उल्टा निप्पल विकृति एक बेहद आम विकृति है। यह विकृति लगभग 30 महिलाओं में से एक महिला में होती है। यह समस्या न केवल शर्मिंदगी और कम आत्म सम्मान का कारण बन सकती है बल्कि इसके कारण स्तनपान कराना भी मुश्किल या असंभव हो सकता है। ऐसा अक्सर दोनों स्तनों में होता है लेकिन कुछ रोगियों में केवल एक ही उल्टा निप्पल हो सकता है। समस्या की बेहतर समझ और इसके लिए उपलब्ध समाधान के बारे में महिलाओं को जानकारी प्रदान कर सकते हैं और वे अनावश्यक पीड़ा से बच सकती हैं।
उल्टा निप्पल का क्या कारण होता है?
निप्पल दूध नलिकाओं और मुलायम मांसपेशी कोशिकाओं से बना होता है। 'फाइब्रोसिस' के कारण नलिकाएं छोटी हो जाती हैं और इस असंतुलन के कारण निप्पल अंदर की ओर धंस जाता है, भले ही मांसपेशी इसे बाहर निकालने की कोशिश कर रही हो। सामान्य निप्पल स्पर्ष करने पर, उत्तेजित होने पर या सर्दी के कारण उभर आता है।
क्या उल्टा निप्पल स्तन कैंसर का संकेत है?
अगर निप्पल काफी लंबे समय से धीरे-धीरे विकसित हो रहा हो तो यह कैंसर रहित (बिनाइन) विकृति है लेकिन सामान्य निप्पल का अचानक उल्टा होना एक खतरनाक संकेत हो सकता है और ऐसा होने पर चिकित्सकीय सलाह ली जानी चाहिए।
क्या उल्टा निप्पल से स्तनपान कराया जा सकता है?
आपके निप्पल उल्टा होने पर भी बच्चे को स्तनपान कराना संभव हो सकता है, लेकिन यह निप्पल के उल्टा होने की गंभीरता या ग्रेड पर निर्भर करता है।
उलटा निप्पल को तीन ग्रेड में वर्गीकृत किया जाता है -
फ्लैट या ग्रेड 1 विकृति निप्पल के उलटा होने की हल्की डिग्री को प्रदर्शित करता है जिसमें निप्पल के आधार के चारों ओर उंगली से दबाव डालने पर और इसे हाथ से खींचने पर यह उभर आता है और फिर स्वयं बाहर रह जाएगा। इन्हंे 'शर्मीली निप्पल' कहा जाता है। ऐसे निप्पल मंे फाइब्रोसिस नहीं होता है या बहुत कम होता है और दूध नलिकाएं पूरी तरह से सामान्य हो सकती हैं और महिला स्तनपान करा सकती है। ऐसे निप्पल को अनिवार्य रूप से कोई इलाज कराने की आवष्यकता नहीं होती है और रोजाना कुछ मिनटों तक खींचने और स्ट्रोक देने पर ये सामान्य स्थिति में रह सकते हैं।
इंडेंटेड या ग्रेड 2 उल्टा निप्पल को कुछ कठिनाई के साथ बाहर निकाला जा सकता है लेकिन दबाव हटाने के तुरंत बाद ये वापस अपनी स्थिति में आ जाएंगे। हालांकि ऐसे निप्पल से स्तनपान कराना संभव हो सकता है, लेकिन बच्चे को इन्हें पकड़ना मुश्किल हो सकता है और यह मां और बच्चे दोनों के लिए निराशाजनक हो सकता है। 'निप्पलेट' जैसे निप्पल चूषण उपकरण से कभी-कभी मदद मिल सकती है लेकिन इससे स्थायी सुधार नहीं होता है। उन्नत प्लास्टिक सर्जरी तकनीक से उल्टा निप्पल के 'डक्ट स्पियरिंग' सुधार संभव है।
यह प्रक्रिया महिला के गर्भवती होने से पहले या कम से कम तीसरे तिमाही से पहले किया जाना चाहिए। यह डेकेयर प्रक्रिया के रूप में यहां तक कि लोकल एनीस्थिसिया में भी की जा सकती है। 'निप्पल सिरिंज सिं्प्लट' का हमारा नवाचार और इसके रूपांतरण दोनों को सुप्रसिद्ध प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित किया गया है जिनका इस्तेमाल उल्टा निप्पल विकृति के ऐसे कई मामलों का इलाज करने के लिए किया गया है।
टक्ड-इन या ग्रेड 3 उल्टा निप्पल विकृति सबसे गंभीर प्रकार की विकृति होती है जिसमें निप्पल को खींचा नहीं जा सकता है। यह दूध नलिकाओं के गंभीर फाइब्रोसिस के कारण होता है और इसमें इस बात की संभावना नहीं होती है कि महिला स्तनपान कराने में सक्षम होगी। ऐसी महिलाओं को अक्सर निप्पल की स्वच्छता को बनाए रखने में कठिनाई होती है। इस विकृति को सर्जरी से छोटी दूध नलिकाओं को विभाजित करके आसानी से ठीक किया जा सकता है लेकिन रोगियों को विधिवत यह जानकारी दी जाती है कि वे सर्जरी के बाद स्तनपान नहीं करा सकती हैं।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ रिकंस्ट्रक्टिव, एस्थेटिक, क्लेफ्ट एंड क्रैनियोफेशियल सर्जरी (मिरेकल्स: एमआईआरएसीएलईएस) के प्लास्टिक सर्जरी के वरिश्ठ निदेशक और प्रमुख डॉ. सुनील चैधरी ने कहा, “उल्टा निप्पल विकृति बेहद आम है, इससे भावनात्मक रूप से परेशानी हो सकती है और स्तनपान कराने में कठिनाई हो सकती है। स्तनपान के ज्यादातर मामलों में, कई महिलाएं तब तक समस्या से अनजान होती हैं जब तक कि वे गर्भवती न हों। हालांकि, सर्जरी से सुधार करने पर संतोषजनक दीर्घकालिक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं और इसे यहां तक कि गर्भवती महिलाओं में उनकी तीसरे तिमाही से पहले भी किया जा सकता है।''