प्रदूषण कहीं आपके सौंदर्य पर ग्रहण नहीं लगा दे 

आज के समय में दिनोंदिन बढ़ते प्रदूषण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य पर बल्कि हमारे सौंदर्य पर भी कहर बरपा रहे हैं। यह तो सर्वविदित है कि हवा में मौजूद जहरीले धुंये एवं धूल हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचा कर हमें दमा एवं ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर श्वसन बीमारियां तथा एलर्जी संबंधी बीमारियों से ग्रस्त कर रहा है लेकिन बहुत कम महिलायें त्वचा एवं बालों पर प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक होंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषित वातावरण में मौजूद धूल-धुंये से हमारे चेहरे की कांति कम होती ही है, चेहरे पर कम उम्र में ही झुर्रियां और मुहांसे भी उत्पन्न हो जाते हैं। प्रदूषण के दुष्प्रभाव के कारण हमारे बाल रूखे, दोमुंहे, असमय सफेद हो जाते हैं और झड़ने लगते हैं।


सौंदर्य विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण उत्पन्न करने वाले कारक ऑक्सीकरण नामक रासायनिक प्रक्रिया को बढ़ा देते हैं जिससे शरीर में स्वतंत्र मूलकों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो जाती है और त्वचा पर कम उम्र में ही झुर्रियां पड़ जाती हैं। प्रदूषण पैदा करने वाले कण त्वचा पर चिपक जाते हैं और रोमछिद्रों को बंद कर देते हैं जिससे चेहरे की त्वचा पर मुंहासे और ब्लैक हेड्स हो जाते हैं। प्रदूषित वातावरण के साथ-साथ यदि व्यक्ति सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में भी अधिक समय तक रहता है तो उसकी त्वचा का लचीलापन धीरे-धीरे खत्म होता जाता है और त्वचा सिकुड़ने लगती है तथा त्वचा पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।


सूखी-सर्द हवाएं, तेज गर्मी, धूल-धुंये, अत्यधिक सौंदर्य प्रसाधनों के प्रयोग तथा त्वचा के प्रति बरती गई लापरवाही के कारण त्वचा अत्यंत शीघ्रता से अधेड़ावस्था की ओर जाती है और त्वचा पर झुर्रियां पड़ने की आशंका उत्पन्न हो जाती है। त्वचा पर इनके दुष्प्रभावों को दाग-धब्बों, झाइयों, त्वचा में सख्ती आदि के रूप में देखा जा सकता है। इन दुष्प्रभावों के कारण चेहरे पर उम्र का असर शीघ्र दिखने लगता है।


सौंदर्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण का असर बालों पर भी होता है। इसलिए बालों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए बालों को सप्ताह में कम-से-कम तीन बार धोना चाहिए, सप्ताह में एक बार सिर में तेल लगाना चाहिए और महीने में कम-से-कम एक बार बालों में मेंहदी लगाना चाहिए। इसके अलावा बालों की लंबाई छोटी रख कर उन्हें प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है।


बालों की उचित देखभाल नहीं करने और उन्हें प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचाने के उपाय नहीं करने पर उनके दोमुंहा होने तथा उनके झड़ने की आशंका रहती है। बालों और त्वचा की देखभाल के लिए कॉस्मेटिक कंपनियां तरह-तरह की कॉस्मेटिक तैयार करती हैं और इन उत्पादों को लेकर बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन ये कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधन उतने कारगर साबित नहीं होते हैं, साथ ही इनके अपने दुष्प्रभाव भी होते हैं।


त्वचा को स्वस्थ एवं सुंदर बनाये रखने के लिये नियमित सफाई अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि त्वचा वातावरण के प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित होती है। हमारे चेहरे की त्वचा दिन में लगाये जाने वाले प्रसाधनों, काम-काज के दौरान गर्म-सर्द हवा के थपेड़ों, धूल व मिट्टी के जमाव के कारण शरीर की शेष त्वचा की तुलना में अधिक प्रभावित होती है क्योंकि शेष हिस्से की त्वचा कपड़ों से ढकी रहने के कारण सुरक्षित रहती है। इसलिए रात को सोने से पहले चेहरे की त्वचा पर जमी हुयी मिट्टी, प्रसाधनों के अंश, त्वचा के मृत कण एवं जमी हुयी तैलीय परत को ठीक से साफ करना चाहिये।


चेहरे और बालों की सुंदरता को बनाए रखने के लिए लोगों का रुझान प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधनों की तरफ दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। ताजे फलों और सब्जियों के फेस-पैक तथा हिना के महत्व को लोग स्वीकारने लगे हैं। बालों में हिना, आंवला, शिकाकाई और हिबिस्कस लगाने से बाल न सिर्फ तंदुरुस्त होते हैं, बल्कि ये प्रदूषण के दुष्प्रभाव से भी बचे रहते हैं। चेहरे पर दूध, खीरा, कच्चा आलू, पपीता, गेहूं का चोकर, मसूर दाल, दही आदि का फेस-पैक लगाने से चेहरे पर प्रदूषण का असर कम होता है। हर दूसरे दिन फेस-पैक लगाने पर मुरझाई और कांतिहीन त्वचा में चमक आ जाती है तथा ब्लैक हेड्स से भी राहत मिलती है। चेहरे को प्रतिदिन क्लींजिंग मिल्क से साफ करना चाहिए और मृत ऊतकों को हटाने के लिए सप्ताह में कम-से-कम दो बार दानेदार चोकर आदि से चेहरे की हल्की मालिश करनी चाहिए।


उबटन के लिए आधा कप बेसन, आधा कप जौ का आटा, तीन-चार चम्मच हल्दी, मलाई वाला दही या आधा कप दूध और अंडे की जर्दी मिलाकर फेंट लें और शरीर पर हल्के हाथों से रगड़ें। कुछ देर बाद गुनगुने पानी से स्नान कर लें। इससे ताजगी महसूस होती है और चेहरे में चमक आ जाती है।


लिनोलियम या पेट्रोलियम से बनी फेशियल क्रीम को चेहरे पर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि ये रोम-छिद्रों को बंद कर देती हैं और प्रदूषक कारकों को त्वचा पर चिपकने का मौका देती हैं। त्वचा के रोम-छिद्रों के खुले नहीं होने पर पसीना शरीर से पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाता है जिससे हानिकारक पदार्थ शरीर के भीतर ही रह जाते हैं और कील-मुंहासे पैदा करते हैं। 


सुप्रसिद्ध आहार विशेषज्ञ डा.पल्लवी वैश्य कहती हैं कि पौष्टिक आहार के सेवन से हमारे शरीर के साथ-साथ चेहरे और बाल पर भी प्रदूषण का दुष्प्रभाव कम पड़ता है। विटामिन ए, बी, सी और ई से परिपूर्ण आहार लेने पर हमारी त्वचा और बाल को प्रदूषण से सुरक्षा मिलती है। डा. वैश्य की सलाह है कि इसके अलावा आहार में ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसी एंटी ऑक्सीडेंट पदार्थ भी प्रचूर मात्रा में लेना चाहिए। पानी और ताजे फलों के रस काफी मात्रा में पीना चाहिए। अधिक पानी पीने से चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़ती है और त्वचा से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।