मेनोरेजिया : लापरवाही पड़ सकती है भारी

माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव होना कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का लक्षण है, लेकिन महिलाओं को निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इन समस्याओं का अब कारगर इलाज मौजूद है ...
जब किसी महिला को माहवारी के दौरान रक्त के साथ रक्त के थक्के (क्लॉट्स) सामान्य से अधिक सात से ज्यादा दिनों तक निकलते हैं, तो इस स्थिति को अत्यधिक मासिक रक्तस्राव या मेनोरेजिया कहा जाता है।
समस्याएं:
अत्यधिक रक्तस्राव के कारण महिला खून की कमी (एनीमिया) की समस्या से ग्रस्त हो सकती है। इस वजह से वह कमजोरी महसूस करती है और कई मामलों में उसके जीवन के लिये खतरा भी पैदा हो सकता है।
कारण:
असामान्य रूप से अत्यधिक मासिक रक्तस्राव अनेक कारणों से हो सकता है,जिसका रोग के स्वरूप के अनुसार इलाज किया जाता है..
1. हार्मोन संबंधी गड़बड़ियां: इनके अंतर्गत थायरॉयड संबंधी समस्या या अंडाशय (ओवरी)से अंडाणु (एग) का नहीं निकलना या पॉली सिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी) को शामिल किया जाता है। इन कारणों की जांच रक्त परीक्षणों और अल्ट्रासाउंड के जरिये आसानी से हो सकती है और दवाओं के जरिये इलाज संभव है।
2. गर्भाशय संबंधी समस्याएं: गर्भाशय में फाइब्रॉइड, पॉलिप या अन्य विकृतियां होने के कारण अत्यधिक मासिक रक्तस्राव हो सकता है। इन सभी का उपचार 'कीहोल सर्जरी' के जरिये आसानी से हो सकता है। लैप्रोस्कोपी मायोमेक्टॅमी के माध्यम से किसी भी आकार के और एक से अधिक फाइब्रॉइड को निकाला जा सकता है। जबकि हिस्टेरोस्कोपी के जरिये गर्भाशय की कैविटी में मौजूद पॉलिप व अन्य विकृतियों को हटाया जा सकता है।
3 कैंसर का खतरा: असामान्य रक्तस्राव की कभी भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस तरह का रक्तस्राव सर्विक्स (गर्भाशय मुख का कैंसर) और गर्भाशय कैंसर का लक्षण हो सकता है। आज लैप्रोस्कोपी (की होल सर्जरी) के जरिये कैंसर सर्जरी सफलतापूर्वक की जा रही है।
4. अन्य कारण: अत्यधिक मासिक रक्त स्राव के अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे गर्भपात। स्त्री रोग विशेषज्ञ इन कारणों की आसानी से जांच कर सकती हैं।
इलाज:
जब रक्तस्राव के किसी कारण का पता नहीं चलता है तो इसे डीयूबी (डिसफंक्शनल यूटेराइन ब्लीडिंग) कहा जाता है। डीयूबी के उपचार के लिए कई और भी तरीके हैं। जैसे आधुनिक इंट्रा यूटेराइन उपकरणों के द्वारा, इंजेक्शन या खाने वाली दवाओं के रूप में। जब उपचार की सभी विधियों से पीड़ित महिला को राहत नहीं मिलती, तब अंतिम उपाय के रूप में हिस्टेरेक्टॅमी (गर्भाशय निकालना) की जरूरत पड़ सकती है।
जिन महिलाओं का पूर्व में ऑपरेशन के जरिये बच्चा हो चुका है, उनमें भी लैप्रोस्कोपी के जरिये गर्भाशय निकाला जा सकता है। लैप्रोस्कोपी का फायदा यह है कि महिला को केवल एक दिन अस्पताल में रहने की जरूरत होती है, रक्त की बहुत कम क्षति होती है, रक्त चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती और कम से कम दर्द होता है। याद रखें, महिलाएं पूरे परिवार के लिए स्वास्थ्य की धुरी होती हैं। इसलिए उनके स्वास्थ्य के संदर्भ में किसी भी तरह की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।