युवाओं का दिल अधिक जोर से धड़कता है इसलिए उनमें डायस्टोलिक (निचला रक्तचाप) अधिक होता है। वहीं, बुजुर्गों में सिस्टोलिक (ऊपरी रक्तचाप) अधिक होता है। ऐसा इस उम्र में धमनियों के सख्त होने के कारण होता है। पहले रक्यतचाप को केवल बुजुर्गों की बीमारी समझा जाता था और ऐसा माना जाता था कि युवाओं को यह रोग नहीं हो सकता। लेकिन, आज तस्वीर ऐसी नहीं है। मोटापे और बदली हुई जीवनशैली के कारण युवा भी उच्च रक्तचाप के शिकार हो रहे हैं।
कैसे करें रक्तचाप को नियंत्रित
युवाओं को रक्तचाप पर काबू करने के लिए अपने जीने के अंदाज को बदलना चाहिए। इसके साथ ही यदि आवश्यकता हो तो दवाओं का भी सेवन करना चाहिए।
अगर आप मोटे हैं अथवा आपका वजन सामान्य से अधिक है, तो उसे घटाने का प्रयास करें। अपने कद के हिसाब से ही शरीर का वजन रखें। इसके लिए आप किसी विशेषज्ञ से मदद ले सकते हैं।
आहार योजना
आप अपने आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जो पोषक तत्वों से भरपूर हों। आपको फल, सब्जियां और कम वसा वाले दुग्ध उत्पादों का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही अधिक वसायुक्त आहार से भी आपको दूर रहना चाहिए।
नमक का कम करें सेवन
यदि आप रक्तचाप को काबू करना चाहते हैं अथवा उच्च रक्तचाप से बचना चाहते हैं, तो बहुत जरूरी है कि आप नमक का सेवन कम करें। खाने में नमक कम करना भी किसी दवा की भांति ही असर दिखाता है।
व्यायाम दिलाये आराम
आपको नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। इसके साथ ही अगर आप चाहें तो किसी शारीरिक गतिविध में जरूर संलग्न रहें। रोजाना कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करना आपके रक्तचाप को काबू में रखने का काम करता है। इसके अलावा इससे आपकी संपूर्ण सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अल्कोहल का सेवन करें कम
यदि आप अल्कोहल का सेवन बंद कर सकें तो बहुत अच्छा, नहीं तो कम से कम इसकी मात्रा पर जरूर काबू रखें। रोजाना दो पैग से ज्यादा शराब का सेवन करना पुरुषों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, वहीं महिलाओं को एक पैग से ज्यादा शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि जीवनशैली में परिवर्तन करने के बाद भी आपका रक्तचाप नियंत्रित न हो, तो आप दवाओं का सहारा लें। इसके लिए आप समय रहते चिकित्सक से मिलें। बाजार में उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए कई दवायें मौजूद हैं। लेकिन, दवाओं के साथ-साथ जीवनशैली के सकारात्मक बदलावों को भी अपनाये रखें। युवा अगर इलाज न करवायें अथवा अपने रक्तचाप को काबू में न रखें, तो भविष्य में उन्हें कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए उन्हें इसी उम्र में अपने रक्तचाप को काबू करने के प्रयास करने चाहिए और सकारात्मक जीवनशैली अपनानी चाहिए।
युवाओं में उच्च रक्तचाप के जोखिम कारक
उच्च रक्तचाप किसी भी उम्र में हो यह हमेशा ही खतरनाक होता है। ऐसे में कुछ ऐसे जोखिम कारकों के बारे में जानना जरूरी है जो आपके रक्तचाप को बढ़ा सकते हैं।
मोटापा अथवा अधिक वजन
मोटापा और अधिक वजन उच्च रक्तचाप का एक महत्वपूर्ण कारक है। इसके कारण आपके दिल पर अधिक जोर पड़ता है। इसलिए यदि आप उच्च रक्तचाप के खतरे को कम करना चाहते हैं तो अपने शरीर पर जमा अतिरिक्त चर्बी को कम कीजिए।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम
यह कई जोखिम कारकों का मेल है, जिनमें कमर और छाती पर अधिक चर्बी, उच्च कोलेस्ट्रॉल और इनसुलिन प्रतिरोधकता शामिल होते हैं। ये जोखिम कारक, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारियां और डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देते हैं।
पारिवारिक इतिहास
यदि आपके परिवार अथवा नजदीकी संबंधी में से किसी को उच्च रक्तचाप की शिकायत है, तो आपको भी यह बीमारी होने का खतरा होता है। ऐसे में आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
तनाव और चिंता
तनाव और चिंता रक्तचाप को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आजकल युवाओं में तनाव आम हो गया है। काम और निजी जीवन की भागमभाग के चलते उनका रक्तचाप सामान्य से अधिक हो जाता है। उन्हें इसे काबू में करने का प्रयास करना चाहिए। योग, ध्यान और प्राणायाम आदि के जरिये वे तनाव को कम कर उच्च रक्तचाप के खतरे को भी घटा सकते हैं।
डॉक्टरी सलाह को नजरअंदाज न करें
यदि आपके डॉक्टर के अनुसार आपको उच्च रक्चाप है, तो किसी भी सूरत में उस सलाह को नजरअंदाज न करें। यदि उच्च रक्तचाप का इलाज न करवाया जाए, तो आपके स्वास्थ्य को कई खतरे हो सकते हैं। आजकल बाजार में उच्च रक्तचाप की प्रभावकारी दवायें मौजूद हैं। अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें और उस हिसाब से अपने जीवन में जरूरी बदलाव लाएं।