संतुलित एवं पौष्टिक आहार न केवल उत्तम स्वास्थ्य के लिये बल्कि मनभावन सौंदर्य के लिये भी जरूरी है। प्रकृतिप्रदत्त आहार बीमारियों से बचाने और हमारे स्वास्थ्य को कायम रखने के अलावा सौंदर्य प्रसाधन के रूप में भी काम करते हैं। नयी दिल्ली स्थिति हीलिंग टच क्लिनिक की आहार विशेषज्ञ डा. पल्लवी वैश्य का कहना है कि तरह-तरह की साग-सब्जियां, फल, दूध एवं दुग्ध उत्पाद एवं अनाज सौंदर्य संबंधी अनेक समस्याओं का समाधान करते ही हैं साथ ही इनसे अनेक तरह के उपयोगी सौंदर्य प्रसाधन बनाकर संुदरता में चार चांद लगाया जा सकता है।
संतुलित एवं पौष्टिक आहार तन-मन की पहली जरूरत है। कहावत है कि जैसा खाये अन्न वैसा बने मन और जैसा बने मन वैसा बने तन। जाहिर है कि आहार की नींव पर ही हमारे स्वास्थ्य एवं सौंदर्य का महल खड़ा होता है। आहार के समुचित उपयोग से न केवल सेहत बल्कि सुंदरता कायम रखी जा सकती है।
आहार शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में ऑक्सीजन के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ईंधन है जिसकी जरूरत हमें जन्म से लेकर मृत्यु तक होती है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हम ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मनमाने ढंग से प्रचूर मात्रा में आहार लें, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार का सेवन फायदेमंद साबित होता है क्योंकि हमारे द्वारा ग्रहण किया जाने आहार ही हमें स्वस्थ या रोगी बनाता है। इसलिए हमारे आहार का पौष्टिक होना बहुत जरूरी है।
हम जो आहार ग्रहण करते हैं वह न सिर्फ हमारे महत्वपूर्ण अंगों को पोषण देता है और हमें स्वस्थ रखता है, बल्कि हमारे शरीर की बाहरी सुंदरता भी काफी हद तक हमारे आहार पर ही निर्भर करती है। प्रकृति ने हमें कई ऐसे प्राकृतिक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराये हैं जिनके सेवन से हम अपने शरीर की सुंदरता और आभा को कायम रख सकते हैं। लेकिन इसके लिए उचित आहार की उचित मात्रा का सेवन जरूरी है।
हमारे आहार का सबसे मुख्य अवयव अनाज है। चोकरयुक्त आटे की रोटी, दलिया, कॉर्नलेक्स इत्यादि में असीमित मात्रा में विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स होते हैं और इनका सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। हालांकि आजकल छिलका रहित, रिफाइंड और पॉलिशयुक्त खाद्य पदार्थों का प्रचलन काफी बढ़ गया है लेकिन ऐसे खाद्य पदार्थों में पौष्टिक तत्व बहुत कम होते हैं। छिलका रहित और धुली हुयी दाल के भी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसलिए ऐसे अनाज का सेवन न कर छिलका सहित और साबुत अनाज का सेवन करना ज्यादा उचित है।
इसी तरह ताजे कच्चे फलों और सब्जियों में प्रचुर मात्रा में विटामिन होते हैं। शरीर में अम्ल और क्षार के बीच संतुलन कायम रखने में फलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये शरीर से कई विषैले पदार्थों को भी बाहर निकालते हैं और त्वचा में चमक पैदा करते हैं। त्वचा के सुंदर एवं सलोने रूप के लिये विटामिन ए, बी, सी तथा ई एवं खनिज का पर्याप्त मात्रा में सेवन करना आवश्यक है। सब्जियों में प्रचूर मात्रा में रेशा होते हैं जो शरीर से बेकार पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करते हैं और कई प्रकार के कैंसर, हृदय रोग आदि से हमारी रक्षा करते हैं। दूसरी तरफ वसायुक्त भोजन के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि यह न सिर्फ मोटापा के लिए उत्तरदायी है बल्कि यह कई बीमारियों का कारण भी बनती है और त्वचा को मुंहासे के प्रति संवेदनशील बनाती है।
हमारे शरीर का 63 प्रतिशत अंश जल से ही निर्मित होता है। इसलिये त्वचा के खिले हुये रूप के लिये रोजाना काफी मात्रा में पानी पीना आवश्यक है। गर्मियों में आठ से बारह गिलास और सर्दियों में पांच से छह गिलास पानी शरीर के लिये आवश्यक है।
हमारी सुंदरता को कायम रखने में नींबू की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रतिदिन सुबह नींबू के रस को शहद और गर्म पानी के साथ लेने से स्वास्थ्य ठीक रहता है। प्रचुर मात्रा में नींबू के रस के सेवन से शरीर ताउम्र सुगठित, ऊर्जावान और सक्रिय रहता है। शरीर को युवा बनाये रखने में भी नींबू की महत्वपूर्ण भूमिका है। दाग-धब्बे वाली त्वचा पर नींबू रगड़ने से त्वचा साफ होती है। बाल धोते समय पानी में नींबू का रस डाल देने से बाल में चमक आती है।
चौलाई के साग का नियमित रूप से सेवन करने पर समय से पूर्व होने वाले जवानी के ढलाव को रोका जा सकता है। सुंदरता को बरकरार रखने तथा उसमें वृद्धि करने में खीरे की महत्वपूर्ण भूमिका है। खीरे को पीस कर आंखों के नीचे, चेहरे और नाक पर लगाने से त्वचा की स्वभाविक चमक को कायम रखा जा सकता है। इससे मुंहासे, ब्लैक हेड्स, झुर्रियों तथा चेहरे की त्वचा के सूखेपन की रोकथाम की जा सकती है। खीरे के रस को सिर में लगाने पर बालों की वृद्धि बढ़ाई जा सकती है।
मेथी के बीज को भिगो एवं पीस कर सिर पर लगाने से रूसी दूर हो जाती है। कच्चे आलू के रस के उपचार से चेहरे की चमक बढ़ायी जा सकती है। शहद, दही और दूध त्वचा की स्निग्धता एवं चमक को बढ़ाने में अत्यंत उपयोगी हैं।
मुंहासे के उपचार के लिये भोजन में विटामिन सी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिये। कब्ज के कारण मुंहासे अधिक बढ़ते हैं इसलिए कब्ज दूर करने के लिये अधिक फल का सेवन करें तथा पानी प्रचूर मात्रा मंे पीयें।
इस तरह प्रकृतिप्रदत्त विभिन्न आहार एवं खाद्य पदार्थ न केवल हमारे शरीर की चुस्ती-तंदुरुस्ती को बरकरार रखने में मुख्य भूमिका निभाते हैं बल्कि इनका इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन में भी हो सकता है। जरूरत है इनका सही चयन करके सही तरीके से इस्तेमाल करने की।