दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों तथा छोटे-बड़े शहरों में मैकडोनाल्ड, विम्पी, डामिनाॅज पिज्जा और पिज्जा हट जैसी फास्ट फूड कंपनियों के अंधाधुंध तरीके से फैलते आउटलेट्स के कारण पनप रही फास्ट फूड संस्कृति मोटापा, मधुमेह, रक्त चाप और हृदय की बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ा रही है। युवा पीढ़ी में चीजबर्गर, पिज्जा, चाकलेट, आईसक्रीम तथा चाउमीन जैसे फास्ट फूड का बढ़ रहा क्रेज उनकी सेहत पर कहर ढा रहा है। यह बिडम्बना है कि एक तरफ देश के गांवों और शहरों के गरीब लोग कुपोषण के कारण बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ शहरों के रइसजादे दिखावे के लिये वैसे आहार ले रहे हैं जो मंहगे होने के साथ-साथ पूरी तरह से अपौष्टिक एवं अस्वास्थ्यकर तो हैं ही, मोटापे के लिए भी जिम्मेदार हैं।
मोटापा हृदय की बीमारियों को बढ़ाने वाला एक प्रमुख कारण है। एक वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि मोटे व्यक्ति को पतले व्यक्ति की तुलना में सात साल पहले हृदय रोग हो सकते हैं। इस अध्ययन में पाया गया कि सामान्य वजन वाले मध्यम वय के हृदय रोगी 64 साल की उम्र में ही अस्पताल आते है जबकि अधिक वजन वाले रोगी 61 साल की उम्र में ही और बहुत अधिक उम्र के मरीज 57 साल की उम्र में ही डाक्टरों के पास आते हैं। सामान्य वजन वाले हृदय रोगी की आयु औसतन 78 साल होती है जबकि अधिक वजन वाले हृदय रोगी औसतन 77 साल तक जीते हैं।
सुप्रसिद्ध कार्डियोलाॅजिस्ट एवं मैट्रो ग्रूप आफ हास्पीटल्स के चैयरमैन पद्मभूषण डा. पुरूषोत्तम लाल के अनुसार जो व्यक्ति जितना अधिक वजन का होगा उसे उच्च रक्त चाप मधुमेह और काॅलेस्ट्राल की समस्यायें उतनी ही अधिक होंगी। मौजूदा समय में आनन-फानन में तैयार होने वाले फास्ट फूड, वसा युक्त खाद्य पदार्थों, अत्यधिक मीठी वस्तुओं और डिब्बाबंद खाद्य सामग्रियों के प्रयोग के कारण लोगों के शरीर में कोलेस्ट्रॅाल की मात्रा बढ़ रही है। कोलेस्ट्रॅाल बढ़ने से हृदय को स्वच्छ रक्त एवं आक्सीजन पहुंचाने वाली धमनियों में अवरोध पैदा हो जाता है जिससे हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं मिल पाता है।
चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये डा. बी सी राय पुरस्कार से सम्मानित डा. पुरूषोत्तम लाल बताते हैं कि आज के समय में फास्ट फूड के बढ़ते प्रचलन के अलावा महानगरीय विलासितापूर्ण रहन-सहन, गलत खान-पान, धूम्रपान, शराब सेवन, व्यायाम से बचने की प्रवृति तथा मानसिक तनाव और अन्य मानसिक परेषानियों के कारण भी हृदय रोगों के प्रकोप में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
डा. पुरूषोत्तम लाल बताते हैं कि फास्ट फूड को बनाने के लिये अधिक मात्रा में वसा तथा कार्बोहाइेट का इस्तेमाल होता है। ये दोनों हमारे हृदय को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा फास्ट फूड में नमक/सोडियम का अंश भी बहुत अधिक होता है। यह रक्त चाप तथा हृदय रोग की आशंका को बढ़ता है।
सबसे अधिक संख्या में एंजियोप्लास्टी एवं स्टेंटिंग करने वाले डा. पुरूषोत्तम लाल का सुझाव है कि जो लोग फास्ट फूड को छोड़ नहीं सकते उन्हें अधिक शारीरिक श्रम एवं व्यायाम करना चाहिये ताकि फास्ट फूड के जरिये जो अतिरिक्त कैलोरी ग्रहण की गयी है वह पच सके। उन्होंने बताया कि एक बर्गर में करीब 650 से 700 कैलोरी जबकि शीतल पेय के एक बड़े पैक में 1000 कैलोरी होती है। इस तरह हम एक बार जो फास्ट फूड लेते हैं उससे हमें 1500 से 2000 कैलोरी प्राप्त हो जाती है और इतनी कैलोरी एक औसत व्यक्ति को पूरे दिन भर के लिये पर्याप्त होती है। इसलिये फास्ट फूड लेने वाले व्यक्ति को चाहिये कि वे बाकी समय के आहार में कटौती करें।
आज के समय में हृदय रोग और दिल के दौरे असामयिक मौत के सबसे बड़े कारण हैं। कम उम्र के लोगों में दिल के दौरे का प्रमुख कारण आनुवांशिक कारणों के अलावा उच्च कालेस्ट्राल एवं अधिक रक्तचाप शामिल हैं। लेकिन लोग धुम्रपान से परहेज, फलों और सब्जियों के भरपूर सेवन और अपने भोजन में आहार की मात्रा कम रखकर हृदय रोगों से बच सकते हैं।
हृदय रोगों से बचने के सबसे बेहतर उपाय परहेज तथा हृदय की नियमित जांच है। हृदय रोगों तथा दिल के दौरे से बचने के लिये हृदय की रक्त धमनियों में होने वाले जमाव का समय से पता लगाना अनिवार्य हो जाता है। लेकिन इसके पता लगाने की परम्परागत तकनीक- एंजियोग्राफी इतनी मंहगी एवं जटिल है कि ज्यादातर लोग एंजियोग्राफी कराने से बचना चाहते हैं अथवा और कोई विकल्प नहीं रहने पर ही अंतिम समय में एंजियोग्राफी कराते हैं तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है। डा. पुरूषोत्तम लाल के नेतृत्व में नौएडा स्थित मेट्रो हाॅस्पीटल्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट्स ने हृदय की रक्त धमनियों में जमाव को समय पूर्व पता लगाने के लिये अत्यंत सरल एवं सस्ती विधि विकसित की है। इसे मेट्रो कोरोनरी स्क्रिनिंग नाम दिया गया है और इसकी मदद से रक्त धमनियों में 50 प्रतिशत से भी कम की रुकावट का पता लगाया जा सकता है। रक्त धमनियों में रुकावट का समयपूर्व पता लग जाने से मरीज खान-पान पर नियंत्रण रखकर तथा नियमित व्यायाम करके हृदय रोगों पर काबू रख सकता है।