सही चाल-ढाल से सौंदर्य एवं सेहत में निखार 

नारी की सुंदरता केवल मनभावन रूप लावण्य, सुंदर चितवन और सुगठित काया से ही नहीं बल्कि सही एवं स्वस्थ मुद्राओं और चाल-ढाल से भी निखरता है। नारी की ये मुद्रायें न केवल उसकी छवि एवं व्यक्तित्व को चार चांद लगाती हैं बल्कि शरीर को रुग्न होने से भी बचाती हैं। उठने-बैठने, चलने-फिरने, विश्राम करने और काम करने के वक्त सही मुद्राओं एवं तौर-तरीकों को अपना कर हड्डियों एवं मांसपेशियों को अतिरिक्त दबाव एवं तनाव से बचा कर कमर, पीठ एवं गर्दन जैसे शरीर के विभिन्न अंगों के दर्द से मुक्त रहा जा सकता है। लेकिन महिलायें अक्सर अपनी शारीरिक मुद्राओं के प्रति सजग नहीं रहती हैं जिसके कारण सुंदर रूप-लावण्य एवं सुगठित काया होने के बावजूद उनके व्यक्तित्व में निखार एवं आकर्षण नहीं आ पाता साथ ही वे कमर दर्द जैसी समस्याओं से ग्रस्त रहती हैं।
चिकित्सकों की दृष्टि में रीढ़ पर अनावश्यक एवं अतिरिक्त दबाव डालने वाली मुद्रायें गलत हैं और इनसे कमर दर्द एवं गर्दन दर्द जैसी समस्यायें पैदा होती हैं। मिसाल के तौर पर झुक कर चलने या बैठने, जमीन से कोई वस्तु उठाने के लिये पीठ मोड़ कर झुकने, घर का काम-काज करने के समय पीठ को झुका कर रखने, कुर्सी पर पूरे आराम से एवं कुर्सी की पीठ का सहारा लेकर बैठने तथा पेट के बल लेटने या सोने जैसी गलत मुद्रायें न केवल व्यक्तित्व के आकर्षण को कम करती हैं बल्कि कमर एवं गर्दन में दर्द पैदा करती हैं। इन गलत मुद्राओं से रीढ़ की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिससे कमर दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके अलावा कई महिलायें ऊंची एड़ी के जूते-चप्पलों का प्रयोग करती हैं जो अक्सर कमर दर्द का कारण बनता है। नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ स्पाइन एवं न्यूरो विशेषज्ञ डा.एस.के.सोगानी के अनुसार ऊंची एड़ी के जूते-चप्पल पहनने से शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे कमर में खिंचाव पैदा होता है और रीढ़ पर भी अधिक दबाव पड़ता है जिससे कमर दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है। गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था के आखिरी महीनों में होने वाले पीठ एवं कमर दर्द का भी कारण यही है क्योंकि भू्रण के भार के कारण कटि-क्षेत्र आगे की ओर झुक जाता है जिससे पीठ एवं कमर पर ज्यादा दबाव पड़ने के कारण यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। हालांकि आज के आधुनिक एवं व्यस्त जीवन में कमर दर्द एक महामारी बनता जा रहा है जिससे लगभग हर व्यक्ति अपने जीवन काल में कभी न कभी किसी न किसी हद तक जरूर  प्रभावित होता है। एक अनुमान के अनुसार आज हमारे देश में हर सातवां व्यक्ति कमर दर्द से पीड़ित है। लेकिन महिलाओं में यह समस्या अधिक पायी जाती है। इसके लिये उनकी शारीरिक संरचना एवं काम-काज की प्रकृति के अलावा जैविक कारण भी जिम्मेदार हैं। डा.सोगानी बताते हैं कि महिलाओं में कमर दर्द के मुख्य जैविक कारणों में पेल्विक इंलामेंट्री डिजीज प्रमुख है। इसमें बच्चेदानी या अन्य प्रजनन अंगों में कोई छोटे संक्रमण के कारण नर्व में सनसनाहट होती रहती है और इसकी वजह से कमर दर्द होता है। डा. सोगानी के अनुसार महिलाओं में कमर दर्द के अन्य सामान्य कारण ओस्टियोपोरोसिस, पेल्विक कैविटी के अंदर संक्रमण, माहवारी में गड़बड़ी, बच्चेदानी के ऊपर सूजन आदि हैं। ऐसी स्थिति में महिला रोग विशेषज्ञ से जांच कराने तथा उसमें कोई खराबी नहीं आने पर एम आर आई कराने पर पता चल जाता है कि किस नर्व के ऊपर दबाव है या कौन सी नर्व कमर दर्द का कारण बन रही है। ऐसे में नर्व को दबाने वाली डिस्क के हिस्से को काट कर निकाल दने से कमर दर्द ठीक हो जाता है। कभी-कभी स्तन कैंसर के रोगियों में उसकी मेटास्टिसिस कमर में चली जाती है जिससे कमर दर्द होने लगता है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के स्पाइन एवं न्यूरो सर्जन डा.सोगानी बताते हैं कि रीढ़ में तपेदिक एवं रसौली (ट्यूमर) होने पर भी कमर दर्द की समस्या हो सकती है। करीब 60 से 70 फीसदी मामलों में सरवाइकल, ंगर्दन दर्द और डिस्क की गड़बड़ी के कारण कमर दर्द की समस्या होती है लेकिन सरवाइकल एवं लम्बर स्पांडुलाइटिस के अलावा कुछ अन्य बीमारियां भी कमर एवं गर्दन दर्द का कारण बन सकती हैं। डा.सोगानी के अनुसार आज कमर दर्द के इलाज की अनेक कष्टरहित एवं कारगर तकनीकें उपलब्ध हो गयी हैं लेकिन रहन-सहन के तौर-तरीकों में सुधार लाकर और सही मुद्रायें अपना कर इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है।


कैसी हो हमारी मुद्रायें 
— कुर्सी पर बैठते समय कुर्सी की पीठ के सहारे नहीं बल्कि पीठ सीधी करके इस तरह बैठें ताकि पीठ के निचले हिस्से और कुर्सी की पीठ के बीच जगह नहीं बचे। 
— बैठकर काम करते समय कमर को आगे की तरफ झुका कर नहीं रखें।
— जमीन पर पड़ी किसी वस्तु को उठाने के लिये पीठ झुकाने के बजाये घुटने मोड़कर उठायें।
— ऊंचाई में रखी किसी वस्तु को उतारने के लिये उचक कर उतारने की कोशिश करने के बजाय स्टूल का इस्तेमाल करें।
— मेज-कुर्सी पर लिखते-पढ़ते समय आगे की ओर नहीं झुकें। बिस्तर पर लेटकर पढ़ने की आदत से परहेज करें। अगर बिस्तर पर पढ़ना हो तो सीधे बैठकर पढ़ें।
— टेलीविजन देखते समय कुर्सी पर आराम से सीधे बैठकर और सही दूरी से टेलीविजन देखें।
— टेलीफोन पर बात करते समय रिसीवर को गर्दन और कंधे के बीच दबाकर बात करने से गर्दन की मांसपेशियों में अनावश्यक तनाव और दर्द पैदा होता है। इसलिये गर्दन सीधी रखते हुये रिसीवर को हाथ से पकड़ कर बात करें।
— खाना खाते वक्त कमर को आगे की ओर नहीं झुकायें। 
— कुर्सी से उठते समय पिंडलियों एवं जांघ की मांसपेशियों का उपयोग करें। कूल्हों का इस्तेमाल करना सही नहीं है।
— चलते वक्त झटके देकर कदम नहीं भरें और न ही ठोड़ी आगे की तरफ निकली रखें। पैर घिसटकर चलना भी गलत तरीका है। सही मुद्रा में चलने का अभ्यास करने के लिये सिर पर किताब रखकर सीधा चलने का अभ्यास करें।
— पेट के बल लेटने के बजाय करवट लेकर लेंटें और इस दौरान कुल्हों तथा घुटनों को थोड़ा मोड़ लें।