बच्चों में बढ़ते मोटापे के कारण उनकी हड्डियां बचपन में ही खराब और कमजोर हो रही हैं और वे स्कूल जाने की उम्र से ही आर्थराइटिस एवं ओस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के शिकार बन रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा मोटे बच्चों में फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो कमर, पैर के उपरी हिस्सों और कूल्हे पर जमा हो जाती है। बाद में फैट लीवर, मांसपेशियों और हड्डियों में भी जमा हो जाती है। यहां तक कि यह फैट अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में भी जमा होती है और जब इसकी मत्रा अधिक हो जाती है तो कोकिशकाओं के विकसित होने की जगह नहीं बचती है जिससे हड्डियां विकसित नहीं होती है और वे कमजोर हो जाती हैं।
अमृतसर स्थित अमनदीप हास्पीटल के प्रमुख आर्थोपेडिक सर्जन डा. अवतार सिंह बताते हैं कि आस्टियोब्लास्ट्स सेल्स के नाम से से जाने जाने वाली कोशिकाओं से ही हड्डियों के विकास के लिये जरूरी उतकों का निर्माण होता है, लेकिन जब बोन मैरो अतिरिक्त वसा जमा होने से इन कोशिकाओं के विकास के लिये जरूरी जगह नहीं मिल पाती हैकोशिकाओं के विकास होने से हड्डियों का विकास रूक जाता है, हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और हल्की सी चोट लगने पर भी फ़ैक्चर का खतरा होता है।
डा. अवतार सिंह कहते हैं कि आज-कल बच्चे हेल्दी डाइट लेने के बजाय जंक फुड, फास्ट फुड और तले हुयी चीजें खाने पर ज्यादा जोर देते हैं। इससे फैट तो बढ़ता है लेकिन शरीर और हड्डियों के लिये जरूरी मिनरल्स की कमी हो जाती हैहड्डियों में भी मिनरल्स का घनत्व कम होता है और हड्डियां कमजोर होने लगती है। नतीजा हड्डियों का आकार प्रभावित होता है और वे कमजोर हो जाती है।
उन्होंने बताया कि पहले इस तरह की धारणा थी कि मोटे शरीर की हड्डियां ज्यादा मजबूत होती हैंपहले माना जाता था कि अधिक वजन वाले शरीर की हड्डियां मजबूत होती है। कुछ विशेषज्ञों का तर्क था कि मोटे शरीर में हड्डियों को सुरक्षा मिलती है लेकिन नये अध्ययनों से साबित हुआ है कि मोटापे से हड्डियां कमजोर होती हैं।
डा. अवतार सिंह के अनुसार मौजूदा समय में मोटापे एवं गलत जीवन शैली के कारण युवकों में भी आर्थराइटिस जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। हमारे देश में तेजी से बढ़ रहे मोटापे के प्रकोप के कारण न केवल अधिक उम्र के लोगों में कम उम्र में भी घुटने एवं जोड़ो की आर्थराइटिस की समस्या बढ़ रही है और इस कारण से 65 साल से कम उम्र के लोगों में भी घुटने एवं अन्य जोड़ को बदलवाने के आपरेशनों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुयी है। आज जिस तेजी से युवकों में आर्थराइटिस की समस्या बढ़ रही है उसे देखते हुये रोकथाम पर अधिक ध्यान देना चाहियेउन्होंने कहा कि मौजूदा समय में शल्य चिकित्सा तकनीकों में सुधार और बेहतर इम्पलांटों के विकास होने के कारण आज घुटना बदलने का आपरेशन अत्यंत आसान, कारगर एवं सुरक्षित हो गया है। यह भी देखा जा रहा है कि लोगों खास कर युवकों के मन में ऐसे आपरेशनों को लेकर डर पहले की तुलना में बहुत कम हो गया है और आज अधिक संख्या में युवा ऐसे आपरेशन कराने के लिये सामने आ रहे हैं।
पोषण विशेषज्ञों के अनुसार शरीर में हड्डियों के समुचित विकास के लिये कैल्शियम की सही मात्रा की जरूरत होती है। शरीर ठीक तरह से कैल्शियम ग्रहण करें और उसे पचाये, इसके लिये विटामिन डी जरूरी है, इसलिये बच्चों को कैल्शियम वाला आहार देना चाहिये और विटामिन डी की कमी नहीं होने देना चाहिये। बच्चों को शुरू से ही कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर आहार देना चाहिये। दूध और दूध से बनी चीजों से कैल्शियम की कमी की पूर्ति होती हैहरी सब्जियां, सलाद, फल, दाल, मछली आदि को आहार में शामिल करना चाहिये। बच्चों को जंक फुड एवं तले हुयी चीजों से दर रखना चाहिये। इसके अलावा रोजाना कम से कम एक घंटे के लिये घर के बाहर आउट डोर खेलने चाहिये।
डा. अवतार सिंह का कहना है कि अगर शरीर और हड्डियों में बार-बार दर्द की शिकायत है हड्डियों की जांच करानी चाहियेइसके लिये बोन डेंसिटी टेस्ट कराये जाने चाहियेअगर ओस्टियोपोरोसिस हो तो इसके लिये दवाइयों और व्यायाम से लाभ मिलता है, लेकिन स्थिति गंभीर होने पर सर्जरी कराने की जरूरत हो सकती है।