Claw Toes : हाई हील और संकरे जूते चप्पलों से पैरों की में हो सकती है स्थाई विकृति


What is Claw Toes : महिलाओं में हाई हील वाली सैंडिलों और और बहुत संकरी जूतियों के पहने का चलन बढ़ रहा है लेकिन लंबे समय तक इनका प्रयोग करने से पैरों की उंगलियों में स्थाई विकृति आ सकती है और पैरों की उंगलियां पक्षियों के पंजे की तरह मुड़ सकती हैं। ऐसी उंगलियों को 'क्लॉ टो' कहा जाता है जिसमें पैरों की उंगलियां अंग्रेजी के अक्षर 'वी' के आकार की हो जाती है। इसमें उंगलियां बीच की जोड़ के पास उठ जाती है और अंतिम जोड़ के पास नीचे झुक जाती है और देखने में ये उंगलियां पक्षियों के पंजे की तरह लगती हैं। ये उंगलियां केवल देखने में ही खराब नहीं लगती बल्कि ये आपके लिए कष्ट का कारण बन सकती हैं और आपके लिए खड़ा होना और चलना फिरना दूभर हो सकता है।


विशेषज्ञों के अनुसार हाई हील वाली सैंडियों एवं जूतियों के पहनने के कारण शरीर का पूरा वजन उंगलियां पर आ जाता है। इसके अलावा बहुत अधिक तंग जूते-सैंडिलें पहनने से पैरों की उंगलियां मुड जाती है। ऐसे जूते पैरों की मांसपेशियों को कमजोर बनाती हैं और "क्लॉ टो" जैसी समस्याओं को जन्म देती हैंसमय के साथ यह समस्या बढ़ती जाती है और कुछ समय बाद अस्थाई विकृति का रूप ले लेती है जिसे ठीक करने के लिए सर्जरी कराने की नौबत आ जाती है।


नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन तथा आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. राजू वैश्य कहते हैं कि हर व्यक्ति को अपने पैरों के अनुरूप सही माप के जूते एवं चप्पलों का ही प्रयोग करना चाहिए। ऐसा करने से पैरों से संबंधित अनेक समस्याओं को रोका जा सकता है। जिन जूते-चप्पलों के आगे के हिस्से बहुत पतले होते हैं या जिनमें बहुत अधिक हील होते हैं उन्हें लंबे समय तक पहने से पैर की उंगलियों में 'क्लॉ टो' या 'हैमर टो' के अलावा घुटने एवं कमर में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती है। हाई हील वाले जूते और सैंडिलों के कारण पैर के निचले गद्देदार हिस्से (फैट पैड) तथा पैर के आगे के हिस्से, खास तौर पर पैर की उंगलियों पर बहुत अधिक दवाब पड़ता हैहील जितनी अधिक होगी दवाब उतना ही अधिक होगा तथा पैर के निचले एवं आगे के हिस्से क्षतिग्रस्त होने की आषंका उतनी ही अधिक होगी।


एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में करीब 20 प्रतिशत लोग क्लॉ टो से प्रभावित हैं। उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या बढ़ती है। यह समस्या 70 साल या अधिक उम्र के लोगों में अधिक पाई जाती है। भारत में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार पुरूषों की तुलना में महिलाओं में यह समस्या चार से पांच गुना अधिक होती है। क्लॉ फुट वह स्थिति है, जिसमें पैरों की उंगलियां पक्षियों के नखों के समान अंदर की ओर मुड़ जाती हैं। क्लॉ फुट की समस्या जन्मजात भी हो सकती है, या आपकी उंगलियां उम्र बढ़ने के साथ अंदर की ओर मुड़ सकती हैं। कई बार पैरों की उंगलियों में संकुचन मांसपेशियों की कमजोरी, आर्थराइटिस या जन्मजात समस्याओं के कारण होता है, लेकिन इनमें से अधिकतर मामले टाइट जूतों के कारण होते हैंपैरों की उंगलियों की गतिशीलता के आधार पर क्लॉ टोज को वर्गीकृत किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं -लचीले और कठोरइसमें पंजों के अगले हिस्से के निचले भाग पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे दर्द हो सकता है और कॉर्न तथा कैलस विकसित हो सकते हैंडा. राजू वैश्य के अनुसार 'क्ला टो' का मुख्य कारण मधुमेह और गठिया (रूमेटाइड आर्थराइटिस) भी है।


भारत में क्ला टो का एक प्रमुख कारण गठिया है, खास तौर पर महिलाओं में। गठिया से ग्रस्त अनेक लोगों में क्लॉ टो के अलावा बुनियंस, कैलुसेस की भी समस्या उत्पन्न होती है। आरंभिक स्थिति में मरीज को कुछ विशेष एक्सरसाइज करने और खास डिजाइन किए शूज पहनने की सलाह दी जाती है ताकि दबाव को कम किया जा सके, लेकिन अगर उंगलियों में कड़ापन एवं विकृति ज्यादा हो तो सर्जरी की जरूरत पड़ती हैगठिया से ग्रस्त कई लोगों में पैरों की उंगलियों में कार्न दिखाई देने लगते हैं। जब कॉर्न का आकार बहुत बड़ा हो जाता है तो उन्हें काटकर निकालना पड़ता है'क्ला टो' होने पर में मुड़ी हुई उंगलियां में लचीलापन होता है लेकिन धीरे-धीरे ये सख्त हो जाती है और चलने में दिक्कत होने लग सकती है।


विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पैरों की उंगलियों पर लगातार दबाव पड़ता रहे तो पैरों की उंगलियों की यह विकृति कड़े क्लॉ टोज में बदल जाती है, जिसका उपचार करना अधिक कठिन होता है। क्लॉ फुट होने के कई कारण हैंटखनों की सर्जरी या चोट इसका एक कारण हो सकती हैक्षतिग्रस्त तंत्रिकाएं पैरों की मांसपेशियों को कमजोर कर देती हैं, जिससे पैरों का संतुलन गड़बड़ा जाता है और उंगलियां मुड़ जाती हैं। सूजन के कारण भी उंगलियां नखों की तरह मुड़ जाती हैं। इसके अलावा रूमेटाइड आर्थराइटिस भी प्रमुख कारण है। इस ऑटो इम्यून रोग में इम्यून तंत्र जोड़ों के स्वस्थ उतकों पर आक्रमण करता है, जिसके कारण जोड़ों की सबसे अंदरूनी परत सूज जाती है एवं जोड़ों में क्लॉ टोज होता हैन्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के कारण भी यह समस्या हो सकती हैयह एक जन्मजात विकृति है। जैसे सेलेब्रल पाल्सी मस्तिष्क के असामान्य विकास के कारण, मांसपेशियों की टोन प्रभावित होती है जिससे या तो वो बहुत कड़ी या बहुत ढीली हो जाती हैं। डायबिटीज- डायबिटीज के कारण पैरों की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिसके कारण इस प्रकार की विकृति होती हैस्ट्रोक- स्ट्रोक के कारण तंत्रिकाएं गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और आपकी मांसपेशियों को प्रभावित करती हैं, इनमें पैरों की मांसपेशियां भी सम्मिलित होती हैं।


Treatment of Claw Toes : इंडियन कार्टिलेज सोसायटी के अध्यक्ष डा. राजू वैश्य के अनुसार अगर इस रोग का पता जल्दी ही चल जाए और उपचार उपलब्ध हो जाए तो गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता हैअगर इसके साथ दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं जैसे डायबिटीज और रूमेटाइड आर्थराइटिस भी हैं तो उसका उपचार भी साथ में होगा। सर्जरी गंभीर मामलों में ही ही होती हैक्लॉ टो की समस्या की गंभीरता और उंगलियां की विकृति के आधार पर उपचार में दवाईयां, फिजियोथेरेपी और कुछ घरेलु उपाय सम्मिलित होते हैंऑपरेशन की जरूरत गंभीर मामलों में होती है


प्रसव से पहले और प्रसव के बाद व्यायाम कैसे करें 

आप किसी भी समय नियमित व्यायाम करती हैं, आपकी सेहत और आपकी कार्य क्षमता में सुधार होगा, एनर्जी लेवल बढ़ेगा और आपका मूड ठीक होगा, आपको अच्छी नींद आएगी और अपकी मांसपेशियों की ताकत में सुधार होगा। गर्भावस्था में भी अगर आप बेहतर तरीके से व्यायाम कार्यक्रम बनाती हैं तो इससे उसी तरह के लाभ होंगे। गर्भावस्था के पूर्व और बाद में नियमित व्यायामक करने से आपका स्वास्थ्य सुधरता है, अतिरिक्त वजन बढ़ने और पीठ दर्द होने के खतरे कम होते हैं और इससे यह प्रसव भी आसान बन सकता है। साथ में जन्म लेने वाले बच्चे के जीवन की स्वस्थ शुरूआत हो सकती है। हालांकि यह जरूरी है कि आप अपने चिकित्सक के साथ व्यायाम संबंधी आदत में किसी भी बदलाव के बारे में चर्चा करें ताकि आप गर्भावस्था के सही चरण पर सही व्यायाम करें। 
नीचे कुछ व्यायाम दिए गए हैं जिन्हें आप गर्भावस्था से पहले और बाद में अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कर सकती हैं। 


पूर्व प्रसव
मोटे तौर पर प्रसव पूर्व व्यायामों को गर्भावस्था के दौरान ट्राइमेस्टर के अनुसार परिवर्तित किया जाता है -
1. साँस लेने के व्यायाम अनिवार्य हैंः गर्भावस्था के दौरान, बढ़ते बच्चे के कारण डायाफ्राम फैल जाता है जिससे काम करने की आपकी क्षमता में कमी आती है और सांस लेने में दिक्कत होती है। इससे सांस की अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं जो मां और बच्चे दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए, गर्भवती महिलाओं के लिए श्वसन के व्यायाम बहुत जरूरी है। 


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2. पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने तथा पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के व्यायाम : प्रसवकाल के दौरान पेट को मजबूत करने और पीठ की मांसपेशियों को स्थिर करने वाले व्यायाम पर आपको जरूर ध्यान देना चाहिए। चूंकि कई बार हार्मोन में बदलाव के कारण पीठ के निचले हिस्से के आस-पास के क्षेत्र विशेष रूप से कमजोर हो जाते हैं, इसलिए पेट के सही व्यायाम करना महत्वपूर्ण है।
3. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से बचें : प्रसवपूर्व की फिटनेस के दौरान स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से बचें और पैरों और एड़ियों को मजबूत बनाने वाले व्यायाम पर अधिक ध्यान दें ताकि पैरों के निचले हिस्से में सूजन की समस्या से बचा जा सके। 
4. संतुलन बनाए रखने का प्रयास करें : प्रसवपूर्व व्यायायम करने के दौरान अपने शरीर का संतुलन बनाए रखना बहुत ही महत्वपूर्ण है। शरीर और संतुलन पर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है मां की शारीरिक मुद्राएं भी बदलती है। इसलिए बच्चे की सामान्य वृद्धि और सही मुद्रा बनाए रखने के लिए, शरीर का संतुलन बनाने रखने का प्रयास करना जरूरी है। 
प्रसव के बाद :
1. पेल्कि फ्लोर को वापस पूर्व स्थिति में लाना : मूत्राशय के कमजोर होने जैसी दीर्घकालिक समस्याओं से बचने के लिए पेल्विक फ्लोर को धीरे-धीरे पूर्व स्थिति में लाने के लिए काम करें। आप पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए कुछ केगेल व्यायाम का अभ्यास करके ऐसा कर सकती हैं। यह बच्चे के जन्म के बाद होने वाली मूत्र असंयम (इंकंटीनेंस) को रोकने में मदद करता है। केगल्स करने के लिए, योनि के आस-पास की मांसपेशियों को इस तरह से निचोड़ें मानो कि आप मूत्र के प्रवाह को रोकना चाहती हैं। इसे लगभग 10 सेकंड तक रोकें, सामान्य रूप से सांस लें और फिर धीरे-धीरे छोड़ें।
2. एब्स सिट-अप एक्सरसाइज से बचेंः बच्चे को जन्म देने के बाद कई महिलाएं डायस्टेसिस रेक्टी से पीड़ित हो जाती हैं। यह पेट की मध्य रेखा की चौड़ाई में वृद्धि है। यह स्थिति गर्भावस्था के दौरान और गर्भावस्था के बाद महिलाओं में काफी सामान्य और सामान्य है। इसलिए, एब सिट अप जैसी एक्सरसाइज से बचना जरूरी है जो पेट पर अधिक दबाव डाल सकती हैं।
3. अनुभवी प्रशिक्षक की निगरानी : प्रसव बाद व्यायाम के लिए एक उचित ट्रेनर की निगरानी या मार्गदर्शन जरूरी है। अनुभवी ट्रेनर आपको प्रभावी तरीके से अपनी पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करेगा।
4. शारीरिक मुद्रा और एलाइनमेंट को पूर्व स्थिति में लाना : बच्चा पैदा होने के बाद, शरीर कई बदलावों से गुजरता है; इसलिए शरीर के आकार को पूर्व स्थिति में वापस लोने के लिए अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है। देखभाल करने के दौरान पीठ और कंधे के दर्द जैसे संभावित चोट से बचने के लिए मुद्रा एलाइनमेंट पर ध्यान देना जरूरी है। 


अपने आहार में से कैसे करें चीनी कम 

Image Source : www.insider.com अक्सर आइसक्रीम की स्कूप के लिए तरसने या चॉकलेट खाने की लालसा करने में निश्चित रूप से कुछ भी गलत नहीं है। इसमें केवल एक ही चीज गलत है कि बहुत अधिक चीनी का स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव होता है और यह वजन घटाने के लिए हानिकारक हो सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि फल, सब्जियां और दूध और दुग्ध उत्पाद जैसी चीजों में स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले शर्करा, बाहरी शर्करा की तुलना में अधिक पौष्टिक होते हैं, क्योंकि उनमें महत्वपूर्ण विटामिन और पोषक तत्वों के साथ-साथ फाइबर और प्रोटीन भी होते हैं जो उनके पाचन को धीमा कर देते हैं और उन्हें ऊर्जा का अधिक स्थिर स्रोत प्रदान करते हैं।
खाद्य पदार्थों में स्वाभाविक रूप से पायी जाने वाली चीनी ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने और आपके समग्र स्वास्थ्य दोनों के लिए काफी फायदेमंद है, इसलिए अपने भोजन में बाहर से चीनी डालना बंद करें।
यहाँ मैं आपको खान-पान से संबंधित कुछ ऐसे सरल तरीकों के बारे में बता रही हूं जिससे आप अपने आहार में चीनी की कटौती कर सकते हैं :
1. न्यूट्रिशनल लेबल को सावधानी पूर्वक पढ़ें
आप कुछ सामान्य बातों का पालन कर अपने स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल कर सकते हैं जैसे कि आप क्या खा रहे हैं यह जानना जरूरी है। आप अपनी भूख मिटाने के लिए जिस खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाह रहे हैं उसके लेबल को ध्यान से देंखें। खाद्य पदार्थ पर लगे लेबल आपको पोषक तत्वों से भरपूर खाने के बारे में स्मार्ट विकल्प की तलाश करने में मदद करते हैं। चीनी को अक्सर अन्य नामों के रूप में भी लिखा जाता है इसलिए यह अवयव सूची को पढ़ने में समझदारी है। कुछ व्यंजनों में चीनी छिपी हुई होती है। उन्हें लेकर सतर्क रहें।
2. अपने नाश्ता को स्वादिष्ट बनाने के लिए फल और दालचीनी को शामिल करें
पैक किए गए अनाज, दही, चिप्स में अक्सर चीनी काफी मात्रा में होती है। आप इनमें शहद, मेपल सिरप या किसी अन्य स्वीटनर को डाल सकते हैं। लेकिन अगर सावधानी नहीं बरतेंगे तो आप अतिरिक्त चीनी डाल सकते हैं इसलिए इसके बजाय, सादे दही में ताजे फल और कुछ नट्स डालना एक अच्छा विचार है। आप अपने पारिज में एक छोटी चुटकी दालचीनी डालें। दालचीनी में चीनी नहीं होती है, लेकिन इसमें चीजों को मीठा बनाने की प्रवृत्ति होती है। स्वादिष्ट चीजों में हमेशा ढेर सारी चीनी नहीं होती है।
3. आप खुद जूस तैयार करें या फल खाएं, क्योंकि फल खाना अधिक बेहतर है
सभी संसाधित जूस स्वास्थ्यवर्द्धक नहीं होते हैं। वे चीनी पानी की तुलना में थोड़ा अधिक फायदेमंद होते हैं। इसलिए संषय में न पड़ें। कुछ मौसमी ताजा फल लें, इसे कच्चा खाएं या इससे ताजा जूस तैयार करें और इसमें चीनी और प्रीजर्वेटिव नहीं डालें।
4. मौसमी फल खाएं
प्रीजर्व किये गए और बेमौसमी फलों की तुलना में स्वादिष्ट ताजा मौसमी फलों जैसा कुछ नहीं है। इसलिए मौसमी फल खाने की आदत बना लें।
5. बेक करते समय या पुडिंग बनाते समय चीनी कम डालें
ज्यादातर मामलों में, आप अपने पसंदीदा व्यंजनों में चीनी की मात्रा में एक तिहाई की कटौती कर सकते हैं, या यहां तक कि आधा कर सकते हैं। चीनी की कम मात्रा से स्वादिश्ट, साथ ही अधिक स्वास्थ्यवर्द्धक डेजर्ट बन सकते हैं। इसलिए, जब आप अपने पसंदीदा खीर या कस्टर्ड पुडिंग को पकाने की योजना बनाते हैं, तो आप चीनी कम डाल सकते हैं।
6. कोला की बजाय एक गिलास पानी पीएं
इस बात पर बहस करना बेमानी है कि लोग कोला या पानी पीना पसंद करते हैं क्योंकि पानी की बजाय कोई भी पेय चीनी रहित नहीं होता है। सादे पानी के स्वास्थ्य लाभ स्पष्ट हैं। और, स्वाभाविक रूप से यह चीनी रहित है।
7. अपने दैनिक पेय में चीनी को शामिल न करें
रोजाना एक चम्मच चीनी के साथ कॉफी और चाय पीना लोगों की आदत होती है जो आपके वजन घटाने के लक्ष्यों में बाधा डाल सकती है। इसके बजाय, दूध का उच्च गुणवत्ता वाले चीनी रहित पेय बनाने की कोशिश करें।