कमर दर्द किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। यह समस्या 35 और 55 वर्ष के बीच आयु वर्ग के लोगों के बीच काफी आम है। एक अनुमान के अनुसार करीब 75 से 85 प्रतिशत लोगों को उनके जीवन काल में किसी न किसी रूप में कमर दर्द होता है।
कमर दर्द कई कारणों से हो सकता है जिनमें कमर की हड्डी में बीमारी, कमर की मांसपेशियों की कोई समस्या, डिस्क की समस्या, रीढ़ में चोट, ट्यूमर, टी.बी. या अन्य संक्रमण और दिमागी तनाव। हालांकि ज्यादातर मामलों में मांसपेशियों में समस्या के कारण ही कमर दर्द होता है। मांसपेशियों में खिंचाव, ठंड लगने, गलत तरीके से बैठने, ज्यादा देर तक काम करने, भारी सामान उठाने आदि कारणों से मांसपेशियों में समस्या आ सकती है।
फोर्टिस हास्पीटल, नौएडा तथा फोर्टिस एस्कार्ट हार्ट हास्पीटल, नई दिल्ली के ब्रेन एवं स्पाइन विभाग के निदेशक डा. राहुल गुप्ता बताते हैं कि उम्र बढ़ने के कारण डिस्क का पानी कम होता जाता है और कमर का लचीलापन घटता जाता है। कमर दर्द की समस्या से ग्रस्त करीब पांच से दस प्रतिशत लोगों में डिस्क के आसपास की नसों पर दबाव पड़ना शुरु हो जाता है। उम्र बढ़ने पर डिस्क का लचीलापन और पानी घटने के साथ ही डिस्क के बाहरी हिस्से का लिगामेंट भी ढीला पड़ जाता है। इससे थोड़ा सा वजन उठाने या हल्का झटका लगने पर डिस्क बाहर आ जाती है। इससे सायटिका का दर्द होता है। डिस्क बाहर निकल कर पीछे की तरफ फूल जाती है या नसों की तरफ निकल कर उन्हें दबाने लगती है। ज्यादा दबाव आने पर मरीज को कई बार लकवा मार देता है या मरीज टट्टी-पेशाब पर से नियंत्रण खो देता है।
कमर के किसी भी हिस्से में होने वाले दर्द को कमर दर्द कहा जाता है। यह आम तौर पर रीढ़ की मांसपेशियों, जोड़ों, नसों, हड्डियों या रीढ़ के अन्य हिस्सों से शुरू होता है। कमर दर्द हमारे पैरों एवं पीठ में भी जा सकता है और यह अवसाद (डिप्रेशन) और तनाव/चिंता जैसे अन्य कारकों से भी जुड़ा हो सकता है।
कमर दर्द की समस्या दिन भर काम करने वाली गृहणियों एवं ऑफिस में डेस्क पर बैठकर काम करने वाले कर्मचारियों को अधिक होती है। लेकिन कमर दर्द की समस्या से आजकल हर उम्र का व्यक्ति परेशान रहता है। आजकल बच्चों से लेकर बड़़े-बूढ़ों को भी कमर दर्द की शिकायत होती है। कमर दर्द का एक कारण अधिक देर तक एक ही अवस्था में बैठकर काम करना भी है। भारी वजन उठाने के कारण मांसपेशियों में अधिक खिंचाव आ जाता है जिससे कमर में दर्द हो जाता है। हमेशा ऊँची ऐडी की सैंडिल या जूतों को पहनने के कारण भी कमर में दर्द हो जाता है। कभी-कभी अधिक नर्म गद्दों पर सोने से भी कमर में दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है। अधिक देर तक ड्राइव करने के कारण भी लोगों को कमर में दर्द की शिकायत हो जाती है। बुजुर्गों के कमर में दर्द बढ़ती उम्र के कारण हो जाता है। जैसे-जैसे वृद्ध लोगों की उम्र बढती जाती है, वैसे-वैसे उनके जोड़ों में दर्द, कमर में दर्द तथा पीठ में दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
डा. राहुल गुप्ता के अनुसार कमर दर्द कई तरह से हो सकता है जैसे – अचानक तीव्र शुरुआत, लगातार लंबे समय तक दर्द, सुस्ती एवं दर्द, सुस्ती सहित दर्द, गहरी सनसनाहट, भेदने वाला तीव्र दर्द, गर्म या ठंडा महसूस होने के साथ कमर दर्द, कभी नहीं रुकने वाला लगातार दर्द, थोड़े समय के लिए आराम, उसके बाद फिर से दर्द का शुरू हो जाना, किसी खास हिस्से में दर्द और चारों तरफ फैलता हुआ दर्द।
कमर दर्द खतरनाक बीमारियों का संकेत हो सकता है
डा. राहुल गुप्ता बताते हैं कि आम तौर पर जब कमर दर्द होता है तो हम सोचते हैं कि शायद गलत वजन उठा लिया होगा या शायद गद्दा-बिस्तर ठीक नहीं है या हम गलत मुद्रा में बैठकर टीवी देख रहे थे। परंतु याद रहे कि कमर दर्द इतनी आसान समस्या भी नहीं है। सामान्य-सा प्रतीत होने वाला कमर दर्द किसी बड़ी मुसीबत का भी संकेत हो सकता है और अगर इसके सही कारण का पता नहीं चला और सही समय पर इलाज नहीं हुआ तो यह आपको जीवनभर के लिए विकलांग तक बना सकता है। कमर दर्द के कारण कई हो सकते हैं। डिस्क खिसक जाना, स्पोंडिलोसिस, कमर की हड्डी (मेरूदंड या बर्टिबा) में पैदाइशी विकृति, बढ़ी उम्र के कारण इन हड्डियों का कमजोर हो जाना आदि बहुत-से कारण तो वे हैं जो सीधे मेरूदंड की बीमारी से ताल्लुक रखते हैं। शरीर के किसी अंग में पनप रहा कैंसर भी कमर दर्द पैदा कर सकता है। कैल्शियम मेटाबॉलिज्म का नियंत्रण करने वाले सिस्टम (पैराथायरॉइड/ विटामिन डी/ किडनी आदि) की गड़बड़ी भी हड्डियों को कमजोर करके कमर दर्द पैदा कर सकती है। यह पढ़कर आपको डरने की जरूरत नहीं है बल्कि जागरूक और सावधान होने की जरूरत है।
कमर दर्द का उपचार
डा. राहुल गुप्ता के अनुसार कमर दर्द के इलाज के लिये सबसे पहले इसके कारणों का पता लगाया जाता है। कमर दर्द के कारणों की सही-सही और सबसे अधिक जानकारी मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग (एम.आर.आई.) से मिलती है। इससे यह पता चल जाता है कि किस नस पर कितना दबाव पड़ रहा है। आरंभिक स्थिति में कमर दर्द के इलाज के तौर पर चिकित्सक मरीज को आराम करने तथा व्यायाम करने की सलाह देते हैं। कई चिकित्सक मरीज को टै्रक्शन लगाने की भी सलाह देते हैं। लेकिन मरीज को कमजोरी, सुन्नपन और पेशाब करने में दिक्कत होने पर आपात स्थिति में ऑपरेशन करने की जरुरत पड़ जाती है। ऑपरेशन कई तरीकों से की जाती है। ऑपरेशन के दौरान दोनों तरफ की हड्डी या एक तरफ की हड्डी को काटकर उसमें छेद कर दिया जाता है। कमर दर्द के कारगर एवं कष्टरहित इलाज की खोज के लिये दुनिया भर में अध्ययन-अनुसंधान चल रहे हैं। इनकी बदौलत कमर दर्द के इलाज की अनेक कारगर एवं कष्टरहित विधियां एवं तकनीकें उपलब्ध हो गयी हैं। रीढ़ की सर्जरी पूरी तरह से सुरक्षित होती है। सर्जरी से कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होता है। सर्जरी के 95 प्रतिशत से अधिक मामले सफल साबित होते हैं लेकिन सर्जरी सेंटर अच्छा होना चाहिए जहां योग्य एवं कुशल सर्जन हों तथा सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हों।
डा. राहुल गुप्ता के बारे में
डा. राहुल गुप्ता नौएडा स्थित फोर्टिस हास्पीटल तथा नई दिल्ली स्थित फोर्टिस-एस्कार्ट हास्पीटल एंड रिसर्च सेंटर में न्यूरो सर्जरी विभाग के निदेशक हैं। उन्होंने जापान के नागोया विश्वविद्यालय से इंडोवैस्कुलर प्रक्रियाओं में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनके पास अनेक सरकारी संस्थाओं में फैकल्टी के रूप में काम करने का व्यापक अनुभव है।
उन्होंने रोहतक स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कालेज से एमबीबीए एवं एमएस (जनरल सर्जरी) तथा चंडीगढ स्थित पीजीआईएमईआर से एमसीएच (न्यूरोसर्जरी) की उपाधि हासिल की। इसके बाद नागोया, जापान स्थित यूनिवर्सिटी आफ मेडिकल साइंसेस से सुगिता स्कॉलर प्राप्त किया। वह पीजीआईएमईआर (चंडीगढ) तथा जी बी पंत हास्पीटल (दिल्ली) में सहायक प्रोफेसर एवं अतिरिक्त प्रोफेसर रह चुके हैं।