पिनलेस कंप्यूटर नेविगेटेड नी रिप्लेसमेंट सर्जरी से होता है शत प्रतिशत सटीक इलाज और जीवन की गुणवत्ता में होता है सुधार

घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी के क्षेत्र में हुई प्रगति के कारण, अब पिनलेस कंप्यूटर नेविगेटेड सर्जरी से घुटने का शत प्रतिशत सटीक इलाज हो सकता है और इसके सर्वोत्तम परिणाम हासिल होते हैं। पिनलेस कंप्यूटर नेविगेटेड नी रिप्लेसमेंट सर्जरी एक अत्याधुनिक सर्जिकल तकनीक है जो सर्जरी की सटीकता को 99.9 प्रतिशत तक बढ़ा देती है, इंप्लांट के जीवन को बढ़ाती है और प्रत्यारोपित जोड़ों के कार्य करने की क्षमता में अधिक सुधार करती है।
एक आम धारणा है कि दिल की समस्याओं, मधुमेह जैसी उम्र बढ़ने से संबंधित बीमारियों से पीड़ित रोगी ऐसी सर्जरी नहीं करा सकते हैं। लेकिन मैक्स अस्पताल में यह सर्जरी कराने वाले 50 प्रतिशत से अधिक रोगी हृदय रोग की दवा ले रहे थे, उनमें से 30 प्रतिशत मधुमेह से पीड़ित थे और 10 प्रतिशत मोटापे से ग्रस्त थे (बीएमआई 30 से अधिक)। ऐसे सभी मरीजों में घुटना प्रत्यारोपण के बाद बेहतर परिणाम हासिल हुए हैं और वे इस नई तकनीक से लाभान्वित हुए हैं।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पिटल, पटपड़गंज के आर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट विभाग के वरिष्ठ निदेशक और यूनिट प्रमुख डॉ. (प्रोफेसर) अनिल अरोड़ा ने कहा, ''हालांकि “पारंपरिक“ कंप्यूटर नेविगेटेड सर्जरी 20 वर्षों से की जा रही है, लेकिन जांघ की हड्डी में पिन ड्रिल करने और फ्रैक्चर और संक्रमण के अतिरिक्त जोखिम जैसी गंभीर जटिलताओं की संभावना के कारण, यह लोकप्रिय नहीं हुई। लेकिन नवीनतम अत्याधुनिक पिनलेस कंप्यूटर नेविगेशन में पहले के पारंपरिक सर्जरी की तरह ड्रिल करने की जरूरत नहीं पड़ती है जिसके कारण इससे संबंधित खतरे और जटिलताएं भी नहीं होती हैं। यह सर्जरी की अवधि और सर्जरी के जोखिम को काफी बढ़ाए बिना आउटलाइअर के अनुपात को कम करने के लिए एक उत्कृष्ट उपकरण साबित हुई है। पिनलेस कंप्यूटर नेविगेटेड सिस्टम को अलाइनमंेट में सुधार करने के साथ-साथ प्रोस्थेसिस (कृत्रिम घुटने) घटकों की स्थिति में सुधार करने, और घुटने के संतुलन को बेहतर बनाने के उद्देष्य से विकसित किया गया है, जिससे रोगी के समग्र स्वास्थ्य और कृत्रिम घुटने के जीवन में सुधार होता है। घुटना प्रत्यारोपण के लिए पिनलेस कंप्यूटर नेविगेटेड सिस्टम की तुलना परंपरागत तकनीक से करने पर हम पाते हैं कि यह कृत्रिम घुटने के गलत अलाइनमेंट की संभावना को स्पष्ट रूप से काफी कर देती है।'' 
डाॅ. अरोड़ा ने कहा, “यह घुटना प्रत्यारोपण कराने को इच्छुक घुटने और पैर की विकृतियों वाले मरीजों के लिए वरदान है। पिनलेस कंप्यूटर नेविगेटेड नी रिप्लेसमेंट से इन विकृतियों में पूरी तरह से सुधार होता है। पिनलेस कंप्यूटर नेविगेटेड नी रिप्लेसमेंट से वसा के जमाव होने की घातक जटिलता की संभावना कम हो जाती है, क्योंकि मरीज के जांघ की हड्डी के मेड्यूलरी कैनाल में ड्रिल से छेद करने की आवश्यकता नहीं होती है। घुटना प्रत्यारोपण के लिए पिनलेस कंप्यूटर नेविगेटेड सिस्टम में विशेष स्टेराइल प्रोब का उपयोग किया जाता है जो इन्फ्रारेड कैमरे की मदद से कंप्यूटर में रोगी के घुटने का 3 डी मॉडल बनाने के लिए सर्जरी के दौरान प्रभावित घुटने के आसपास समान रूप से स्थानांतरित होता है। घुटना प्रत्यारोपण के लिए कंप्यूटर नेविगेटेड सिस्टम के मार्गदर्शन में, उसके बाद घुटने को बदल दिया जाता है, और इम्प्लांट की स्थिति की पुष्टि की जाती है, जो स्थिति और संतुलन के मामले में लगभग सौ प्रतिशत सटीक होती है।“
पूरी तरह से अलाइन किये गये घुटने न केवल लंबे समय तक चलते हैं बल्कि मिनिमली इनवैसिव सर्जरी के कारण रोगी की तेजी से रिकवरी भी होती है। सर्जरी के बाद, मरीज 4 घंटे बाद ही चलना शुरू कर सकता है। पिनलेस कंप्यूटर नेविगेशन तकनीक उचित समय पर 3-डी इमेजिंग प्रदान करती है और सर्जन को सटीकता के साथ चीरा लगाने के लिए मार्गदर्शन करती है जिसके कारण इंप्लांट का बेहतर और सटीक प्रत्यारोपण संभव हो पाता है। इसके अलावा, उन तकनीकों से कभी-कभार अनजाने में हो जाने वाली त्रुटियों का भी तुरंत पता चल जाता है और उसी समय उसे सही कर दिया जाता है। यह घुटना प्रत्यारोपण कराने के इच्छुक घुटने और उसके आसपास की विकृतियों से पीड़ित मरीजों के लिए एक वरदान है।