सजावटी मछलियों का भारत का पहला टेक पार्क चेन्नई में 

चेन्नई में भारत का पहला एक्वेटिक रेनबो टेक्नोलॉजी पार्क (एआरटीपी) बन गया है। यह बहु-प्रजाति हैचरी और लाइव फीड कल्चर यूनिट से सुसज्जित सजावटी मछली के लिए विषेश सुविधाओं वाला एक अत्यााधुनिक पार्क है। यह अधिक मूल्य वाली एक्वेरियम मछलियों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उद्योग की प्रमुख आवश्यकता को पूरी करता है। 
यह पार्क तमिलनाडु में फिशरीज कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफसीआरआई), पोननेरी द्वारा विकसित किया गया है, जो सजावटी मछली का पश्चिम बंगाल के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। 
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की नोडल एजेंसी, मरीन प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमपीईडीए) इस परियोजना की संचालन समिति का एक हिस्सा रही है।
एमपीडा के अध्यक्ष डॉ. जयतिलक ने तीन दिवसीय एक्वा एक्लेरिया इंडिया (एएआई) 2017 के दौरान कहा कि 10 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस पार्क के लिए राज्य सरकार के तमिलनाडु अभिनव प्रयासों के तहत वित्तीय मदद प्रदान की गई है। यह स्वदेशी और विदेशी दोनों प्रकार की उच्च मूल्य वाली सजावटी मछली प्रजातियों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उन्नत बुनियादी ढांचे और तकनीकी विशेषज्ञता से सुसज्जित होगा। 
यह उच्च मूल्य वाली स्वदेशी सजावटी मछली प्रजातियों के लिए प्रजनन तकनीक विकसित करेगा और थोक मात्रा में गुणवत्ता वाली मछलियों को सुनिश्चित करेगा।
इस परियोजना के अन्य प्रमुख क्षेत्रों में निरंतर लाइव फीड्स और बीमारी का विकसित निदान और उपचार प्रक्रियाएं उपलब्ध कराने के लिए नई प्रौद्योगिकियों का विकास किया जाना षामिल है।
इसके अलावा, एआरटीपी में एक संगरोध प्रयोगशाला होगी जहां अन्य देशों से आयातित विभिन्न प्रकार की विदेशी मछलियों का बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण के लिए इलाज किया जाएगा। ये सारी सुविधाएं चेन्नई, विशेषकर कोलाथुर में और उसके आसपास के मछली उत्पादकों को प्रदान की जाएगी ताकि उन्हें बीमारी के प्रकोपों को संभालने पर विशेषज्ञता हासिल हो सके।
डॉ. जयतिलक ने कहा कि एमपीडा ताजे पानी और समुद्री अलंकरण के क्षेत्र में विभिन्न राज्यों के लिए वित्तीय सहायता और तकनीकी विशेषज्ञता का भी विस्तार कर रही है। 2015-16 के दौरान, एजेंसी ने 23.79 लाख रुपये की वित्तीय भागीदारी कर हिमाचल प्रदेश में चार इकाइयां स्थापित करने में सहायता की।
राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप जैसे राज्यों और संघ षासित्र प्रदेषोें ने हाई- टेक सजावटी मछली हैचरी पर योजनाएं भी तैयार की हैं। उन्होंने कहा, ''एमपीडा इन राज्यों को पूरी तकनीकी सहायता प्रदान करके अपनी योजनाओं के निष्पादन में सहायता कर सकती है।''
इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान की एक अधिकारिक टीम ने टोंक जिले के बिसालपुर में भारत के पहले सेंटर आॅफ एक्सेलेंस फाॅर ब्रीडिंग आॅर्नमेंटल फिषेज की स्थापना के संबंध में इस साल के षुरूआत में एमपीडा और इसके सहायक सजावटी मछली प्रजनन इकाइयों का दौरा किया। केंद्र ने हाल ही में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के तहत सजावटी मत्स्य पालन पर एक पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है, जिसमें 61.89 करोड रुपये का खर्च आएगा। इसने इस परियोजना के लिए आठ राज्यों - असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की पहचान की है।
डॉ. जयतिलक ने कहा कि एमपीडा एनएफडीबी के साथ मिलकर काम करेगा। उन्होंने कहा, ''हम जहां भी आवश्यकता हो, तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।''