आधुनिक जीवनश्ौली और छोटी उम्र में काम के तनाव के कारण युवकों में हृदयरोग का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। दिल के दौरे के खतरे अब षहरी और अमीर युवकों तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि ये खतरे ग्रामीण और गरीब युवकों में भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
आंकड़े बताते हैं कि भारत में 40 प्रतिषत से अधिक हृदय रोगी 50 साल से कम उम्र के हैं और 25 प्रतिषत से अधिक हृदय रोगी 40 वर्श से कम उम्र के हैं। यही नहीं, अब 20 से 25 साल के युवा भी दिल के रोग की चपेट में हैं। गले व पेट में दर्द की षिकायत वाले कई लोगां की ईसीजी के बाद पता चलता कि वे दिल के मरीज हैं।
सुप्रसिद्ध हृदय रोग विषेशज्ञ पद्म विभूशण डा. पुरूशोत्तम लाल का कहना है कि गांवां के तेजी से शहरीकरण होने के कारण ग्रामीण युवा भी दिल के रोगां से अधिक दूर नहीं रह गए हैं। जहां शहरी युवाओं का बॉडी मास इंडेक्स 24 है वहीं ग्रामीण युवाओं का 20 पाया गया है। ग्रामीण युवा नौकरी और अच्छे जीवन की तलाष में तेजी से शहरां की ओर पलायन कर रहे हैं। षहरों के नए वातावरण में वे पहले की अपेक्षा अधिक आरामतलब जिंदगी जीने लगते। यहां वे अधिक कैलोरी वाले आहार लेने लगते हैं। धूम्रपान और शराब का सेवन भी षुरू कर देते हैं। फास्ट फूड के रूप में अधिक नमक और वसा खाने लगते हैं। जिसके कारण कम उम्र में ही उनके रिस्क फैक्टर में काफी इजाफा हो जाता है और कम उम्र में वे उच्च रक्तचाप, अधिक कोलेस्ट्रॉल, मोटापा आदि की समस्या से पीड़ित हो जाते हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि शहरी लोगां की शादीशुदा जिंदगी में तनाव और नौकरी से असंतुष्टि दिल के दौरे का सबसे बड़ा कारण बन गया है।
मैट्रो हास्पीटल्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट्स (नौएडा) के मुख्य इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट तथा मैट्रो गु्रप ऑफ हास्पीटल्स के चेयरमैन डा. पुरूशोत्तम लाल ने बताया कि लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव जहां लोगां को दिल की बीमारियां की सौगात दे रहा है, वहीं शादीशुदा जिंदगी में मनमुटाव और मनपसंद जॉब न मिलने या काम का ज्यादा दबाव दिल के दौरे की वजह बन रहा है। यही कारण है कि अमेरिका में सोमवार की सुबह लोगां को सबसे ज्यादा हार्ट अटैक होते हैं। अध्ययन के मुताबिक, पति-पत्नी के बीच जब 'वो' यानी किसी तीसरे शख्स का दखल बढ़ जाता है, तब भी हार्ट अटैक होने की आशंका बढ़ जाती है क्यांकि ऐसे लोग हर समय एक तरह के डर के साये में जीते हैं।
सबसे अधिक एंजियोप्लास्टी एवं स्टेंटिंग करने का श्रेय हासिल करने के लिये इंडियन मेडिकल एसोसिएषन की ओर से सम्मानित डा. पुरूशोत्तम लाल ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो में पेश्ोगत कार्यो से संबंधित तनाव, कार्य के घंटे बढ़ने और गलत रहन-सहन एवं खान-पान, धूम्रपान, फास्ट फूड और व्यायाम नहीं करने जैसे कारणां से युवाओं में दिल के दौरे एवं हृदय रोगां का प्रकोप तेजी से बढ़ रहे है जबकि पहले ये बीमारियां अधिक उम्र में होती थी। उन्हांने बताया कि पिछले कुछ समय से कम उम्र के वैसे मरीज अधिक संख्या में आ रहे हैं, जो वेतन और अन्य सुविधायें तो अधिक पा रहे है, किन्तु तनावपूर्ण कार्य स्थितियां एवं गलत खान-पान एवं रहन-सहन के कारण उच्च रक्तचाप एवं दिल की बीमारियां के भी षिकार हो रहे है।
नयी दिल्ली, नौएडा, मेरठ, आगरा, फरीदाबाद आदि षहरों में काम कर रहे मेट्रो गु्रप ऑफ हास्पीटल्स समूह के चेयरमैन डा. लाल बताते हैं कि लंबे समय तक तनाव में रहने अथवा लंबे समय तक विपरीत एवं तनावपूर्ण कार्यस्थितियां में कार्य करने के कारण एड्रनिल एवं कोर्टिसोल जैसे हार्मोनां का स्तर बढ़ जाता है और इससे रक्तचाप बढ़ने, हृदय की रक्त नलियां में रक्त के थक्के बनने और दिल के दौरे पड़ने के खतरे बढ़ जाते है।
डा. बी. सी. राय राश्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित डा. लाल कहते हैं कि आनुवांषिक तौर पर भी भारतीयां को हमेशा से ही दिल के रोग का जोखिम होता है। अमेरिकियां के मुकाबले भारतीयां को दिल का रोग होने का जोखिम 3-4 गुना, चीनियां के मुकाबले 6 गुना और जापानियां के मुकाबले 20 गुना अधिक होता है। अब 45 वर्ष से कम उम्र के भारतीयां में एक्यूट मायोकार्डियल इंफ्राक्शन (एएमआई) के 25-40 प्रतिशत मामले दर्ज किए जा रहे हैं। हृदय रोग के प्रमुख कारण धूम्रपान, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और मधुमेह हैं।
विष्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अध्ययन के अनुसार देश में सबसे ज्यादा दिल के रोगी केरल के बाद दिल्ली में हैं। इनमें भी मध्यम वर्ग के लोग सबसे ज्यादा हैं। क्यांकि अमीर लोग फिट रहने के लिए दिल खोलकर पैसे खर्च करते हैं और गरीब षारीरिक काम इतना ज्यादा करते हैं कि उन्हें दिल की बीमारी होने का खतरा काफी कम होता है। लेकिन कम समय में ज्यादा पाने की होड़ में लगे मध्य वर्ग के लोग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं और बीमारी के षिकार बन रहे हैं। जबकि आहार और व्यायाम पर ध्यान देने से दिल की बीमारी पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। डा. लाल का कहना है कि लोग हृदय रोग को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं जिसके कारण दिल के दौरे की नौबत आ जाती है। छोटे शहरां में यह प्रवृत्ति खतरनाक है। हृदय रोग से बचने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रकृति के नजदीक रहें, खाने में फल-सब्जियां को प्राथमिकता दें और नियमित रूप से व्यायाम करें। रोग से बचाव के लिए जीवन श्ौली को व्यवस्थित करना खान-पान व रहन-सहन में सावधानी और नियमां का पालन करना जरूरी हो गया है।
युवाओं में बढ़ रहे हैं दिल के दौरे
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