प्रजनन केंद्रों में पुरुषों की अनदेखी

पुरुषों की इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए कोई विशेषज्ञ केंद्र नहीं होने के कारण भारतीय महिलाएं प्रभावित हो रही हैं क्योंकि अधिकतर फर्टिलिटी क्लिनिक महिला केंद्रित होती हैं। दियोस (डीआईवाईओएस) मेन्स हेल्थ सेंटर के क्लिनिकल निदेशक डॉ. विनीत मल्होत्रा ने कहा, ''भारत में महिलाएं गर्भ धारण करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती हैं और पुरुष किसी भी कीमत पर इनफर्टिलिटी के उपचार से बचते रहते हैं। पुरुष बांझपन की समस्याओं की जांच और उपचार अक्सर समुचित तरीके से नहीं किया जाता है, और कई बार बिल्कुल ही नहीं किया जाता है।'' वह अमेरिकन सेंटर फाॅर रिप्रोडक्टिव मेडिसीन, क्लीवलैंड, अमरीका के सहयोग से दियोस (डीआईवाईओएस) मेन्स हेल्थ सेंटर के द्वारा आयोजित सम्मेलन में बोल रहे थे।
इस सम्मेलन में देश भर से गणमान्य व्यक्तियों के साथ- साथ कुछ प्रमुख स्त्री रोग विशेषज्ञों और प्रजनन चिकित्सा विशेषज्ञों ने भाग लिया जिनमें डॉ. सुधा प्रसाद, प्रमुख - आईवीएफ एंड रिप्रोडक्टिव बायोलाॅजी सेंटर, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज; डॉ. अशोक अग्रवाल, निदेशक, प्रजनन चिकित्सा विभाग, क्लीवलैंड क्लिनिक, अमेरिका; डॉ. रूपिन शाह, वैज्ञानिक निदेशक, दियोस मेंन्स हेल्थ सेंटर शामिल थे।
ऐसा पहली बार हुआ है कि राजधानी में पुरुषों के लिए एक समर्पित और विशेषज्ञ केंद्र की स्थापना की गयी है जहां पुरुषों में इनफर्टिलिटी और प्रजनन रोग का इलाज करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकें उपलब्ध होंगी। भारत में अधिकांश प्रजनन क्लीनिकों में यहां तक कि एक भी पुरुष इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ नहीं होते है, और सिर्फ महिलाओं की प्रजनन क्षमता के मुद्दों पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित किया जाता है।
अमरीका स्थित क्लीवलैंड क्लिनिक के प्रजनन चिकित्सा विभाग के निदेशक डाॅ. अशोक अग्रवाल ने कहा, ''भारत में पुरुषों की समस्या की पहचान नहीं हो पाती है और इस कारण उनका इलाज नहीं हो पाता है। लगभग 50 प्रतिशत पुरुष इनफर्टिलिटी समस्याओं का इलाज संभव है, लेकिन दुर्भाग्य से इसकी आम तौर पर अनदेखी की जाती है। इस चिकित्सीय अनदेखी के कारण महिलाओं को अनावश्यक आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसके कारण मरीज का आर्थिक नुकसान तो होता ही है, यह उनमें भावनात्मक संकट भी पैदा कर सकता है।'' पुरुष बांझपन के कारण का इलाज अपेक्षाकृत सस्ता और अधिक सफल है और कम इनवैसिव है, और यह दम्पत्ति को आईवीएफ के बगैर ही स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करने में सक्षम बना सकता है।''
इनफर्टिलिटी के लगभग 40 प्रतिशत मामलों में पुरुष समस्याओं को या तो पूरी तरह से या आंशिक रूप से जिम्मेदार माना जाता है। पुरुष इनफर्टिलिटी का सबसे सामान्य कारण वैरिकोसील या अंडकोश की थैली (स्क्रोटम) में नस में सूजन है। दियोस मेन्स हेल्थ सेंटर के वैज्ञानिक निदेशक डाॅ. रूपिन शाह ने कहा, ''वैरिकोसील वृषण का तापमान बढ़ाता है, शुक्राणु को विकसित होने में संभावित नुकसान पहुँचाता है और पुरुष को कम फर्टाइल बनाता है।''
शुक्राणु मानकों का परीक्षण करने के लिए अधिकतर फर्टिलिटी केंद्रों में किये जाने वाले परम्परागत वीर्य विश्लेषण में पूरी समस्या का पता नहीं चल पाता। दियोस मेन्स हेल्थ सेंटर में विशेषज्ञ प्रोस्टेट की जाँच करेंगे और शुक्राणु के साथ प्रवाहित होने वाले, उसका पोषण करने वाले और उसे मदद करने वाले सभी अन्य तरल का अधिक व्यापक वीर्य विश्लेषण करेंगे।
डॉ. विनीत कहते हैं, ''यही कारण है कि हम दम्पत्तियों को फर्टिलिटी के उपचार के प्रारंभिक चरणों में किसी मूत्र रोग विशेषज्ञ के द्वारा वीर्य विश्लेषण कराने के लिए गंभीरता से प्रोत्साहित करते हैं।''
पुरुष इनफर्टिलिटी के कारणों में हार्मोनल गड़बड़ी से लेकर शारीरिक समस्याएं और मनोवैज्ञानिक समस्याएं शामिल हैं और उन्हें निर्धारित करने के लिए पूरी तरह से जांच आवश्यक है। कम शुक्राणु उत्पादन, शुक्राणु की खराब गुणवत्ता और वृषण की क्षति जैसे कारणों के कारण अंडकोष शुक्राणु उत्पादन करने में असमर्थता हो जाता है।