घुटने के आंशिक प्रतिस्थापन अथवा पार्शियल नी रिप्लेसमेंट गंभीर आर्थराइटिस से ग्रस्त घुटने के इलाज की नई शल्य चिकित्सा का एक नया रूप है। इस प्रक्रिया में घुटने की जोड़ की घिस चुकी खराब हो चुकी सतह की रिसर्फेसिंग की जाती है। इस प्रक्रिया में घुटने के कार्टिलेज के केवल क्षतिग्रस्त हिस्से को ही प्रोस्थेसिस के जरिए बदला जाता है जबकि टोटल नी रिप्लेसमेंट में घुटने के सभी हिस्सों को बदला जाता है। परम्परागत चिकित्सा के तहत जोड़ों की गंभीर आर्थराइटिस से ग्रस्त मरीजों की टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है जिसमें घुटने की जोड़ों से सभी कार्टिलेज को हटा लिया जाता है और वहां घातु एवं प्लास्टिक के इम्प्लांट को लगा दिया जाता है।
किस मरीज को यह सर्जरी करानी चाहिए
यह सर्जरी वैसे मरीजों के लिए विकसित की गई है जिन्हें घुटने की गंभीर आर्थराइटिस है और जिन्हें सर्जरी रहित मानक उपचारों से कोई राहत नहीं मिल रही है। जिन मरीजों को औसत किस्म का पाश्र्व या फेमोरल के पटेला की ओस्टियोआर्थराइटिस है उन्हें घुटने के आशिंक प्रतिस्थापन की सलाह दी जा सकती है। उन्हें कार्टिलेज के कैल्शिफिकेशन या घुटने के डिसलोकेशन की समस्या नहीं होनी चाहिए।
घुटने के आंशिक प्रतिस्थापन के लिए उपयोग में लाया जाने वाला इम्प्लांट टोटल नी रिप्लेसमेंट में उपयोग में लाए जाने वाले इम्प्लांट से छोटा होता है और यह इम्प्लांट घुटने के स्वस्थ ऊतकों को प्रभावित नहीं करता है। ज्यादा इम्पलांट शारीरिक रचना के अनुरूप होते हैं। इसकी डिजाइन इस तरह की होती है कि ये क्षतिग्रस्त घुटने के किनारों पर फिट बैठ जाते हैं। क्षतिग्रस्त हिस्से के स्थान पर इम्प्लांट को लगाने की प्रक्रिया भी दर्द रहित होती है।
रोगी को लाभ
सम्पूर्ण टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की तुलना में घुटने का आंशिक प्रतिस्थापन घुटने की कार्यशीलता तथा गतिशीलता को बेहतर तरीके से सुरक्षित रखता है क्योंकि यह घुटने के स्वस्थ ऊतक और हड्डी सुरक्षित रखता है। जब सम्पूर्ण रूप से घुटने को बदला जाता है तब घुटने की संरचना के काफी हिस्से को हटा दिया जाता है ताकि घुटने पर इम्प्लांट को प्रतिस्थापित किया जा सके। लेकिन घुटने के आंशिक प्रतिस्थापन में घुटने की संरचना के ज्यादातर हिस्से सुरक्षित रहते हैं और इसलिए घुटने की कार्यशीलता एवं गतिशीलता काफी हद तक सामान्य रहती हैं।
इस प्रक्रिया में आमतौर पर लिगमेंट संतुलन शामिल नहीं होता है जैसा कि घुटने के सम्पूण प्रतिस्थापन में किया जाता है। घुटने के आंशिक प्रतिस्थापन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह आमतौर पर ओपीडी में ही किया जा सकता है और इसमें कम चीरे लगते हैंए मरीज जल्दी ठीक होता है और घुटने के सम्पूर्ण प्रतिस्थापन की तुलना में अधिक सामान्य महसूस करते हैं। घुटने के आंशिक प्रतिस्थापन के मरीज सर्जरी के बाद अधिक अधिक लचीलेपन का अनुभव करते हैं तथा अक्सर सर्जरी के बाद घुटने मोड़कर बैठने और घुटने टेकने में सक्षम होते हैं।