आर्द्रता के कारण फ्लू के वायरस अधिक आसानी से फैल रहे हैं। इसलिए इंफ्लुएंजा के मामलों में 15-20 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है। सर्दियों में बरती जाने वाली सावधानियां : 
• खाने में नमक का प्रयोग कम करें
• व्यायाम नियमित रूप से करें। ध्यान रखना चाहिए कि वातावरण अधिक ठंडा न हो। बाहर ठंड ज्यादा होने पर घर के अंदर ही व्यायाम करें
• संतुलित भोजन लें। ज्यादा तेल-घी वाली चीजों से बचें
• डॉक्टर की सलाह से दवाइयों का सेवन करते रहें। डॉक्टर की सलाह से शाम को दवा लेकर सुबह होनेवाले खतरे को कम किया जा सकता हैहृदय रोग से बचने के लिए ब्लड प्रेशर, शुगर व कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच कराएंबादाम और पिस्ते का सेवन हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है। ग्रीन टी का सेवन भी उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। फिर भी कोई असुविधा महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 
• तनाव को अपने ऊपर हावी न होने दें
• शरीर की सक्रियता को बनाए रखें यानी अपने शरीर का वजन न बढ़ने दें
• मौसमी फल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं। पानी का सेवन भरपूर मात्रा में करें। 
• दोस्तों, जीवनसाथी और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताएं। • यदि ठंड में बाहर निकलें तो अच्छी तरह से गर्म कपड़े पहनकर, सिर में टोपी और गले में स्कार्फ आदि लगाकर निकलें। 
• ज्यादा फैट वाली चीजें खाना और सिगरेट, शराब आदि का सेवन बिल्कुल बंद कर दें
• गुनगुनी धूप का आनंद लें लेकिन सिर को अधिक तपने ना दें
• अधिक ठंड बढ़ने पर आग या ताप से सिकाई करें, मगर कुछ दूरी से


सर्दियों में बढ़ सकता है दिल के दौरे का खतरा 

मौसम ने करवट लेना शुरू कर दिया है और सर्दियों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। दिवाली के बाद से तापमान में गिरावट होने से हालांकि गर्मी से छुटकारा मिल गया है लेकिन इसके साथ ही वायरल संक्रमणों, सर्दी-जुकाम, श्वसन समस्या, दमा, फेफडे और हृदय की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।


आने वाले समय में पिछले साल की तुलना में अधिक ठंड पड़ने की आशंका जतायी जा रही है और ऐसे में विशेषज्ञों ने दमा एवं दिल के मरीजों को अधिक सावधानी बरतने की सलाह दी है।


प्रमुख हृदय रोग चिकित्सक डॉ. पुरूषोत्तम लाल कहते हैं कि सर्दियों में हृदय और उच्च रक्त चाप के मरीजों को सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि गर्मियों के मुकाबले सर्दी के मौसम में दिल के दौरे तथा स्ट्रोक से होने वाली मौत के मामले 26 से 36 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। डॉ. परूषोत्तम लाल ने बताया कि बच्चों तथा फेफडे, दमा, मधुमेह, आर्थराइटिस और हृदय रोगों से प्रभावित बुजुर्गों के लिए अत्यधिक ठंड खतरनाक साबित हो सकती है। उनके अनुसार जाड़े में छाती में दर्द अथवा भारीपन और सांस लेने में दिक्कत जैसी शिकायतें लेकर उनके अस्पताल आने वाले मरीजों की संख्या में 30 प्रतिशत तक का इजाफा हो जाता है


दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में कार्यरत मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पीटल्स के चैयरमैन डॉ. पुरुषोत्तम लाल के अनुसार ठंड के कारण उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा काफी बढ़ जाता हैजाड़े के दिनों में अधिक खाना, शराब का अधिक सेवन और अधिक तनाव हृदय रोगों को आमंत्रण देते हैं।


डॉ. पुरूषोत्तम लाल के अनुसार जाड़े के दिनों में ठंड के कारण हृदय के अलावा मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों की धमनियां सिकडती हैं जिससे रक्त प्रवाह में रूकावट आती है और रक्त के थक्के बनने की आशंका अधिक हो जाती है। ऐसे में न केवल दिल के दौरे पड़ने के बल्कि मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों में स्ट्रोक पड़ने के खतरे अधिक होते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि सर्दियों में दिन छोटे होते हैं और अक्सर इस मौसम में लोग अवसाद या तनाव के भी शिकार हो जाते हैं। व्यायाम करने की आदत और खान-पान को लेकर बरती जाने वाली सावधानी भी कम हो जाती है


ये सभी कारण मिलकर सर्दियों में हमारे दिल को काफी संवेदनशील बना देते हैं। सर्दियों के दिनों में हृदय रोगियों को सबसे अधिक सावधानी सुबह बरतने की जरूरत होती है क्योंकि विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि सर्दियों में 53 प्रतिशत हृदयाघात सुबह के समय ही होते हैं। 
डॉ. पुरुषोत्तम लाल कहते हैं कि सर्दियों की सुबह के तीन घंटे दिल और उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए भारी पड़ते हैं। इस दौरान रक्तचाप काफी बढ़ जाता है। ऐसे में जरा-सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है। यहां तक कि युवाओं में रक्तचाप बढ़ने के लक्षण सुबह के समय सिर भारी रहने के तौर पर देखने को मिलते हैसर्दी की सुबह बढ़ता रक्तचाप केवल बुजुर्गों या बढ़ती उम्र के लोगों को ही परेशान नहीं करता, बल्कि युवा वर्ग और स्कूली बच्चों भी इसकी चपेट में लेता हैं। गर्मियों की तुलना में सर्दियों में रक्तचाप न केवल तेजी से बढ़ता है बल्कि तेजी से गिरता भी है। खासकर सर्दियों की सुबह में रक्तचाप बहुत तेजी से बढ़ता है। इस दौरान दिल की धड़कन और नब्ज भी बहुत तेजी से बढ़ती है। उच्च रक्तचाप और दिल के मरीजों के लिए सुबह के पहले तीन घंटे बेहद अहम होते हैं। 


दुनियाभर में सर्दियों के दौरान ही सबसे ज्यादा दिल के दौरे के मामले सामने आते हैंध्ं भारत में भी दिल का दौरा पड़ने से सबसे ज्यादा मौतें सर्दियों में ही होती हैं। सर्दियों में ही उच्च रक्तचाप के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। सर्दियों में ही ब्रेन हैमरेज, नकसीर और पैरालाइसिस के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में अल्फा रिसेप्टर्स ज्यादा काम करते हैं। इसलिए रक्तचाप तेजी से बढ़ता है। डॉ. पुरूषोत्तम लाल के अनुसार इन कारणों के अलावा सर्दियों में लोग देरी से उठते हैं। इस दौरान लोग सुबह की सैर भी नहीं करते। सर्दियों में नमक, नमकीन या यूं कहें कि चटपटी चीजें खाने का ज्यादा मन करता हैनमक रक्तचाप बढ़ाता हैसर्दियों में लोग चाय भी ज्यादा पीते हैं। इसके अलावा सर्दियों में सिगरेट, शराब का सेवन भी बढ़ जाता है। यानी सर्दियों में हम वे सब काम करते हैं जिससे रक्तचाप बढ़ता हैइसलिए इस दौरान उच्च कॉलेस्टेरॉल और उच्च रक्तचाप के सभी मरीजों को सावधान रहने की जरूरत है।


डॉ. पुरूषोत्तम लाल का सुझाव है कि जाड़े में दिल की हिफाजत करने का सबसे अच्छा तरीका शरीर को गर्म रखना, अधिक समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचना और खुली जगह में शारीरिक श्रम करने से परहेज करना है। इसके अलावा शराब, मादक पदार्थों, अधिक वसा वाले भोजन तथा मिठाइयों से भी बचना चाहिएविशेषज्ञों के अनुसार सर्दियों में न केवल तेज ठंड से उत्पन्न हाइपोथर्मिया के कारण, बल्कि उच्च रक्तचाप, दिल के दौरे, दमा और मधुमेह के कारण असामयिक मौत की घटनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। हमारे देश में हर साल ऐसी मौतों की संख्या लाखों में होती है। हाइपोथर्मिया का खतरा एक साल से कम उम्र के बच्चों तथा बुजुर्गों को बहुत अधिक होता है। अनुमान है कि जब कभी भी तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस घटता है तब करीब आठ हजार बुजुर्ग मौत के हवाले हो जाते हैं।


महिलाओं के लिये भारी पड़ सकता है चटोरापन

महिलाओं में चटोरेपन की प्रवृति अधिक होती है लेकिन चटोरापन उनके लिये मोटापे और दिल के दौरे का कारण बन सकता हैकई अध्ययनों में पाया गया है कि महिलायें पुरुषों की तरह अपने पसंदीदा भोजन के प्रति अपनी मस्तिष्क की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने में असमर्थ होती हैंयह जानने के लिये भी अध्ययन किये जा रहे हैं कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में मोटापा और ईटिंग डिसआर्डर की दर अधिक क्यों होती है और महिलाओं को वजन कम करने में अधिक परेशानी क्यों होती है


यह पाया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में खाने के प्रति अधिक ललक होने और ईटिंग डिसआर्डर के कारण मोटापा होने की प्रवृति अधिक होती है और उन्हें डायटिंग से वजन कम करने में भी कम सफलता मिलती हैइनके अलावा एस्ट्रोजन सेक्स हारमोन भी महिलाओं में भोजन ग्रहण करने की क्षमता, शरीर का वजन और वसा को बढ़ाता है। डा. लाल के अनुसार महिलाओं में मोटापा रजोनिवृति के बाद दिल के दौरे की आशंका को बढ़ा देता है


हृदय रोग विशेषज्ञ एवं मेट्रो हास्पीटल्स एंड हार्ट इंस्टीच्यूट के निदेशक डा. पुरूषोत्तम लाल का कहना है कि यह देखा गया है कि भारतीय महिलायें अपने खान-पान पर नियंत्रण नहीं रखती हैं और इस कारण वे पुरुषों की तुलना में अधिक मोटी होती हैंऔसत भारतीय महिलाओं का वजन सामान्य वजन से करीब 20 प्रतिशत अधिक होता है। डा. लाल के अनुसार मोटापा और स्थूलता हृदय रोगों का एक बड़ा कारण है। भारतीय परिवारों में खान-पान में असली घी, तेल और मांस आदि पर अधिक जोर दिया जाता है। ये खाद्य पदार्थ मोटापा बढ़ाते हैं। डा. पुरूषोत्तम लाल का कहना है कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि महिलायें इलाज के लिए अस्पताल तभी आती हैं जब उनका हृदय रोग गंभीर हो चुका होता है। इसका कारण यह है कि महिलायें आम तौर पर अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह भी होती हैंअपने देश की महिलायें अपने रोगों व कष्टों के प्रति पश्चिमी देशों की महिलाओं की तुलना में बहुत अधिक उदासीन होती हैं और अपने रोगों को छिपाने की कोशिश करती हैंरोगों की अनदेखी करने से रोग बढ़ता जाता है।


महिलायें आम तौर पर चिकित्सकों के पास तभी जाती हैं, जब बहुत देर हो चुकी होती है। अक्सर घर के पुरुष सदस्य भी यह कहते हुये महिलाओं को चिकित्सकों के पास ले जाने को टालते रहते हैं कि यह उनके दिमाग का वहम हैमहिलाओं के प्रति सामाजिक–पारिवारिक भेदभाव और गलत खान-पान एवं गलत रहन-सहन के कारण महिलाओं में हृदय रोग आज गंभीर त्रासदी बनते जा रहे हैंमौजूदा समय में महिलाओं में हृदय रोगों के प्रकोप में वद्धि होने का एक कारण उनमें धूम्रपान का बढ़ता प्रचलन भी हैपश्चिमी देशों में धूम्रपान की प्रवृति घट रही है, जबकि भारत सहित विकासशील देशों में पुरुषों और महिलाओं में धूम्रपान का प्रचलन बढ़ रहा हैइसके अलावा व्यायाम नहीं करने की प्रवृति भी हृदय रोगों को बढ़ावा देती है। व्यायाम नहीं करने वाली महिला अगर गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने के साथ-साथ धूम्रपान भी करती हैं, तब उसे दिल का दौरा पड़ने का खतरा 40 प्रतिशत अधिक हो जाता है। हालांकि पुरुषों की तुलना में महिलाएं हृदय रोग से कम पीड़ित होती हैं लेकिन रजोनिवृति के बाद महिलाओं के हृदय रोग के चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन के कारण होता है


डा. लाल के अनुसार पहले महिलाओं को हृदय रोगों के अभिशाप से मुक्त माना जाता था लेकिन अब हृदय के रोग महिलाओं में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। जैविक एवं शारीरिक कारणों से महिलाओं में हृदय रोग बहुत तेजी से बढ़ते हैं और इसलिये महिलाओं में हृदय रोगों के लक्षण प्रकट होने पर किसी तरह की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।


 


स्कूली छात्रों के लिए लाइव ऑनलाइन क्‍लासेस 

प्रौद्योगिकी आधारित ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म, बेसिकफर्स्ट, ने भारत में स्कूली छात्रों के लिए 'पार्टिसिपेटरी लर्निंग' अनुभव प्रदान करने के लिए, अपने ऑनलाइन क्लासेस शुरु करने की घोषणा की। सोमवार को नई दिल्ली में एक होटल में आयोजित इन्फ्लुएंसर्स बैठक में, बेसिकफर्स्ट के चीफ मेंटर श्री रणधीर कुमार प्रियदर्शी ने यह भी खुलासा किया कि उनके प्‍लेटफॉर्म पर यह नई सेवा अगले तीन महीनों के भीतर नौ भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगी, जिससे इसकी पहुंच का दायरा और बढ़ जायेगा।


इस साल फरवरी में अपनी स्थापना के बाद से, बेसिकफर्स्‍ट अपने दो शुरुआती प्रॉडक्‍ट जैसे 'डाउट क्लीयरिंग प्रोग्राम' और 'रेंट-ए-टैब' के 20,000 भुगतान वाले ग्राहकों के साथ तेजी से विकास करते हुए लगभग 18 स्थानों पर मौजूद है, जहां 700 कर्मचारी कार्यरत हैं। इन दो प्रॉडक्‍ट में से पहला प्रॉडक्‍ट पूरे भारत में कक्षा 6 से 12वीं तक की किसी भी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र को चैट/फोन/वीडियो के माध्यम से अपने प्रश्‍नों को हल करने में सक्षम बनाता है, और दूसरा प्रॉडक्‍ट 'रेंट-ए-टैब' छात्रों को 750 रुपये महीने के खर्च पर देश की सबसे सस्ती शिक्षा टैबलेट तक पहुंच प्रदान करता है।


'लाइव ऑनलाइन क्लासेस' के लॉन्च के अवसर पर, बेसिकफर्स्ट के संस्थापक और सीईओ रणधीर कुमार ने बताया कि, "छात्रों द्वारा महसूस की जाने वाली किसी भी जरूरत या संदेह को दूर करने के लिए, हम अपनी लाइव ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से बेसिकफर्स्ट को छात्रों तक पहुंचाना चाहते हैं। इसके साथ ही, हम भारतीय छात्रों के लिए भाषा की कठिनाई को कम करना चाहते हैं, ताकि उन्हें सोचने और अपने सपनों को पूरा करने की समझ को लागू करने में सक्षम बनाया जा सके, क्योंकि देश भर में हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अंग्रेजी के साथ पर्याप्त रूप से सहज नहीं हो सकता है। हम हमेशा से मानते हैं कि संदेहमुक्‍त शिक्षा के लिए प्रत्येक छात्र पर व्यक्तिगत ध्यान देने की आवश्यकता है और इसीलिए हमने यह नवीनतम ऑफरिंग विकसित की है। हमारी लाइव ऑनलाइन क्‍लासेस छात्रों को अपने घर के आरामदायक माहौल में रहते हुए देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों से व्यक्तिगत अनुभव प्राप्त करना संभव बनायेंगी।"


बेसिकफर्स्ट अगले तीन महीनों में आठ क्षेत्रीय भाषाओं के साथ कुल नौ भाषाओं में लाइव क्‍लासेस उपलब्‍ध करायेगा। 'लाइव ऑनलाइन क्लासेस' कार्यक्रम छात्रों को उनकी पसंदीदा भाषा चुनने की सुविधा देगा, जिसमें अंग्रेजी, हिंदी, मलयालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, उड़िया, बंगला और मराठी शामिल हैं। क्षेत्रीय भाषा की सुविधा गैर-महानगरीय शहरों के छात्रों के लिए दी गई है, जिनकी पसंदीदा भाषा अंग्रेजी नहीं हो सकती है, और छात्रों को अपनी क्षेत्रीय भाषा में सीखने में ही आराम मिलता है।


बहु-भाषा समर्थन के अलावा, लाइव ऑनलाइन क्लासेस प्रोग्राम की अन्य अनूठी विशेषता यह है कि यह छात्रों की जरूरत के अनुसार, विषयों के समूह के बजाय छात्रों को एक विशिष्ट विषय (विषयों) को चुनने की सुविधा देता है। ऑनलाइन क्‍लासेस छात्रों को 'वन-टू-वन क्लास', जहां अकेले एक छात्र के लिए एक शिक्षक उपलब्‍ध होता है, या 'वन-टू-मेनी क्लास', जहां समान विषयों वाले कई छात्रों को सह-शिक्षण के लिए एक साथ रखा जाता है, का विकल्‍प चुनने की सुविधा देती है। दोनों सुविधाओं के अपने-अपने लाभ हैं: 'वन-टू-वन क्‍लास' निजी कक्षाओं की तरह व्यक्तिगत फोकस प्रदान करता है, जबकि 'वन-टू-मेनी कलास' छात्रों को कक्षाओं की तरह अन्‍य छात्रों के साथ समस्याओं और संदेहों को दूर करने में मदद करता है।


बेसिकफर्स्ट के 'लाइव ऑनलाइन क्लासेज' के छात्रों के लिए उपलब्ध सुविधाओं के बारे में बताते हुए, श्री कुमार ने कहा, "लाइव ऑनलाइन क्‍लासेस जेईई मेन और एडवांस, एनईईटी, एम्स जैसे पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत रेंज के लिए उपलब्ध हैं। कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए सीखने की प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए, हम छात्रों को पाठ्यक्रम शुल्क पर ईएमआई विकल्प भी उपलब्‍ध कराते हैं, ताकि उनके माता-पिता पर बड़ी राशि के एकमुश्त भुगतान का बोझ न पड़े।"


उन्होंने कहा कि "सीखने का भविष्य लाइव ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधाओं को बेहतर बनाने में निहित है, जो इसे ऑफलाइन कोचिंग कक्षाओं की जगह लेने, और छात्रों को एक वास्‍तविक अनुभव प्रदान करने में सक्षम बनाती है।"


कुपोषण संकट से निपटने के लिए मानवीय समाधान आवश्यक : श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी

 

केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने आज नई दिल्ली में भारत की पोषण चुनौतियों पर 5वीं राष्ट्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता की।


महिला और बाल विकास मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में कुपोषण के संकट से निपटने के लिए मानवीय समाधान विकसित करने की आवश्यकता है और इसके लिए पोषण में निवेश के आर्थिक लाभों को उजागर और प्रचारित किया जाना चाहिए। महिला और बाल विकास मंत्री ने विश्व बैंक की वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2018 का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि भारत को कुपोषण के मामलें में वार्षिक रूप से कम से कम 10 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ता है। यह नुकसान उत्पादकता, बिमारी और मृत्यु से जुड़ा है और गंभीर रूप से मानव विकास तथा बाल मृत्यु दर में कमी करने में बाधक है। उन्होंने कहा कि पोषण सभी नागरिकों के जीवन के लिए एक अभ्यास है और इसे महिलाओं और बच्चों तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए।


श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने बताया कि उनका मंत्रालय बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन तथा दीनदयाल शोध संस्थान के साथ एक पोषण मानचित्र विकसित कर रहा है जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों की फसलों और खाद्योन्नों को दिखाया जाएगा, क्योंकि कुपोषण संकट का समाधान क्षेत्रीय फसल को प्रोत्साहित करने और प्रोटीन समृद्ध स्थानीय खाद्य पदार्थ को अपनाने में है। उन्होंने सुझाव दिया कि पोषण अभियान के अनाम नायकों को मान्यता देने के लिए स्वास्थ्य और पोषण मानकों पर राज्यों की रैंकिंग की प्रणाली विकसित की जा सकती है और इसके लिए नीति आयोग राज्यों के लिए ढांचा विकसित कर सकता है ताकि जिलों की रैंकिंग की जा सके। उन्होंने कहा कि रैंकिंग प्रक्रिया में नागरिकों और सिविल सोसाइटी को शामिल किया जा सकता है।


परिषद की बैठक में राज्यों द्वारा पोषण अभियान लागू करने के बारे में महिला और बाल विकास मंत्रालय, नीति आयोग तथा स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रेजेंटेशन दिए गए। बैठक में आकांक्षी जिलों और पिछड़े हुए राज्यों की चुनौतियों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। क्षमता सृजन और स्वास्थ्य कर्मियों की गुणवत्ता में सुधार के बारे में युद्ध स्तर पर काम करना होगा ताकि सभी आंगनवाड़ीकर्मी स्मार्टफोन और अन्य यंत्रों के उपयोग में प्रशिक्षित हो सके और सफलता पूर्वक डैशबोर्ड पर डाटा अपलोड कर सकें। बैठक में राज्यों की नवाचारी योजनाओं और कार्यक्रमों को साझा किया गया। यह निर्णय लिया गया कि इस वर्ष सितंबर में मनाए गए पोषण माह के दौरान राज्यों के श्रेष्ठ व्यवहारों तथा नवाचार योजनाओं का प्रलेखन किया जाए।


भारत की पोषण चुनौतियों पर 5 वीं राष्ट्रीय परिषद में महिला और बाल विकास सचिव श्री रवीन्द्र पंवार, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, उत्तर प्रदेश की महिला और बाल विकास मंत्री स्वाति सिंह, राजस्थान की महिला और बाल विकास मंत्री ममता भूपेश और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, कृषि, पेयजल और स्वच्छता, ग्रामीण विकास, जनजातीय मामले, पंचायती राज, उपभोक्ता मामले और खाद्य, वित्त, मानव संसाधन विकास, आवास और शहरी कार्य, सूचना और प्रसारण और पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों उपस्थित थे। बैठक में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय पोषण संस्थान, भारतीय सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, टाटा ट्रस्ट, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और विश्व बैंक के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।  


स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय में 28 अक्‍तूबर से 2 नवम्‍बर, 2019 तक सतर्कता जागरूकता सप्‍ताह 

 

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय 28 अक्टूबर से 2 नवंबर,  2019 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाएगा। इस वर्ष के सतर्कता जागरूकता का विषय "ईमानदारी-एक जीवनशैली" है। सतर्कता जागरूकता सप्ताह का आरंभ केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री द्वारा मंत्रालय के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने तथा ईमानदारी और सत्‍यनिष्‍ठा के उच्चतम मानकों के लिए प्रतिबद्धता की 'ईमानदारी शपथ' दिलाने के साथ होगा। इस मंत्रालय द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देने का भी प्रस्ताव है।


केंद्रीय सतर्कता आयोग का लक्ष्‍य सार्वजनिक जीवन में सत्‍यनिष्‍ठा, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है। सार्वजनिक जीवन में शुचिता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार मुक्त समाज की स्‍थापना करने के अपने प्रयासों के तहत, सीवीसी हर साल सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाता है। सतर्कता जागरूकता सप्ताह का आयोजन जनता के बीच जागरूकता उत्‍पन्‍न करता है और सभी हितधारकों को सामूहिक रूप से भ्रष्टाचार को रोकने और उसके खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रोत्साहित करता है।


सप्ताह भर चलने वाले सतर्कता जागरूकता अभियान के दौरान, लोगों की शिकायतों के निवारण के लिए जनता के साथ संपर्क, जेनेरिक दवाओं का उपयोग, औचक निरीक्षण, सेमिनार, कार्यशालाओं का आयोजन, छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों/अधिकारियों के बच्चों के बीच वाद-विवाद प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, निबंध लेखन, क्विज, पेंटिंग प्रतियोगिताओं और नैतिकता / नैतिक मूल्यों, तथा वर्ष 2019 के विषय के अनुरूप सतर्कता संबंधी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। ये गतिविधियां जीवन के सभी क्षेत्रों से भ्रष्टाचार का खात्‍मा करने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने कार्य में सतर्कता और पारदर्शिता बरतने के प्रति संवेदनशील बनायेंगी और उन्‍हें इस दिशा में प्रेरित करेंगी।



नकली खाद्य पदार्थ नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा

 

नकली खाद्य पदार्थ पूरी तरह अवैध हैं। इनकी अनिवार्य गुणवत्ता जांच नहीं हो पाती और ये नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गए हैं। इस समस्या का प्रभावी समाधान आवश्यक है। ये बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की सचिव सुश्री प्रीति सूदन ने आज राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों को वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कही।


दिल्ली उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त, 2019 के अपने फैसले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव को राज्य सरकारों के खाद्य सुरक्षा विभागों तथा एफएसएसएआई के साथ बैठक करने का निर्देश दिया है। बैठक में नकली खाद्य पदार्थों को प्रभावी तरीके से रोकने पर विचार-विमर्श किया जाना है। इस बैठक की रिपोर्ट न्यायालय में जमा की जाएगी। उच्च न्यायालय के आदेश के तहत यह वीडियों कांफ्रेंस आयोजित हुआ।


सचिव सुश्री प्रीति सूदन ने प्रधान सचिवों को पुलिस अधिकारियों की सहायता से समय-समय पर खाद्य पदार्थों की जांच करने का अनुरोध किया ताकि इस समस्या पर काबू पाया जा सके। त्योहार के समय निगरानी की अधिक आवश्यकता है। खाद्य सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों के लिए आवश्यक मानव संसाधन की उपलब्धता होनी चाहिए। राज्य सरकारों को खाद्य सुरक्षा अधिकारियों तथा विभागों में आवश्यक पदों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें भरा जाना चाहिए। प्रयोगशालाओं में तकनीकी पदों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें भरा जाना चाहिए। प्रधान सचिवों को खाद्य आयुक्तों को खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम, 2006 को लागू करने से संबंधित निर्देश देने चाहिएं। नकली खाद्य उत्पादों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और इस संबंध में लोगों को जागरूक बनाया जाना चाहिए। राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों को गतिविधियों/कार्रवाइयों की समीक्षा करनी चाहिए और इस संबंध में एफएसएसएआई को सूचना देनी चाहिए।


इस वीडियों कांफ्रेंसिंग में पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, मणिपुर, पुदुचेरी, गोवा, चंडीगढ़, त्रिपुरा, मेघालय और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों ने भाग लिया। प्रधान सचिवों ने इस समस्या से निपटने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया। कई राज्य खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और वास्तविकता के बारे में प्रत्येक शिकायत की जांच करते हैं। इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। अधिकारियों के प्रशिक्षण और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने पर चर्चा हुई। प्रधान सचिवों से एफएसएसएआई की केंद्रीय परामर्शदात्री समिति की बैठकों में भी भाग लेने का अनुरोध किया गया।


इस वीडियों कांफ्रेंसिंग में महिला व परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।


यूनिसेफ की पहल : जेनरेशन अनलिमिटेड पार्टनरशिप

2018 में यूनिसेफ ने विश्व स्तर पर जेनरेशन अनलिमिटेड पार्टनरशिप की शुरुआत की। सम्रग सतत विकास के लक्ष्यों के दायरे में कार्यरत और नई यूएन यूथ पॉलिसी 2030 के तहत जेनरेशन अनलिमिटेड यह सार्वभौमिक एजेंडा देता है कि सभी देश युवाओं की शिक्षा, कौशल विकास और सशक्तिकरण के लिए अधिक प्रयास कर सकते हैं और करना भी चाहिए



2018 में यूनिसेफ ने विश्व स्तर पर जेनरेशन अनलिमिटेड पार्टनरशिप की शुरुआत की। सम्रग सतत विकास के लक्ष्यों के दायरे में कार्यरत और नई यूएन यूथ पॉलिसी 2030 के तहत जेनरेशन अनलिमिटेड यह सार्वभौमिक एजेंडा देता है कि सभी देश युवाओं की शिक्षा, कौशल विकास और सशक्तिकरण के लिए अधिक प्रयास कर सकते हैं और करना भी चाहिए, 2018 में नीति आयोग ने भारत में राष्ट्रीय युवा विमर्श का आयोजन किया। इसमें 6 राज्यों के 250 से अधिक युवाओं के विचार सुने गए। उनके सपनों, आकांक्षाओं और समस्याओं और भविष्य की चिंताओं को सुनने का अवसर मिला। साथ ही, समाधान भी सामने आए जो वे चाहते हैं



इस विमर्श से रणनति बनाने की जानकारी मिली जिसके आधार पर भारत में युवाह! लांच किया गया। 'युवा' शब्द हिन्दी भाषा का है जिसका अर्थ नौजवान (युवा) होता है• भारत में युवाह! 2030 तक निम्नलिखित के साथ कार्य करेगा :


० निजी क्षेत्र के भागीदार, ताकि जॉब मैचिंग और जन-जन को उद्यमी बना ___ कर 50 मिलियन युवतियों और 50 मिलियन युवाओं के लिए आर्थिक अवसर का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।


0 200 मिलियन युवतियों और युवकों को जीवन में उपयोगी और भविष्य में कार्य के लिए उपयुक्त कौशल दिया जा सके। कॅरियर काउंसेलिंग पर जोर देते हुए 21वीं सदी के कौशल, गुणवत्तापूर्ण इंटर्नशिप और एपरेंटिसशिप की सुविध दी जा सके


0 300 मिलियन युवतियों और युवकों को समस्या समाधान के साधनों से लैस कर उन्हें समाज बदलने के लिए उत्प्रेरक की भूमिका देना


युवाओं के लिए भारत की नई जोरदार पहल – युवाह!

Ms. Henrietta H Fore, ED, UNICEF & Smt. Smriti Irani, Minister for WCD inspecting the stalls at the Yuwaah launchयूनिसेफ भारत के 300 मिलियन से अधिक युवाओं के साथ और उनके लिए शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार परिदृश्य बदलने के लक्ष्य से नई साझेदारियों का समर्थन करेगा


महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी ने आज राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ देश के शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार परिदृश्य बदलने के मकसद से एक नई जोरदार राष्ट्रीय पहल की शुरुआत की है। 10 से 24 साल के 300 मिलियन से अधिक युवाओं को इसका लाभ मिलेगा। इस शुरुआत पर युवाह! साझेदारों का जोरदार समर्थन करते हुए प्रधान मंत्री मोदी ने एक पत्र के माध्यम से यह संदेश दिया कि 'युवाह – द जेनरेशन अनलिमिटेड पार्टनरशिप' युवाओं को सबल बनाने में अहम् भूमिका निभाएगा। कौशल विकास कर वे अपनी सर्जना और शक्ति से 21वीं सदी का भारत बनाएंगे। मुझे विश्वास है कि इस साझेदारी से हमारे युवा समज बदलने में सबसे आगे आएंगे।'


नई दिल्ली के हैबिटेट सेंटर में लांच के अवसर पर मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि भारत सरकार युवाह को देश में बदलाव का साझेदार बनाने के लिए कृतसंकल्प है और इस पहल से युवाओं को शिक्षा के बाद 21वीं सदी में काम की दुनिया में कदम रखने में मदद मिलेगीभारत सितंबर 2018 में न्यूयॉर्क में शुरू जेनरेशन अनलिमिटेड आंदोलन से जुड़ी अपनी राष्ट्रीय पहल को शुरू करने वाले विश्व के पहले देशों में से एक है। यूएनआईसीईएफ की सहायता से, जेनरेशन अनलिमिटेड युवा लोगों को उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण में निवेश की गंभीर चुनौती का सामना करने के लिए निजी क्षेत्रों, सरकारों, अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय संगठनों से जोड़ता है ताकि वे कार्य के जटिल और तेज रफ्तार दुनिया के लिए तैयार हों और सक्रिय तथा व्यस्त नागरिक बन सकें। वर्ष 2030 तक समस्त विश्व में दो अरब महिलाएँ पुरुष एक उज्जवल भविष्य के अवसरों की तलाश में होंगेउद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए, यूएनआईसीईएफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोरे ने भारत के युवा लोगों के पढ़ाई पूरी होने पर रोजगार के क्षेत्र में प्रवेश को केंद्र में रखते हुए उनके लिए अवसर बढ़ाने हेतु मार्गदर्शन के लिए प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को बधाई दी।


Ms. Henrietta H Fore, ED, UNICEF & Smt. Smriti Irani, Minister for WCD launching Yuwaah"किसी भी देश के युवा लोगों की ऊर्जा, संकल्पनाएँ और सपने उसकी सबसे बड़ी संपत्ति होते हैं। युवा लोग अपने भविष्य का निर्माण स्वयं करते हैं, इसलिए वे भारत के भविष्य का निर्माण भी करेंगे। उनमें निवेश करना सबसे अच्छा निवेश है जो भारत कर सकता है।" उद्घाटन समारोह में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी श्री अमिताभ कंठ; कौशल एवं उद्यमिता विकास मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव, युवा मामलों के सचिव डॉ. के. पी. कृष्णन; सुश्री संयुक्त राष्ट्र संघ रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर सुश्री उपमा चौधरी, सुश्री रेनाटा लोक-देसालिएन, एफआईसीसीआई के महासचिव श्री दिलीप शेनॉय, यूएनआईसीआईएफ में युवाओं के विशेष प्रतिनिधि श्री रवि वेंकटेशन और उच्च स्तर के अन्य अतिथियों ने भी भाग लिया और समस्त भारत के बच्चों व युवाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए आज यह बहु–भागीदार सहकारिता शुरू कीलांच के अवसर पर 30 से अधिक साझेदरों के साथ रणनीतिक महत्व की साझेदारी की गई जिसका मकसद युवाह! के अगले कदम की दिशा तय करना है। सुश्री फोर ने यह घोषणा की कि यूनिसेफ युवाह! सेक्रेटारियट के स्टार्ट-अप को सहयोग देगा। समर्थन में जुटे साझेदरों को मिल कर काम करते हुए समाधान के लिए अधिक से अधिक युवाओं से संपर्क करना होगा।


Ms. Henrietta H Fore, ED, UNICEF addressing the gathering at the launch of Yuwaahलांच के अवसर पर युवाओं की आवाज को प्रमुखता दी गईप्रतिभागी इंटरएक्टिव 'सॉल्यूशंस कैफे देखने गए जो युवाओं की प्रदर्शनी है जिसका मकसद कौशल विकास, रोजगार आकलन के लिए इनोवेटिव आइडिया साझा करना है। साथ ही, नागरिकों और समाज बदलने में लगे लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। श्रीमती इरानी और कार्यकारी निदेशक सुश्री फोर ने एक विशेष 'यू-रिपोर्ट' डिजिटल सर्वे भी लांच किया जिसका मकसद पूरे देश के युवाओं को सुनना और उनसे जुड़ना है ताकि उनकी आवाज बुलंद हो और युवाह! भागीदारों के कार्यों की रूपरेखा निर्धारित की जा सके। युवाह! भागीदारों की गतिविधियों की शुरुआत करते हुए नेशनल यूथ चैलेंज भी लांच किया गया। युवा नेता श्री प्रवीण धनवाड़े और नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने संयुक्त रूप से यूथ चैलेंज लांच किया जिसका मकसद पूरे देश की युवतियों और पुरुषों के साथ ऐसे साधनों को साझा करना है जो : • औपचारिक या अनौपचारिक शिक्षा को बढ़ावा देकर जो युवाओं के जीवन को उपयोगी बनाने और भविष्य में रोजगार के लिए आवश्यक कौशल विकास करे। • युवाओं को उपलब्ध कार्य के अवसरों से जोड़ने में सुधार करे• गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, प्रशिक्षण, रोजगार, उद्यमी और नागरिक भागीदारी के लिए बराबर सुविधाओं को बढ़ावा दे।


युवाह! अलायंस के पार्टनर सर्वश्रेष्ठ आइडिया को सहयोग देकर सॉल्यूशंस को अधिक व्यापक बनाएंगे। कौशल विकास, ज्ञान अर्जन, रोजगार, उद्यमिता और नागरिक भागीदारी में युवाओं के लिए अवसर बढ़ाने हेतु 250 से अधिक सॉल्यूशंस की रूपरेखा बना ली गई है। साथ ही कमियां दूर करने के लिए सॉल्यूशन आमंत्रित किए गए


इससे संगठनों और युवा लोगों के बीच परस्पर सहयोग मजबूत होगा"युवाह! आपका अपना है बिल्कुल भावी भारत की तरह आपका अपना। इसलिए हमें कुछ बड़ा सोचने. दमदार होने में मदद कीजिए। आपकी पीढ़ी में देश का भविष्य बदलने की ताकत हैइससे इनोवेशन और आर्थिक विकास में तेजी आती है। भविष्य के लिए रोजगार सृजन होता है और समृद्धि बढ़ती है जो भारत को अपनी विशाल आबादी की खुशहाली के लिए चाहिए। आज देश को आपकी जरूरत है। यहां मौजूद पार्टनर आपके साथ खड़े हैंआपको मदद पहुंचाने वाले आइडियाज़ और सॉल्यूशन में निवेश करने के लिए खड़े हैं।"


स्तन की मैमोग्राफी : स्तन कैंसर की समयपूर्व जांच

मैमोग्राफी को मैमोग्राम भी कहा जाता है। यह स्तन का एक्स-रे है जिसका इस्तेमाल स्तन कैंसर के निदान के लिए किया जाता है। विशेषज्ञ 40 साल से अधिक उम्र वाली महिलाओं को हर 1-2 साल में मैमोग्राम कराने की सलाह देते हैं। स्तन कैंसर के व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास के मामले में, डॉक्टर जल्द स्क्रीनिंग कराने की सलाह दे सकते हैं। जब स्तन में किसी प्रकार के कैसर या स्तन में किसी प्रकार के परिवर्तन की जांच के लिए नियमित परीक्षण के रूप में मैमोग्राम कराने की सलाह दी जाती है तो इसे स्क्रीनिंग मैमोग्राम कहा जाता है। स्तन कैंसर से संबंधित गांठ या कोई अन्य लक्षण होने पर, डॉक्टर आपका डायग्नोस्टिकक मैमोग्राम कराएंगे।
इस परीक्षण में लगभग 30 मिनट लगते हैं।
मैमोग्राफी के प्रकार
डिजिटल मैमोग्राफी - इसे फुल-फील्ड डिजिटल मैमोग्राफी (एफएफडीएम) भी कहा जाता है। यह एक मैमोग्राफी प्रणाली है जिसमें एक्स-रे फिल्म को इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है जो एक्स-रे को स्तन की मैमोग्राफिक छवियों में परिवर्तित कर देता है। रेडियोलॉजिस्ट इसका अवलोकन करने के लिए और इसे संग्रहित रखने के लिए इन डिजिटल छवियों को कंप्यूटर में स्थानांतरित कर देते हैं।




कंप्यूटर एडेड डिटेक्शन (सीएडी) - यह प्रणाली घनत्व, द्रव्यमान या कैल्सिफिकेशन के असामान्य क्षेत्रों का पता लगाने के लिए डिजिटाइज्ड मैमोग्राफिक छवियों को स्कैन करती है जो कैंसर का संकेत देते हैं। यह प्रणाली छवियों पर महत्वपूर्ण क्षेत्रों को हाईलाइट करती है और रेडियोलाॅजिस्ट को निर्दिष्ट क्षेत्र का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने के लिए सचेत करती है।
ब्रेस्ट टोमोसिंथेसिस - इसे 3-डी मैमोग्राफी या डिजिटल ब्रेस्ट टोमोसिंथेसिस (डीबीटी) के नाम से भी जाना जाता है। यह, ब्रेस्ट इमेजिंग का एक उन्नत रूप है, जिसके तहत विभिन्न कोणों से स्तन की कई 3-डी इमेज ली जाती है और इन्हें संश्लेषित किया जाता है। यह कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) इमेजिंग के समान है।


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मैमोग्राफी प्रक्रिया
मैमोग्राफी एक ओपीडी (आउट पेशेंट) प्रक्रिया है। इसके तहत स्तन को एक विशेष प्लेटफार्म पर रखा जाता है और एक स्पष्ट प्लास्टिक पैडल से दबाया जाता है। तकनीशियन धीरे-धीरे आपके स्तन को तब तक दबाता है जब स्तन की मोटाई बराबर हो जाए और सभी ऊतक फैल कर स्पष्ट दिखने लगे ताकि स्तन के ऊतकों में किसी भी प्रकार की छोटी असामान्यताओं के छिपी रहने की संभावना कम से कम हो जाए।
आपको इमेज लेते समय बीच-बीच में अपना पोजीशन बदलने के लिए कहा जाएगा। दूसरे स्तन के लिए भी यही प्रक्रिया दोहराई जाएगी। इस प्रक्रिया के दौरान, आपको बहुत स्थिर होना चाहिए और कुछ सेकंड के लिए आपको सांस रोकने के लिए कहा जाएगा ताकि किसी भी चित्र के धुंधले आने की संभावना कम हो। जब यह परीक्षण समाप्त हो जाता है, तो आपको तब तक इंतजार करने के लिए कहा जा सकता है जब तक कि रेडियोलॉजिस्ट सभी आवश्यक चित्र को देख न लें।


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जोखिम
इसमें विकिरण के अत्यधिक संपर्क में रहने के कारण कैंसर होने का थोड़ा खतरा होता है। लेकिन, इससे सटीक निदान होने के कारण इसका लाभ जोखिम पर भारी पड़ता है। यदि इसमें किसी प्रकार की असमान्यता का पता चलता है, तो इसे दोबारा करने या बायोप्सी करने की जरूरत पड़ सकती है। गर्भवती महिलाओं को हमेशा अपने चिकित्सक को अपने गर्भवती होने की सही स्थिति के बारे में जानकारी दे दी जानी चाहिए।


गुर्दे की पथरी का कैसे होता है इलाज

गुर्दे की पथरी का इलाज


बहुत कम लक्षण प्रकट करने वाली छोटी पथरी के इनवैसिव इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। आप निम्न उपायों पर अमल कर छोटी पथरी को मूत्र मार्ग से निकालने में सक्षम हो सकते हैं:


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● पर्याप्त पानी पीना - रोजाना 1.9 से 2.8 लीटर पानी पीने से आपकी मूत्र प्रणाली से पथरी को बाहर निकालने में मदद मिल सकती है। आप तब तक कुछ नहीं करें जब तक कि आपके डॉक्टर आपको कुछ करने की सलाह न दें।
● दर्द निवारक - हल्के दर्द से राहत पाने के लिए, आपके चिकित्सक आपको दर्द निवारक दवा लेने की सलाह दे सकते हैं।
● मेडिकल थेरेपी - आपकेे गुर्दे की पथरी को निकलने में मदद करने के लिए आपके डॉक्टर आपको अल्फा ब्लॉकर की तरह कुछ सलाह दे सकते हैं।
गुर्दे की पथरी जो बहुत बड़ी है और अपने आप निकल नहीं सकती है या जो रक्तस्राव पैदा कर रही है, गुर्दे को क्षति पहुंच रही है या मूत्र मार्ग में संक्रमण का कारण बनती है - उसके लिए और अधिक गंभीर इलाज की आवश्यकता हो सकती है:



● एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्युएल) - इसके तहत मजबूत तरंगों (शॉक वेव्स) को बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है जो पथरी को छोटे- छोटे टुकड़ों में तोड़ती है जिससे ये आपके मूत्र के साथ निकल सकते हैं। यह प्रक्रिया लगभग 45-60 मिनट तक चलती है और यह बेहोश करके या हल्की एनीस्थियिया देकर की जाती है। जब पथरी के टुकड़े मूत्र मार्ग से होकर गुजरते हैं तो इसके कारण मूत्र में रक्त आ सकता है, पीठ या पेट पर खरोंच आ सकती है, गुर्दे और उसके आसपास के अन्य अंगों के आसपास रक्त्स्राव हो सकता है, और बेचैनी हो सकती है जिनका समाधान आगे चिकित्सकीय रूप से किया जाता है।
● गुर्दे में बहुत बड़ी पथरी को हटाने के लिए सर्जरी - पक्र्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत सर्जरी के द्वारा आपके पेट के पिछले हिस्से में एक छोटे से चीरे के माध्यम से छोटे दूरबीनों और उपकरणों को डालकर गुर्दे की पथरी को निकाला जाता है।




● पथरी को निकालने के लिए स्कोप का उपयोग करना - आपकी मूत्रवाहिनी या गुर्दे से छोटी पथरी को निकालने के लिए, आपके डॉक्टर आपके मूत्रवाहिनी और मूत्राशय के माध्यम से कैमरे से सुसज्जित यूरेटेरोस्कोप नामक एक पतली रोशनी वाली ट्यूब को डालते है। एक बार जब पथरी की जगह का पता चल जाता है, तो विशेष उपकरण पथरी को पकड़ सकते हैं या इसे टुकड़ों में तोड़ सकते हैं जो आपके मूत्र के साथ निकल जाएंगे। सूजन से राहत देने और घाव को जल्द भरने के लिए मूत्रवाहिनी में एक छोटी ट्यूब (स्टेंट) को रखा जा सकता है। यह प्रक्रिया जेनरल या लोकल एनीस्थिसिया में की जा सकती है।


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क्यों होती है गुर्दे की पथरी


क्या होती है गुर्दे की पथरी


गुर्दे की पथरी छोटे आकार वाली खनिज का ठोस या कठोर जमाव होती है। यह आपके गुर्दे के अंदर होती है। गुर्दे की पथरी गुर्दे से लेकर मूत्राशय तक आपके मूत्र मार्ग के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। अक्सर, पथरी तब बनती है जब मूत्र गाढ़ा हो जाता है जिससे खनिज क्रिस्टल बनाने लगते हैं और आपस में चिपकने लगते हैं।
गुर्दे की पथरी के कारण काफी दर्द हो सकता है, लेकिन इनके कारण आमतौर पर किसी भी प्रकार का स्थायी नुकसान नहीं होता है।


कैसे पहचाने गुर्दे की पथरी को

गुर्दे की पथरी तब तक कोई भी लक्षण प्रकट नहीं कर सकती है जब तक कि यह आपके गुर्दे के चारों ओर घूमती है या आपके मूत्रवाहिनी में नहीं जाती है। आप निम्न लक्षण अनुभव कर सकते हैं:
— पेट के निचले हिस्से में एक तरफ पसलियों के नीचे तेज दर्द
— दर्द जो पेट के निचले हिस्से और कमर तक फैलता है
— दर्द जो अचानक तेजी से होता है और दर्द की तीव्रता बदलती रहती है।
— पेशाब करते समय दर्द होना
— गुलाबी, लाल या भूरे रंग का मूत्र
— धुंधला या बदबूदार मूत्र
— मतली और उल्टी
— बार- बार पेशाब करने की आवश्यकता
— बार-बार पेशाब आना
— संक्रमण होने पर बुखार और ठंड लगना
— थोड़ी मात्रा में पेशाब आना


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क्यों होती है गुर्दे की पथरी
● पारिवारिक या व्यक्तिगत इतिहास - यदि आपके परिवार में किसी को गुर्दे की पथरी है, तो आपको पथरी होने की अधिक संभावना है। यदि आपको पहले से ही एक या एक से अधिक गुर्दे की पथरी है, तो आपको दूसरी पथरी होने का अधिक खतरा है।
● निर्जलीकरण - रोजाना पर्याप्त पानी नहीं पीने से गुर्दे की पथरी होने का खतरा बढ़ सकता है।
● कुछ आहार - अधिक मात्रा में प्रोटीन, सोडियम और चीनी वाले आहार से कुछ प्रकार की गुर्दे की पथरी होने का खतरा बढ़ सकता है।
● मोटापा - अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), कमर का बड़ा आकार और वजन अधिक होने से गुर्दे की पथरी होने का खतरा बढ़ जाता है।
● पाचन संबंधी रोग और सर्जरी - गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी, इंफ्लामेटरी आंत्र रोग या क्रोनिक डायरिया से पाचन प्रक्रिया में बदलाव आ सकते हैं जो आपके कैल्शियम और पानी के अवशोषण को प्रभावित करते हैं और आपके मूत्र में पथरी बनाने वाले पदार्थों के स्तर को बढ़ाते हैं।
● अन्य चिकित्सीय स्थितियां - रीनल ट्यूबलर एसिडोसिस, सिस्टिनुरिया, हाइपरपैराथायराॅयडिज्म, कुछ दवाएं और मूत्र पथ के कुछ संक्रमण भी इसके जोखिमों को बढ़ाते हैं।


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