त्रिआयामी मैमोग्राफी से स्तन कैंसर की समय पूर्व जांच

स्तन कैंसर की रसौली की पूर्व पहचान करने वाली मैमोग्राम तकनीक को अब त्रिआयामी बनाया जा रहा है। इससे चिकित्सकों को मैमोग्राम को समझना अधिक आसान हो जाएगा।
बोस्टन में मैसाचुसेट्स जेनरल हाॅस्पीटल के अनुसंधानकर्ता मैमोग्राम तकनीक में सुधार कर त्रिआयामी एक्स-रे की तस्वीर प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे रसौली को देखना अधिक आसान हो जाएगा। मैसाचुसेट्स जेनरल हाॅस्पीटल के ब्रेस्ट इमेजिंग विभाग के निदेशक डेनियल कोपान्स के अनुसार फुल-फील्ड डिजिटल टोमोसिंथेसिस या टोमो में एक्स-रे ट्यूब के वृत्तचाप में घूमने के कारण यह विभिन्न कोणों से कई तस्वीरें देता है। इसमें प्रतिबिम्ब कई स्तरों में टूटती है जिससे रसौली अपने स्थान पर स्पष्ट दिखायी देती है। 
यह यंत्र जी ई मेडिकल सिस्टम द्वारा बनाया गया है और इसे मैसाचुसेट्स जेनरल हाॅस्पीटल से विशेष सहयोग प्रदान किया जा रहा है। यह अपनी तरह का एकमात्र यंत्र है और इसे पेटेंट कराने की प्रक्रिया जारी है। आरंभिक अध्ययनों में इसमें स्तन में धब्बे स्पष्ट नजर आए। कोपान का कहना है कि स्तन की रसौली की रोगियों को आम तौर पर मैमोग्राम में तस्वीर स्पष्ट नजर नहीं आने के कारण दोबारा मैमोग्राम कराना पड़ता है लेकिन अब ऐसे रोगियों की संख्या में कमी आएगी। 
टोमो को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि मंत्रालय ने अपनी मंजूरी दे दी है। जी ई मेडिकल के एक प्रवक्ता का कहना है कि कंपनी दो साल के अंदर इस यंत्र को व्यापक रूप से उपलब्ध करा देगी। कोपान का कहना है कि टोमो के विकास से अब रेडियोलाॅजिस्ट को मैमोग्राम का विश्लेषण कर समझना आसान हो जाएगा। 
अमेरिकन कैंसर सोसायटी ने महिलाओं को 40 साल की उम्र के बाद हर साल मैमोग्राफी कराने की सलाह दी है। इसलिए अब मैमोग्राम की सेवा प्रदान करने वाले केन्द्रों में 40 साल से 
अधिक उम्र की महिलाएं मैमोग्राम कराने के लिए बड़े पैमाने पर आने लगी हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि शारीरिक परीक्षण की तुलना में दो साल पहले ही मैमोग्राम की मदद से अत्यंत छोटे ट्यूमर का भी पता लगाया जा सकता है।