ओकुलर ऑनकोलॉजी क्या है?
शरीर के अन्य हिस्सों की तरह ही आंखों में भी ट्यूमर हो सकते हैं। सामान्य षब्दावली में हम इसे आंख का कैंसर कहते हैं। जब आंखों में या उसके आस-पास की स्वस्थ कोशिकओं में परिवर्तन आ जाता है और वे कम समय में ही संख्या में तेजी से बढ़ने लगती हैं, तो एक मैस का निर्माण हो जाता है जिसे ट्यूमर कहते हैं। ट्यूमर कैंसर रहित (बिनाइन) या कैंसर जन्य (मैलिग्नेंट हो सकते हैं। नेत्र ट्यूमर से दृष्टि को हानि पहुंच सकती हैं और ये यहां तक कि स्वास्थ्य और जीवन पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।
ओकुलर ऑन्कोलॉजी आंखों के ट्यूमर से निपटने के लिए विशेष उपचार है।
भारत में हर साल आंखों के कैंसर के लगभग 10,000 नए मामलों की पहचान की जाती है जिसमें 20-30 प्रतिशत बच्चे होते हैं और 70-80 प्रतिषत वयस्क होते हैं।
यदि शुरुआती चरणों में ही कैंसर की पहचान हो जाये और इसका सही उपचार किया जायेे, तो इसका इलाज संभव है।
ओकुलर ओन्कोलॉजी नेत्र सर्जनों को करनी चाहिए
आंखों की अनूठी संरचना होती है और आंख का कैंसर न केवल दृष्टिहीन कर सकता है बल्कि आंख और जीवन को खतरे में डाल सकता है। इसलिए आंख के ट्यूमर का उपचार इस तरह से किया जाना चाहिए ताकि ट्यूमर ठीक हो जाए और दृष्टि और आंख की संरचना को बचाया जा सके।
ओन्कोलॉजिस्ट को कैंसर के बारे में ज्ञान होता है और ओकुलर ऑन्कोलॉजिस्ट को आंखों के साथ-साथ कैंसर का भी ज्ञान होता है। इस प्रकार ओकुलर ऑन्कोलॉजिस्ट आंखों के कैंसर के इलाज के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। इससे उपचार में ओकुलर ऑन्कोलॉजिस्ट, पैथोलाॅजिस्ट, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडियेषन ऑन्कोलॉजिस्ट का टीम प्रयास शामिल होता है।
आंख की पुतली में बने कैंसर को इंट्राओकुलर (आंख के अंदर) मैलिग्नेंसी कहा जाता है।
आंखों के भाग
आंख को दृष्टि के अंग, प्रकाश जमा करने और तस्वीर बनाने के लिए मस्तिष्क को संदेश भेजने के रूप में भी जाना जाता है। आंख के मुख्य भाग हैं:
ऽ आई बाॅल या नेत्र गोलक (पुतली)
ऽ आर्बिट या आंख का गड्ढा (आई सॉकेट)
ऽ एडनेक्सल या उपांग (सहायक) संरचनाएं, जैसे पलक और आंसू ग्रंथियां
पुतली का बाहरी हिस्सा तीन घटकों - स्क्लेरा, रेटिना और यूविया से बना होता है। स्क्लेरा पुतली के बाहरी दीवार पर स्थित होता है। रेटिना पतली परत वाली संरचना होती है जो नेत्र गोलक (पुतली) के चारों तरफ होती है आंख से मस्तिष्क तक जानकारी भेजती है। और यूविया आंख का पोषण करता है। रेटिना और यूविया में रक्त वाहिकाएं होती हैं। यूविया में दृष्टि की तीन प्रमुख चीजें होती हैं।
ऽ आईरिस - यह आंख का रंगीन हिस्सा है जो आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी की मात्रा को नियंत्रित करता है।
ऽ सिलरी बॉडी - यह मांसपेशी ऊतक है जो आंखों में तरल पदार्थ पैदा करता है और आंखों को ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
ऽ कोरॉयड - यह ऊतक की एक परत है जो रेटिना के नीचे होती है जिसमें संयोजी ऊतक और मेलेनोसाइट्स होते हैं, जो पिगमेंटेड (रंगीन) कोशिकाएं होती हैं, और आंख के अंदर पोषण करती हैं। ट्यूमर के लिए कोरॉयड सबसे आम जगह है।
इंट्राओकुलर ट्यूमर और रेटिनोब्लास्टोमा
इंट्राओकुलर मेलेनोमा वयस्कों में होने वाला सबसे आम नेत्र कैंसर और रेटिनोब्लास्टोमा बच्चों में होने वाला सबसे आम नेत्र कैंसर है।
इंट्राओकुलर ट्यूमर दुर्लभ कैंसर है लेकिन यह वयस्कों में होने वाला कैंसर का सबसे आम प्रकार है। इंट्राओकुलर मेलेनोमा की कैंसर कोशिकाएं आमतौर पर आंखों के यूविया में पाई जाती हैं। आईरिस में इंट्राओकुलर कैंसर आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है और फैलता नहीं है। ट्यूमर को आसपास के क्षेत्र की तुलना में आईरिस पर एक गहरे धब्बे के रूप में देखा जा सकता है।
कोरॉयड या सिलीरी बॉडी में ट्यूमर पीछे होता है। कभी-कभी इंट्राओकुलर कैंसर फैलता है और एक्सट्रा ओकुलर का आकार ले लेता है। यदि इसका इलाज जल्दी नहीं किया जाता है तो यह आस-पास के ऊतकों, ऑप्टिक नर्व या आर्बिट में फैल सकता है।
रेटिनोब्लास्टोमा किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन अक्सर पांच से कम उम्र के बच्चों में होता है। यह रेटिना में एक छोटे ट्यूमर के रूप में शुरू होता है। रेटिना आंख के बहुत पीछे मौजूद होता है। जैसे - जैसे बच्चा बढ़ता है रेटिना रेटिनोब्लास्ट नामक कोशिकाओं से उत्पन्न होता है, जो इसे बढ़ाने और विभाजित करने में मदद करता है। जब ये बढ़ना बंद करती हैं तो ये कोशिकाएं रेटिना की परिपक्व कोशिकाएं बन जाती हैं।
इसलिए रेटिनोब्लास्टोमा के मामले में रेटिनोब्लास्ट बढ़ते रहते हैं और ट्यूमर बनाते हैं।
रेटिनोब्लास्टोमा को तीन प्रकार के कैंसर में वर्गीकृत किया जाता है:
ऽ इंट्राओकुलर: यह कैंसर या तो एक या दोनों आंखों में होता है लेकिन आंख के बाहरी ऊतक में नहीं होता है।
ऽ एक्स्ट्रा ओकुलर: यह कैंसर आंख के बाहर फैलता है। यह आंख के चारों ओर के ऊतकों और यहां तक कि शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है।
ऽ रिकरेंट रेटिनोब्लास्टोमा: इस प्रकार का कैंसर ठीक हो जाने के बाद भी लौट आता है। यह आसपास के ऊतक या शरीर में कहीं भी दोबारा हो सकता है।
उपचार
इसका उपचार ट्यूमर के विकास पर निर्भर करता है। अगर ट्यूमर काफी बढ़ चुका है तो आंख की रौषनी के वापस आने की उम्मीद कम होती है। आंखों की अन्य सर्जरी में निम्नलिखित शामिल हैं:
ऽ कोराॅइडेक्टोमी: कोराॅयड के हिस्से को हटाना
ऽ इरिडेक्टोमी: आईरिस के हिस्से को हटाना
ऽ इरिडोसाइक्लेक्टॉमी: सिलीरी बॉडी के हिस्सों और आईरिस के कुछ हिस्सों को हटाना
ऽ इरिडोट्राबेक्यूलेक्टॉमी: कॉर्निया और आईरिस के आसपास के सहायक ऊतकों के हिस्सों को हटाना
ट्यूमर को हटाने और शरीर के दूसरे हिस्से में इसकी रोकथाम करने में मदद करने के लिए रेडियेशन और कीमोथेरेपी दो उपचार विकल्प हैं। अत्यधिक ठंड के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए क्रायथेरेपी का भी उपयोग किया जाता है। कैंसर कोषिकाओं को नश्ट करने के लिए थर्मो थेरेपी दी जाती है, जिसमें लेजर से हीट दी जाती है।
ओकुलर ऑनकोलॉजी: आंखों में ट्यूमर
~ ~
SEARCH
LATEST
6-latest-65px
POPULAR-desc:Trending now:
-
- Vinod Kumar मस्तिष्क में खून की नसों का गुच्छा बन जाने की स्थिति अत्यंत खतरनाक साबित होती है। यह अक्सर मस्तिष्क रक्त स्राव का कारण बनती ह...
-
विनोद कुमार, हेल्थ रिपोर्टर वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी लेकिन कोरोना से बच नहीं पाए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक...
-
– विनाेद कुमार संगोष्ठी के दौरान डा़ रामदास तोंडे की पुस्तक ʺसाहित्य और सिनेमाʺ का लोकार्पण तेजी से बदलते युग में ‘साहित्य और सिनेमा’ विषय प...
-
चालीस-पचास साल की उम्र जीवन के ढलान की शुरूआत अवश्य है लेकिन इस उम्र में अपने जीवन के सर्वोच्च मुकाम पर पहुंचा व्यक्ति पार्किंसन जैसे स्नायु...
-
कॉस्मेटिक उपचार के बारे में मन में अक्सर कई विरोधाभाश और सवाल उठते रहते हैं लेकिन अब इनके जवाब अनुत्तरित रह नहीं रह गये हैं। यहां यह उल्लेख ...
Featured Post
श्वसन विकारों के यौगिक प्रबंधन" पर विशेष कार्यशाला का आयोजन
नई दिल्ली , 18 जनवरी: मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) में "श्वसन विकारों के यौगिक प्रबंधन" पर एक विशेष कार्यशा...
Blog Archive
Labels
addiction
ayurveda
ayush
traditional medicine
Beauty & Fitness
black fungus
bollywood
breat cancer
central government
Chandrayaan-3
children
CII
cinama
literature
corona
cosmetic laxe
covid
covid positiv mother
diabetes
diet
divyang
DNA vaccine
eye care
eye donation
food
food & nutrition
gov
health
Health centre
health and food
Health Articles
health family welfare
Health News
health news
corona
health problems
healthy food
healthy heart
Heart Care
heart diseases
covid-19
Heart Problems
immunisation
pandemic
infertility
joshimath
Lifestyle
mental health
monkey pox
National News
nutrition
child health
obesity
obesity in children
obesity and mental health
proteins
roda safety
soy food industry
soya
UHI
vaccination
vaccine
WHO
Women's Health
yoga