उन्नत, सुकोमल, सुडौल एवं सुगठित स्तन नारीत्व की सशक्त अभिव्यक्ति है। नारी के स्तन हमेशा से सौंदर्य के प्रतीक माने जाते रहे हैं। यही कारण है कि प्राचीन समय से ही स्तन मूर्तिकारों, चित्रकारों एवं कवियों के पसंदीदा विषय रहे हैं। विपरीत लिंग के लिये सुडौल एवं विकसित स्तन शक्तिशाली चुम्बक के समान होता है। स्त्री के सौंदर्य एवं यौनाकर्षण के मामले में मुखाकृति के बाद स्तन को ही महत्व प्राप्त है। यही कारण है कि किशोरावस्था में कदम रखते ही हर स्त्री का मन अपने स्तन के रूप और आकार को लेकर बेचैन हो उठता है और वह हर दृष्टि से आदर्श एवं आकर्षक स्तन पाने को लालायित हो उठती है। यूं तो नैन-नक्श की तरह ही स्तन के रूप और आकार भी स्त्री के आनुवांशिक गुण और उसकी आंतरिक हार्मोनल बनावट पर निर्भर करते हैं। इसे किसी तरह की दवा, क्रीम, तेल या वनस्पतियों के लेप से बढ़ाया-घटाया नहीं जा सकता। हालांकि छोटे स्तन के कारण यौनसुख, प्रजनन क्षमता एवं मातृत्व कर्तव्य के मार्ग में कोई बाधा नहीं पहुंचती है इसलिए इसे लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। लेकिन आज के समय में महिलाओं में सौंदर्य की होड़ एवं ललक बढ़ने के कारण ज्यादातर महिलायें अपने कम उभरे एवं अविकसित स्तन को लेकर कुंठित रहती हैं। हालांकि कुछ उपायों एवं एहतियातों की बदौलत अपने स्तन की शोभा एवं आकर्षण को अस्थायी तौर पर निखारा जा सकता है, लेकिन अब कॉस्मेटिक सर्जरी के क्षेत्र में विकसित सिलिकॉन एवं पानी के इंप्लांट की मदद से महिलायें अपने वक्ष को उन्नत एवं विकसित बना कर अपनी सुंदरता में चार चांद लगा सकती हैं।
नयी दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ कॉस्मेटिक सर्जन डा.पी.के.तलवार के अनुसार इस ऑपरेशन के बाद मरीज को एक दिन अस्पताल में रहने की जरूरत पड़ती है। इस सर्जरी के जरिये बढ़ाये गये स्तन बिल्कुल प्राकृतिक स्तन की तरह प्रतीत होते हैं। वे सुडौल एवं मुलायम होते हैं और छूने से भी स्तनों में इंप्लांट लगाने का आभास नहीं होता है। स्तन का ऊतकीय विकास वयःसंधिकाल में ही पूरा हो जाता है, लेकिन शरीर पर चर्बी बढ़ने या घटने के साथ उनके आकार में वृद्धि या कमी हो सकती है। किसी व्यक्ति में चर्बी शरीर के किस भाग में अधिक चढ़ती है, यह उसके आनुवांशिक गुण पर निर्भर करता है, खासकर स्त्रियों में इसका वक्ष-आकार से सीधा संबंध है। स्तन के भीतर खास तरह के ऊतक और चर्बी होते हैं और चर्बी की मात्रा में फेर-बदल हो सकता है।
नयी दिल्ली के कॉस्मेटिक सर्जरी सेंटर के निदेशक डा.पी.के.तलवार के अनुसार स्तन के आकार मंे न ही किसी व्यायाम अथवा व्यायाम उपकरण के जरिये वृद्वि की जा सकती है और न ही अधिक बड़े स्तन के आकार में कमी की जा सकती है। इसका एकमात्र उपाय इनकी प्लास्टिक सर्जरी करवाना है। स्तन के आकार में वृद्वि के लिए प्लास्टिक सर्जरी का सहारा तभी लिया जाना चाहिये जब लड़की की उम्र 17-18 साल से अधिक हो जाये क्योंकि इस उम्र तक स्तन का प्राकृतिक विकास पूरा हो जाता है।
डा.पी.के. तलवार बताते हैं कि स्तन के आकार में वृद्धि के लिये स्तन के भीतर सिलिकॉन अथवा पानी के कृत्रिम वक्ष प्रत्यारोपित किये जाते हैं। आम तौर पर ये कृत्रिम वक्ष जिंदगी भर चलते हैं और फूटते नहीं हैं। सर्जरी से उन्नत बनाये गये स्तन से बच्चों को दूध पिलाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है। मौजूदा समय में विकसित देशों में स्तन के आकार में वृद्धि के लिये इंप्लांट का प्रचलन बहुत अधिक हो गया है। अमरीका में तकरीबन बीस लाख से अधिक महिलाओं ने इंप्लांट के जरिये अपने स्तन को आकर्षक आकार दिया है।
सौंदर्य विशेषज्ञों के अनुसार कॉस्मेटिक सर्जरी की मदद से स्तन के आकार में स्थायी तौर पर बढ़ोतरी करने के अलावा कुदरत से मिले अपने स्तन के स्वभाविक सौंदर्य को उजागर करने के लिये कुछ उपायों का सहारा लिया जा सकता है। स्वस्थ एवं सुंदर स्तन के लिये पौष्टिक आहार लेना एवं नियमित व्यायाम करना सबसे आवश्यक है। विशेषज्ञों की सलाह लेकर विशिष्ट लोशनों एवं क्रीमों की नियमित मालिश से वक्ष के संौंदर्य को बढ़ाने एवं उसकी त्वचा को कोमल रखने में मदद मिल सकती है। लेकिन किसी तेज एस्ट्रिंजंेट का प्रयोग नहीं करना चाहिये क्योंकि स्तन की त्वचा कोमल एवं संवेदनशील होती है। सौंदर्य विशेषज्ञों की राय में वक्ष पर ठंडे दूध के छपाके मारने, ठंडे पानी से वक्ष पर नियमित फुहार छोड़ने तथा दही से मालिश करने से स्तन में सुडौलता एवं कसाव बनी रहती है। स्तन पर किसी तेल या मलहम से मालिश करने के दौरान यह सावधानी रखनी चाहिये कि मालिश बहुत हल्के हाथों से बिना अधिक दबाव डाले नीचे से ऊपर की तरफ करनी चाहिये। मालिश के बाद कम से कम आधे घंटे के बाद स्नान करना चाहिये। मालिश के तुरंत बाद कभी नहीं नहाना चाहिये। जिन महिलाओं के स्तन में किसी तरह की त्रुटि या भद्दापन हो उन्हें कुंठा पालने के बजाय उचित साइज एवं किस्म की ब्रा पहननी चाहिये। कई महिलायें अपना वजन कम करने तथा छरहरा दिखने के लिये अंधाधुंध डायटिंग करती हैं। लेकिन ऐसा करने से स्तन का सौंदर्य बिगड़ जाता है तथा स्तन ढीले होकर लटक सकते हैं। इसलिये किसी चिकित्सक से परामर्श करके ही डायटिंग करनी चाहिये।