युवाओं में आम है गुर्दे एवं मूत्रांगों की पथरी

रक्त को शुद्ध करने के लिये फिल्टर का काम करने वाले गुर्दे और रक्त के गंदे अवशेष को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालने वाले मूत्रांगों में पथरी की समस्या अत्यंत व्यापक है। 20 से 40 साल उम्र के लोगों में गुर्दे एवं मूत्रीय प्रणाली में पथरी की समस्या आम है। 
गुर्दे एवं मूत्रांगों में पथरी के अनेक कारण हैं लेकिन कुछ जीवाणुओं का संक्रमण गुर्दे की पथरी का प्रमुख कारण हैं। जीवाणुओं के संक्रमण के अलावा बहुत अधिक कैल्शियम एवं आक्जिलेट ग्रहण करने, पारा थायरायड में गड़बड़ी एवं आनुवांशिक कारणों से भी गुर्दे एवं मूत्रीय प्रणाली में पथरी हो सकती है। गर्म प्रदेशों में रहने वाले लोगों को गुर्दे एवं मूत्रांगों में पथरी होने का खतरा बहुत अधिक रहता है। इसके अलावा कुछ लोगों की आंत में कैल्शियम अवशोषित करने की क्षमता बहुत अधिक होती है। यही अवशोषित कैल्शियम मूत्र की थैली अथवा मूत्र नली में पथरी पैदा करता है। 
आहार के जरिये शरीर में पहुंचने वाले कैल्शियम के अधिकांश हिस्से मूत्र के जरिये शरीर से बाहर निकल जाते हैं लेकिन इसका एक हिस्सा गुर्दे या मूत्रांगों में जमा होकर पथरी का रूप ग्रहण कर सकता है। 
गुर्दे एवं मूत्रांगों में पथरी की रोकथाम के लिये अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिये। सेब, संतरे, चीज, चाॅकलेट, कोका, काॅफी, आईसक्रीम जैसे आक्जेलेट्स से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करना चाहिये। पथरी के मरीजों को अधिक मात्रा में नींबू-पानी पीना चाहिये ताकि मूत्र में मौजूद कैल्शियम की मात्रा कम हो जाये। 
गुर्दे के आसपास दर्द, पेशाब के रास्ते खून निकलने, पेशाब में जलन, ठंड लगकर बुखार आने और रक्तचाप बढ़ने जैसे लक्षण गुर्दे एवं मूत्रांगों में पथरी के संकेत हो सकते हैं। 
गुर्दे एचं मूत्रांगों में पथरी की जांच एक्स रे, अल्ट्रासाउंड तथा आई.वी.पी. के जरिये आसानी से हो सकती है। जरूरत पड़ने पर पथरी की जांच के लिये पोलेराइजिंग माइक्रोस्कोप, एक्स-रे डिफ्रैक्शन एवं इंफ्रारेड तथा थर्मल विश्लेषण की भी मदद ली जा सकती है।
एक समय गुर्दे एवं मूत्रांगों में मौजूद पथरी को निकालने के लिये सर्जरी करनी पड़ती थी लेकिन अब लेजर की मदद से चीर-फाड़ के बगैर पथरी बाहर निकाली जा सकती है। इसके लिये सूक्ष्म दूरबीन यूरोस्कोप की निगरानी में लेजर के जरिये पथरी को घुला दिया जाता है। लेजर के प्रभाव से पथरी बारीक कणों के घोल में बदल जाती है जिसे लिथोट्रिप्सी से सोख लिया जाता है। अगर पथरी छोटे आकार की हो तो उसे लेजर के जरिये ही वाष्पित कर दिया जाता है। 
गुर्दे एवं मूत्रांगों की लेजर चिकित्सा की आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त नार्थ प्वांइट हास्पीटल में लेजर की मदद से सैकड़ों मरीजों के गुर्दे एवं मूत्रांगों की पथरी निकाल चुके डा. भार्गव बताते हैं कि लेजर की मदद से पथरी के अलावा गुर्दे एवं मूत्रांगों के अन्य विकारों की भी चिर-फाड़ के बगैर कारगर चिकित्सा की जा सकती है। लेजर की मदद से मूत्रांगों में कैंसर, स्ट्रिक्चर, सिस्ट और बढ़े हुये प्रोस्टेट की भी चिकित्सा की जा सकती है।