तकनीकी प्रगति चीजों को बदल देती है, या सरल कर देती है। इसकी बदौलत विद्युत के क्षेत्र में भी काफी तरक्की हुई है। अब बिजली उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए विद्युत को मापना और संचारित करना काफी सरल हो गया है। दुनिया भर में इस तरह की प्रगति, जो काफी प्रसिद्धी हासिल कर रही है, वह है ऊर्जा क्षेत्र में स्मार्ट मीटरिंग प्रौद्योगिकियों का उपयोग।
स्मार्ट मीटर मूल रूप से बिजली मीटर होते हैं जो कम अंतराल में ऊर्जा की खपत को मापने और रिकॉर्ड करने दोनों में सक्षम हैं। वे ऊर्जा प्रदाताओं और बिजली के उपभोक्ताओं के बीच दो-तरफा संचार की सुविधा प्रदान करते हैं।
भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और बिजली की बढ़ती मांग के साथ, यहां स्मार्ट मीटरिंग प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से कई प्रकार के लाभ हो रहे हैं और विद्युत क्षेत्र की कुछ सबसे अधिक चुनौतियों का समाधान करने में मदद मिल रही है।
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) के दिशानिर्देश में स्टैटिक मीटर के उपयोग को अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे भारतीय ऊर्जा मीटर बाजार पहले के इलेक्ट्रोमेकैनिकल मीटर से स्टैटिक मीटर में बड़े पैमाने पर तब्दील हो गया है। देश में मीटरिंग की पूर्ण विकसित स्थिति और सरकार की बढ़ती रुचि और समर्थन के साथ, स्मार्ट मीटरिंग प्रौद्योगिकियों को अपनाना सबसे प्रासंगिक अगले चरण के रूप में उभर रहा है। यह प्रौद्योगिकी उपयोगिताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिए उचित तरीके से डेटा का मिलान कर और संवाद कर, स्मार्ट मीटर भारतीय उपयोगिताओं को सक्षम करेगी, बेहतर प्रबंधन करेगी और संभवतः पीक पावर को कम करने में मदद करेगी। यह प्रौद्योगिकी आपूर्तिकर्ताओं को मीटर को मैन्युअल रूप से पढ़े बिना ही सटीक बिल प्रदान करने के लिए सक्षम बनाती है, दूर के ़क्षेत्र में आपूर्ति और वितरण का प्रबंधन करने में मदद करती है और उपभोक्ताओं को उनकी बिजली की खपत पर बिल्कुल सही समय पर डाटा प्रदान करके उनकी खपत को कम करने में मदद करती है, जिसका आकलन जितनी बार आवश्यक हो किया जा सकता है (हालांकि आधे घंटे की अंतराल सामान्य है)। अक्सर इन मीटर की आपूर्ति डिस्प्ले यूनिट के साथ की जाती है ताकि उपभोक्ता सही समय में इसे देख सकें कि वे कितना बिजली का प्रयोग कर रहे हैं।
स्मार्ट मीटरिंग का उपयोग करने के मुख्य लाभों में से एक लाभ वाणिज्यिक घाटे में कमी है। यह विशेष रूप से भारत के लिए प्रासंगिक है, जहां दुनिया में सबसे अधिक समेकित तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान होता है।
चूंकि स्मार्ट मीटर सीधे उपयोगिता से जुड़े होते हैं, जिसके कारण किसी विशेष घर / संपत्ति के लिए बिजली को कनेक्ट करना / डिस्कनेक्ट करना बहुत आसान हो जाता है। इससे तकनीशियन के घर जाकर बिजली की आपूर्ति को कनेक्ट करने / डिस्कनेक्ट करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
स्मार्ट मीटर न केवल बिजली के बिल बनाने और इन्हें भेजे जाने वाली सुविधा को बढ़ाते हैं, बल्कि ये सही समय पर उपभोग के डेटा प्रदान करके किसी भी व्यक्ति की बिजली खपत पर बेहतर नियंत्रण प्रदान करते हैं। स्मार्ट मीटर बिजली पर खर्च के बारे में भी पूरी जानकारी देते हंै जिससे उपभोक्ताओं को बिजली बचाने में काफी मदद मिलती है और इस तरह यह ऊर्जा के सतत घटने वाले गैर-अक्षय स्रोतों के दबाव को कम करते हैं। स्मार्ट ग्रिड से जुड़े सभी स्मार्ट मीटर का नेटवर्क बिजली उत्पादन, संचरण और वितरण के उपायों और तरीकों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा।
वाणिज्यिक प्रक्रिया में सुधार के लिए स्मार्ट मीटरिंग के संभावित लाभों में कोई संदेह नहीं है। इसके संभावित लाभों में षामिल हैं: तेजी से मीटर रीडिंग और राजस्व प्रबंधन, ग्राहक के बिजली की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलन, ऊर्जा दक्षता के लिए विनियामक आवश्यकताओं की पूर्ति, ऊर्जा के उपयोग के प्रति ग्राहक को जागरूक करना और बिजली के खर्च में बचत आदि।
हालांकि, इसकी कुछ सीमाएं हैं जो स्मार्ट मीटरिंग के बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन को रोक रही हैं। उदाहरण के लिए, यह एक नई पहल है और इस अधिक महंगे मीटरिंग के सभी लाभों का औचित्य सिद्ध करने के लिए कोई पर्याप्त जानकारी या डेटा उपलब्ध नहीं है। दूसरी बात यह है कि यह बहुत महंगा है और समय लेने वाली प्रक्रिया है जिसके लिए अधिक पैसे खर्च करने की आवश्यकता होती है। साथ ही, वर्तमान इलेक्ट्रोमेकैनिकल या पुराने स्टैटिक मीटर के उन्नयन के लिए काफी मात्रा में पैसे खर्च करने होते हैं, इसलिए नियामक के साथ-साथ उपयोगिता के परिप्रेक्ष्य में भी स्मार्ट मीटरिंग के लिए दोबारा पैसे खर्च करना मुश्किल होगा।
हालांकि पायलट स्तर पर उपयोगिताओं में स्मार्ट पैमाना में कुछ प्रगति हुई है, लेकिन, इस परियोजना के बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन की योजना से पहले एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास और क्षमता निर्माण समस्या का समाधान करने की आवश्यकता है। इसलिए, इसके तकनीकी और प्रबंधकीय मुद्दों को समझने के लिए त्वरित व्यवहार्यता अध्ययन की आवश्यकता है और स्मार्ट मीटर को लगाने से पहले उन मुद्दों को दूर करने की योजना बनाने की आवश्यकता है।
स्मार्ट मीटर से बिजली की खपत को मापना होगा आसान
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