महिलाओं में तनाव का कारण होता है जैविक

तनाव पुरुशों की तुलना में महिलाओं को क्यों अधिक प्रभावित करता है और महिलाएं तनाव से संबंधित मनोचिकित्सीय विकारों से अधिक पीड़ित क्यों होती हैं? यह एक पेचीदा विशय है लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार इसका कारण जैविक होता है।
चूहों के मस्तिश्क में स्ट्रेस सिग्नल अणुओं का अध्ययन करने पर अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि नर की तुलना में मादा मुख्य स्ट्रेस हार्मोन के कम स्तर के प्रति अधिक संवेदनषील होती हैं और इसके अधिक स्तर को ग्रहण करने में वे कम समर्थ होती हैं।
चिल्ड्रेन्स हॉस्पीटल ऑफ फिलाडेल्फिया की बिहेवियरल न्यूरो साइंटिस्ट और इस अध्ययन की प्रमुख रीटा जे. वैलेंटिनो के अनुसार यह लैंगिक अंतर पर पहला साक्ष्य है। 
रीटा के अनुसार महिलाओं में डिप्रेषन, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर और अन्य एंग्जाइटी डिसआर्डर की घटना अधिक होती है। इस लैंगिक अंतर का कारण मस्तिश्क कोषिका की सतह पर अणुओं की संरचना है जो रिसेप्टर कहलाती है और यह स्ट्रेस सिग्नलिंग अणुओं के ट्रैफिक को नियंत्रित करती है। रीटा कहती हैं, ''हालांकि मनुश्यों के संदर्भ में इसे सुनिष्चित करने के लिए कुछ और अध्ययनों की जरूरत है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि महिलाएं पुरुशों की तुलना में तनाव से संबंधित विकारों के प्रति दोगुनी संवेदनषील क्यों होती हैं।''
इस अनुसंधान को कोर्टिकोट्रोपिन-रिलीजिंग फैक्टर (सीआरएफ) पर केंद्रित किया गया। सीआरएफ ऐसा हारमोन है जो स्तनधारियों में तनाव के प्रति प्रतिक्रिया को व्यवस्थित करता है। चूहों के मस्तिश्क के विष्लेशण के दौरान तनाव की जांच करने पर अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि मादा चूहों में मस्तिश्क कोषिकाओं के सीआरएफ के रिसेप्टर नर चूहों की तुलना में कोषिका सिग्नलिंग प्रोटीन से अधिक कसकर जुडे होते हैं। इसलिए मादा में रिसेप्टर स्ट्रेस हार्मोन के प्रति अधिक मजबूती से प्रतिक्रिया करती हैं।
रीटा कहती हैं, ''तनावयुक्त नर चूहे अपनी मस्तिश्क कोषिकाओं में रूपान्तरित प्रतिक्रिया करते हैं जो इंटरनलाइजेषन कहलाता है। ये कोषिकाएं सीआरएफ रिसेप्टर की संख्या को कम कर देती हैं और हार्मोन के प्रति कम प्रतिक्रिया करती हैं। मादा चूहों में ऐसा नहीं होता है क्योंकि यह विषेश प्रोटीन उस तरह से सीआरएफ रिसेप्टर से जुड़ा नहीं होता है जैसा कि इस रूपान्तरण के लिए जरूरी होता है। 
रीटा कहती हैं, ''हालांकि हम पूरे विष्वास के साथ नहीं कह सकते हैं कि मनुश्यों में भी इसी तरह की जैविक प्रक्रिया होती है। मनुश्यों में अन्य प्रक्रियाएं और हार्मोन की भी भूमिका हो सकती है। लेकिन चूंकि मनुश्यों में भी तनाव से संबंधित मनोचिकित्सीय विकारों में सीआरएफ रेगुलेषन बाधित होती है। इसलिए यह अनुसंधान मानव जीव विज्ञान के मामले में भी सही साबित हो सकती है।''