वियाग्रा पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने वाली दवा के रूप में दुनिया भर में काफी लोकप्रिय हो चुकी है। लेकिन अब भारत सहित अनेक देशों में महिलायें भी यौन क्षमता बढ़ाने के लिये वियाग्रा का सेवन करने लगी हैं। अब किसी भी तरह की यौन समस्याओं से ग्रस्त महिलाएं मनोचिकित्सक से मेडिकल पर्ची पर वियाग्रा की गोली लिखने को सिफारिश करने लगी हैं, लेकिन चिकित्सकों के अनुसार वियाग्रा महिलाओं में यौन शक्ति बढ़ाने में कारगर नहीं होती है। अगर महिलाएं बिना किसी चिकित्सक की सलाह के इसकी अधिक मात्रा का सेवन कर लें तो यह उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। लेकिन दूसरी तरफ वियाग्रा बनाने वाली अमरीकी बहुराष्ट्रीय कंपनी फाइजर की जाॅन डाॅरमैन का कहना है कि महिलाएं वियाग्रा लेने के बाद अपने पति के साथ के शारीरिक संबंध को अधिक आनंददायक बना सकती हैं। यह पुरुषों और महिलाओं पर समान रूप से कार्य करती है।
फाइजर कंपनी ने 27 मार्च 1998 को अमरीकी बाजार में वियाग्रा जारी किया था। अमरीका में इसके बाजार में आने के बाद केवल दो माह में 10 लाख लोगों ने डाक्टरी पर्चे पर इस दवाई का इस्तेमाल किया। बाद में सभी देशों में इसका अंधाधुंध इस्तेमाल आरंभ हो गया। इसका सेवन ऐसे लोग भी करने लगे जिन्हें किसी तरह की यौन समस्या नहीं थी। चिकित्सकों से परामर्श के बगैर ही बहुत अधिक मात्रा में इसके सेवन के कारण अनेक लोगों की मौत होने के कई मामले भी सामने आ चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद इसकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है।
चिकित्सकों के अनुसार वियाग्रा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन नामक यौन बीमारी की दवाई है। यह फास्फोडिस्टेरेस- 5 किस्म के अवरोधक 'इनव्हिटर्स'- अर्थात पी.डी.ई.- 5 नामक औषधियों की नयी श्रेणी की पहली औषधि है। यह पुरुष जननांग में रक्त प्रवाह सुचारू बनाता है। इससे 'इरेक्टाइल डिस्फंक्शन' की समस्या उत्पन्न नहीं होती। इस कंपनी के अनुसार 'वियाग्रा' मुख्य तौर पर पुरुष जननांग में पाये जाने वाले पी.डी.ई. - 5 नामक एंजाइम को रोकती है जिससे यौन उत्तेजना के दौरान जननांग में साइक्लिक जी एम पी नामक रसायन अधिक मात्रा में बरकरार रहता है और जननांग में रक्त आपूर्ति बढ़ जाती है जिससे उसमें उत्तेजना और कड़ापन आ जाता है।
नयी दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ प्लास्टिक, काॅस्मेटिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन डा. अनूप धीर के अनुसार इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की बीमारी रक्त वाहिनियों या तंत्रिकाओं अथवा दोनों की कार्यप्रणालियों में गड़बड़ी आ जाने से उत्पन्न होती है। पुरुष जननांग की रक्त वाहिनियों में वसा जम जाने पर जननांग में रक्त प्रवाह समुचित रूप से नहीं हो पाता है जिसके कारण यौन संबंध के दौरान पुरुष लिंग में पर्याप्त कड़ापन नहीं आ पाता है। मधुमेह और उच्च रक्त दाब तथा इन रोगों की दवाईयों के सेवन, मानसिक तनाव, पर्यावरण प्रदूषण, मेरू रज्जू (स्पाइनल कार्ड) में चोट अथवा उससे संबंधित बीमारियों, हार्मोन संबंधी एवं आनुवांशिक विकारों के अलावा अधिक शराब एवं वसायुक्त भोजन के सेवन तथा धूम्रपान से कई पुरुषों में 'इरेक्टाइल डिस्फंक्शन' की समस्या उत्पन्न हो जाती है। 'इरेक्टाइल डिस्फंक्शन' का एक अन्य कारण स्नायु तंत्र में गड़बड़ी आ जाना है। इस कारण पुरुष जननांग की रक्त वाहिकाओं को समय पर फैलने का संकेत नहीं मिल पाता है जिससे उनमें रक्त का तेज बहाव नहीं हो पाता है। उनका कहना है कि वियाग्रा केवल उन्हीं पुरुषों के लिये कारगर है जिनमें यह बीमारी गंभीर नहीं होती है और इनके इलाज के लिए शल्य क्रिया की जरूरत नहीं पड़ती।
महिलाओं के लिये वियाग्रा को हालांकि अभी अमरीका के खाद्य और औषधि मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली है लेकिन अनेक देशों में पुरुषों के साथ-साथ महिलायें भी इसका सेवन करने लगी हंै। हृदय रोग चिकित्सक डा. के. के. अग्रवाल बताते हैं कि जो पुरुष या महिला पहले से ही दिल के मरीज हैं और वे नाइट्रेट युक्त दवाईयों का सेवन कर रहे हैं उनके लिये वियाग्रा का सेवन घातक साबित हो सकता है क्योंकि वियाग्रा की तरह ही नाइट्रेट युक्त ये दवाईयां भी यौन क्रिया से पहले खायी जाती हैं और ये जननांग में रक्त संचालन तेज कर देती हैं। इस तरह एक ही बार में एक ही तरह की दो दवाईयों के सेवन से रक्त संचालन बहुत तेज हो जाता है और मरीज का रक्त चाप एकाएक कम हो जाने से उसकी मृत्यु हो सकती है। वियाग्रा के सेवन से होने वाली ज्यादातर मौतों का कारण मुख्यतः यही रहा है। इसके अलावा इसके सेवन से सिर दर्द, आंखों में अस्थायी धुंधलापन जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
यूरोप और कनाडा की 18 से 55 वर्ष की 577 महिलाओं पर वियाग्रा के प्रभाव पर किए गए अध्ययनों में पता चला कि इससे महिलाओं की यौन क्षमता में कोई वृद्धि नहीं होती है और न ही इससे उनकी यौनेच्छा में कमी, उत्तेजना में कमी और शारीरिक संबंध के समय दर्द जैसी किसी भी तरह की यौन समस्या का समाधान होता है। शिकागो यूनिवर्सिटी द्वारा महिलाओं पर हाल में किए गए एक अध्ययन से पता चला कि तकरीबन 43 फीसदी महिलाओं में किसी न किसी तरह की यौन समस्या होती है। महिलाओं में यौनेच्छा का संबंध शारीरिक या मानसिक हो सकता है। तनाव और डिप्रेशन की दवाईयों के सेवन से भी यौनेच्छा में कमी हो सकती है। इसके अलावा इसका एक मुख्य कारण हार्मोन असंतुलन भी हो सकता है। महिलाओं में उत्तेजना में कमी होना आम बात है। इसका उम्र से कोई संबंध नहीं है। कई महिलाएं शारीरिक संबंध के समय उत्तेजित नहीं हो पाती हैं। इसके अलावा महिलाओं में शारीरिक संबंध के समय दर्द होना भी एक आम यौन समस्या है। लेकिन रजोेनिवृति के बाद योनि में प्राकृतिक चिकनापन खत्म हो जाने से इन महिलाओं में यह समस्या अधिक होती है। हार्मोन असंतुलन के कारण भी योनि में सूखापन आ सकता है। लेकिन महिलाओं में इस तरह की यौन समस्याओं को दूर करने में वियाग्रा की कोई भूमिका नहीं है और यह सिर्फ प्लैसिबो की तरह काम करता है। अनेक देशों में महिलाओं के लिये भी वियाग्रा जैसी दवाईयां बनाने की कोशिश तेज हो गयी है। मांट्रियल स्थित कोंकोर्डिया युनिवर्सिटी ने पैलैटिन टेक्नोलाॅजिज के साथ मिलकर पीटी 141 नामक दवा का विकास किया है। इस दवाई के सेवन से महिलाओं में यौन क्षमता बढ़ती है। फिलहाल इस दवाई का परीक्षण चल रहा है। भारत में भी कई कंपनियों ने जड़ी-बूटियों से महिलाओं के लिये यौन शक्ति बढ़ाने वाली दवा बनाने का दावा किया है।