नागिन की तरह लहराती काली घनी जुल्फों के मोहफांश में कोई भी कैद हो सकता है। गालिब ने बिल्कुल सही फरमाया था ''.... हम हुये, तुम हुये मीर हुये.......तेरी जुल्फों के सब असीर हुये।....''
काले, घने और लंबे बाल हमेशा से नारी सौंदर्य के प्रतीक और जवानी के द्योतक माने जाते रहे हैं जबकि सफेद बाल बुढ़ापे और बीमारी की निशानी माने जाते रहे हैं।
काले बाल जहां चेहरे की सुंदरता में आकर्षण पैदा करते हैं वहीं सफेद बाल से न सिर्फ सुंदरता में कमी आती है बल्कि इससे बुढ़ापे का भी अहसास होता है। कई लोग समय से पूर्व बालों के सफेद होने पर कुंठा के शिकार हो जाते हैं। कई लोग अपने बालों को काले दिखाने के लिये तरह-तरह की डाई एवं मेंहदी का प्रयोग करते हैं। आधुनिक समय में प्रदूषण, आनुवांशिक एवं अन्य कारणों से ज्यादातर लोगों के बाल समय से पूर्व सफेद होने लगे हैं। बालों को समय से पूर्व सफेद होने से रोकने के लिये कोई दवाई यह तरीका तो उपलब्ध नहीं है लेकिन इतना जरूर है कि बालों को सही तरीके से डाई करके उन्हें काले रखे जा सकते हैं।
बालों को रंगने के लिए आम तौर पर रासायनिक हेयर डाई का ही इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इसका रंग पक्का होता है और इसके इस्तेमाल से बाल अधिक काले और प्राकृतिक प्रतीत होते हैं। साबुन और पानी से भी इनका रंग जल्दी नहीं उतरता। बालों को रंगने के लिए बाजार में अनेक हेयर डाई उपलब्ध हैं लेकिन इन्हें लगाने से पहले कुछ खास सावधानियां बरतनी जरूरी है। जिस हेयर डाई का इस्तेमाल करना हो उसे बालों में लगाने से पहले ब्रश से कान के पीछे अथवा गर्दन पर लगाकर कुछ समय तक छोड़ देना चाहिए और सूखने पर धो देना चाहिए। यदि 48 घंटे तक वहां कोई दुष्प्रभाव दिखाई नहीं दे तभी उस डाई का इस्तेमाल करना चाहिए। बालों पर रासायनिक डाई लगाते समय हाथों पर रबर के पतले दस्ताने पहन लेना चाहिए और बालों पर डाई लगाने के लिए ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि डाई सिर्फ बालों में ही लगे और सिर की त्वचा, आंखों या चेहरे में न लगे। लगभग दो घंटे के बाद शैम्पू से सिर अच्छी तरह धो लें। यह प्रक्रिया हर महीने दोहरानी होता है। आजकल बाजार में ऐसे हेयर डाई भी आ गए हैं जिनका रंग इतना पक्का होता है कि डेढ़-दो महीने तक दोबारा बाल काले करने की जरूरत नहीं होती।
अधिकतर रासायनिक हेयर डाई में पेरा, हाइड्रोजन पराक्साइड तथा अन्य रसायन मौजूद होते हैं जिसके अपने दुष्प्रभाव होते हैं। इसलिए इक्का-दुक्का बाल सफेद होने पर बालों में डाई नहीं लगाएं बल्कि इन्हें छोटी कैंची से जड़ के निकट से काट दें। रासायनिक डाई के प्रयोग से त्वचा में एलर्जी हो सकती है। लगातार डाई के इस्तेमाल से बाल और अधिक सफेद तथा गिर भी सकते हैं साथ ही आंखों में मोतियाबिंद हो सकता है। आंखों में डाई चले जाने से अंधापन आ सकता है। इसके इस्तेमाल से कुछ लोगों के चेहरे पर सूजन आ जाती है तो कुछ लोगों की त्वचा पर लाल चकत्ते बन जाते हैं और उसमें खुजली होती है। हेयर डाई के इस्तेमाल से रक्त में सीसे का स्तर बढ़ सकता है जिससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता कम हो सकती है, एकाग्रता में कमी आ सकती है और व्यक्ति का विकास रुक सकता है। रक्त में सीसे की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाने पर व्यक्ति लंबी बेहोशी में जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है। जिस परिवार का कोई व्यक्ति हेयर डाई इस्तेमाल करता है, न सिर्फ उसका बल्कि परिवार के बाकी सदस्यों के रक्त में भी सीसे का स्तर बढ़ सकता है। हालांकि सीसे का कुछ हिस्सा मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है लेकिन ज्यादातर हिस्सा जिगर, दिमाग, गुर्दों और हड्डियों में चला जाता है और उन्हें नुकसान पहुंचाता है।
मासिक धर्म के दौरान, गर्भावस्था के दौरान और स्तनपान के दौरान रासायनिक डाई का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। दमा, हृदय रोग, चर्म रोग और गुर्दे के रोग से पीड़ित लोगों को भी हेयर डाई का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
बालों को रंगने के लिए मेहंदी का प्रयोग भी काफी प्रचलन में है। रासायनिक हेयर डाई की तुलना में मेहंदी से बाल रंगना न सिर्फ हानिरहित है, बल्कि इससे बाल की जड़ें भी मजबूत होती हैं। पैकेटबंद पाउडर मेहंदी को पानी या चाय की पत्ती के पानी में घोलकर गाढ़ा लेप तैयार कर लें और उसमें थोड़ा आंवला तथा शिकाकाई का पाउडर भी मिला लें। तीन-चार घंटे के बाद इस लेप को सिर में लगाएं और किसी प्लास्टिक की थैली अथवा टिन फॉइल से बालों को ढंक दें। कंडीशनिंग के लिए उसमें दही या अंडा भी मिला सकते हैं। यदि मेहंदी सिर्फ बालों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए लगायी गयी हो तो इसे लगाने के एक घंटे बाद बाल धो लें लेकिन अगर मेहंदी बालों को डाई करने के लिए लगायी हो तो कम से कम दो घंटे तक बालों में मेंहदी लगी रहने दें और मेहंदी सूख जाने के बाद किसी शैम्पू से बाल धो लें।
मेहंदी के प्रयोग से सफेद बाल रासायनिक डाई से रंगे बाल की तरह स्याह काले नहीं होते, बल्कि यह लालिमा लिए हुए होते हैं। हालांकि मेंहदी के प्रयोग से बालों पर कौन सा रंग उभरेगा, यह बालों के प्राकृतिक रंग, मेहंदी में मिलाए गए अन्य पदार्थ तथा मेहंदी लगाए रखने के समय पर भी निर्भर करता है। पैकेटबंद पाउडर मेहंदी की तुलना में मेहंदी की ताजा पत्तियों को पीसकर बालों में लगाने से बालों में अधिक चमक आती है और बालों पर अधिक रंग चढ़ता है। इसके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते जबकि पैकेटबंद पाउडर मेहंदी में कुछ रसायन भी मिले हो सकते हैं।
रासायनिक डाई की तुलना में मेहंदी का रंग जल्दी उतरता है। इसलिए हर हफ्तेया अधिक से अधिक 15 दिन पर बालों में मेहंदी अवश्य लगानी चाहिए। ब्लीच या पमिंग किए गए बालों पर मेहंदी नहीं लगाएं, इससे बालों पर अप्रिय रंग उभरता है और बाल देखने में खराब लगते हैं।