आप अगर यह सोच रहे हैं कि आपकी उम्र कम है और इसलिए आपको ब्रेन स्ट्रोक को लेकर चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है तो आप गलती कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसारए लगभग 15 से 20 प्रतिशत स्ट्रोक 30 से 50 साल की उम्र में होते हैं। इसलिए आपको ब्रेन स्ट्रोक होने के खतरे को लेकर सतर्क होने की जरूरत है। डॉक्टर युवा पीढ़ी को अपना उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, मोटापे को नियंत्रित करने और शराब और धूम्रपान छोड़ने के लिए अपील कर रहे हैं क्योंकि ये सभी उनके जीवन में कम उम्र में ही ब्रेन स्ट्रोक पैदा करने वाले मुख्य कारक हैं। इस समस्या से बचने का सबसे अच्छा समाधान स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना, संतुलित आहार का सेवन करना, तैलीय खाद्य पदार्थों का कम सेवन करना, रिलैक्स करना, नियमित रूप से व्यायाम करना और किसी प्रकार की लत से बचना है।
युवाओं में स्ट्रोक बढ़ने का एक बड़ा कारण शायद मोटापा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 20 साल पहले की तुलना में आज एमआरआई की मदद से ब्रेन स्ट्रोक की पहचान अधिक हो रही है। एमआरआई की मदद से स्ट्रोक के बाद मस्तिष्क में शुरुआती परिवर्तन का पता लग जाता है। एमआरआई ऐसी तकनीक है जिसका 20 साल पहले व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता था।
स्ट्रोक क्या है
स्ट्रोक या ब्रेन अटैक तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में बाधा आती है जिसके कारण न्यूरोलॉजिकल कार्यकलापों में अचानक कमी आ जाती है। ब्रेन स्ट्रोक के कारण चेतना के स्तर में परिवर्तन के साथ—साथ मोटरए संज्ञानात्मकए संवेदनाए चेतना और भाषा संबंधी दिक्कतें होती हैं।
स्ट्रोक के प्रकार :
स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं. इस्किमिक और हेमोरेजिक। इस्किमिक स्ट्रोक रक्त आपूर्ति में बाधा पहुंचने के कारण होता हैए जबकि हेमोरेजिक स्ट्रोक रक्त वाहिका के फटने या असामान्य वैस्कुलर संरचना के कारण होता है। सभी स्ट्रोकों में से लगभग 87 प्रतिशत स्ट्रोक इस्किमिया के कारण होते हैं, और शेष रक्तस्राव के कारण होते हैं।
इसके अलावा एक अन्य प्रकार का भी स्ट्रोक होता है जिसे ट्रांसियेंट इस्किमिक अटैक ;टीआईएद्ध कहा जाता है जो इस्किमिक स्ट्रोक के समान होता है। इसके लक्षण आम तौर पर एक घंटे से कम समय में ही पूरी तरह से स्पष्ट हो जाते हैंं।
ज्यादातर टीआईए केवल पांच या दस मिनट के लिए होते हैं। चूंकि इस तरह के स्ट्रोक बहुत छोटे और दर्दनाक नहीं होते हैंए इसलिए उन्हें अक्सर रोगियों के द्वारा अनदेखा कर दिया जाता है। हालांकि, स्ट्रोक पड़ने से कुछ दिन या कुछ हफ्ता पहले टीआईए हो सकता है और इसलिए टीआईए को चेतावनी संकेत माना जाता है। टीआईए वाले मरीजों को जल्द से जल्द व्यापक मूल्यांकन करना चाहिएए क्योंकि कभी—कभी जांच में अंतर्निहित समस्या का पता चलता है जिसका इलाज किया जा सकता है और स्ट्रोक पर काबू पाया जा सकता है।
स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों की पहचान करें
स्ट्रोक के शुरुआती संकेतों को पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है। स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने के तरीकों को सीखना और इसकी पहचान करना काफी आसान है।
फास्ट — एफएएसटी : स्ट्रोक के शुरुआती संकेतों को याद रखने में आपकी मदद करने के लिए एक संक्षिप्त शब्द।
चेहरे का लटकना — फेस ड्रापिंग : चेहरा एक तरफ से लटक जाता है या सुन्न पड़ जाता है। जब व्यक्ति को मुस्कुराने के लिए कहा जाता हैए तो व्यक्ति की मुस्कुराहट असामान्य दिखती है।
हाथ में कमजोरी — आर्म विकनेस : एक हाथ में कमजोरी या सुन्नपन महसूस होगा। जब व्यक्ति को दोनों हाथ उठाने के लिए कहा जाता हैए तो व्यक्ति का एक हाथ नीचे की तरफ गिर जाता है।
बोलने में कठिनाई — स्पीच डिफिकल्टी : व्यक्ति को बोलने में परेशानी होगी। आवाज लड़खड़ाने लगी या उसके द्वारा बोले गये शब्दों को समझना मुश्किल होगा। जब व्यक्ति को एक साधारण वाक्य दोहराने के लिए कहा जाता है तो उसे सही ढंग से दोहराने में परेशानी होगी।
एम्बुलेंस मंगाए — टाइम टू कॉल एम्बुलेंस : यदि व्यक्ति में उपर्युक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण प्रकट होता है तो एम्बुलेंस को बुलाएं और मरीज अस्पताल ले जाएं। उस समय को दर्ज करें जब लक्षण पहली बार प्रकट हुए थे।
इस्किमिक स्ट्रोक का इलाज करने के लिए मानक तरीका रोगी को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना है। रोगी के अस्पताल आने के 60 मिनट के अंदर उसे क्लॉट को घुलाने वाली दवा — टिशू प्लास्मिनोजेन एक्टिवेटर या टीपीए दी जाती है जो संभावित रूप से स्ट्रोक के लक्षणों को खत्म कर सकता है।
स्ट्रोक के इलाज और रोकथाम में मदद करने के लिए सर्जरी के कई विकल्प हैं। कुछ सर्जरी का इस्तेमाल इस्किमिक स्ट्रोक के इलाज और रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण धमनियों से प्लेक को हटाने में मदद के लिए किया जाता है। अन्य प्रकार की सर्जरी का इस्तेमाल मस्तिष्क के रक्तस्राव — हेमोरेजिक स्ट्रोक को रोकने या बंद करने के लिए किया जाता है। हर प्रकार की सर्जरी अपने जोखिम और फायदे होते हैं और इसलिए आपको आपका इलाज कर रहे चिकित्सक के साथ विशेष परिस्थितियों पर चर्चा करना चाहिए।
स्ट्रोक से बचने के उपाय
— शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
— बेहतर प्रबंधन के लिए नियमित रूप से योग का अभ्यास करें।
— अधिक कैलोरी, अधिक मीठी और अधिक नमकीन खाद्य पदार्थों को न कहें क्योंकि स्ट्रोक का जोखिम काफी हद तक आपके आहार और आपकी जीवनशैली पर निर्भर करता है।
— 30 वर्ष के होने पर हर साल स्वास्थ्य की जांच कराएं।
चेतावनी . स्ट्रोक में आनुवांशिक प्रवृत्ति होती है। किसी परिवार में स्ट्रोक होने पर स्ट्रोक होने की संभावना लगभग 8 प्रतिशत बढ़ जाती है। इन लोगों को अतिरिक्त सावधान रहना होगा।