32 वर्षीय श्रीमती सरिता गाइनी ओपीडी में आयीं। उनकी शादी तीन साल पहले हुई थी और वह पिछले तीन साल से गर्भ धारण नहीं कर पा रही थी। उन्हें पिछले छह महीने से माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव हो रहा था। उन्होंने कई क्लिनिकों में इनफर्टिलिटी का इलाज कराया और उनमें फाइब्राॅयड यूटेरस की पहचान हुई जिसका आकार 4 गुना 5 सेंटीमीटर था।
फाइब्राॅयड्स प्रजनन उम्र वाली महिलाओं में गर्भाशय का सबसे सामान्य नाॅन-कैंसरस ग्रोथ है। यह करीब 40-50 प्रतिशत महिलाओं में होता है और उम्र के साथ बढ़ता जाता है। फाइब्राॅयड का वास्तविक कारण अज्ञात है लेकिन इसके होने के कई कारण माने जाते हैं, जैसे- एस्ट्रोजन की अधिकता, देर से शादी, देर से बच्चे पैदा करना, माहवारी का जल्द शुरू होना और शराब का सेवन। फाइब्राॅयड एक हो सकता है या कई भी हो सकता है और इसका आकार छोटा हो सकता है या बड़ा हो सकता है। इसका आकार इतना बड़ा भी हो सकता है कि यह पूरे पेट में हो। फाइब्राॅयड की संख्या, आकार और स्थान के आधार पर ही इसके लक्षण प्रकट होते हैं और इनका इलाज किया जाता है।
फाइब्राॅयड के कई प्रकार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं: मासिक चक्र में व्यवधान, दर्द, इनफर्टिलिटी (गर्भधारण करने में असक्षम), बार-बार गर्भपात और दबाव के लक्षण।
इसकी पहचान के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी सबसे बेहतर विकल्प है। कुछ मामलों में एमआरआई कराने की भी सलाह दी जाती है।
बड़े फाइब्राॅयड और इससे संबंधित सभी समस्याओं को सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। रजोनिवृति से पूर्व महिलाओं में यूटेरिन फाइब्राॅयड होना सामान्य है और यह स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता का विशय है। इन महिलाओं में इसे निकालने के लिए हिस्टेरेक्टाॅमी की जाती है। बच्चे की चाह रखने वाली महिलाआं में हिस्टेेरोस्कोपिक तथा लैप्रोस्कोपिक मायोक्टमी जैसी यूटेरिन स्पेयरिंग सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है।
मायोमेक्टमी के लिए लैपरोस्कोपिक तरीका परंपरागत ओपन तरीके से काफी बेहतर है। इसमें न सिर्फ अस्पताल में रहने की जरूरत कम होती है, बल्कि यह काॅस्मेटिक दृष्टि से भी बेहतर है, रोगी अपना काम-काज जल्द करने लगती है, कम लागत आती है, रक्त का कम नुकसान होता है, गर्भावस्था दर अधिक है, तेजी से रिकवरी होती है और ऐडहीशन बनने की कम संभावना होती है।
लैपरोस्कोपिक मायोक्टमी ने कई निःसंतान दम्पतियों और बीमारी से पीड़ित महिलाओं में उम्मीद पैदा की है। यूटेरिन फाइब्राॅयड घातक बीमारी नहीं है और इसके इलाज के बेहतर परिणाम आ सकते हैं।
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