कोलेस्ट्रॉल की मुसीबत से छुटकारा पाने के सरल तरीके

''कोलेस्ट्रॉल'' नामक शब्द काफी कुख्यात है और हममे से ज्यादातर लोग इसकी चपेट में आने से डरते हैं। निश्चित ही शरीर में इसका उच्च स्तर होने पर कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं जिनमें हृदय रोग, रक्तचाप और मधुमेह भी शामिल है लेकिन क्या आप जानते हैं कि दरअसल कोलेस्ट्रॉल इन सबके लिए जिम्मेदार नहीं है। जिगर (लीवर) द्वारा बनने वाला लिपिड मस्तिश्क में नर्व कोशिकाओं को ''इंसुलेट'' करने तथा कोशिकाओं को संरचना प्रदान करने जैसी शरीर की कई क्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है। उच्च घनत्व की लापोप्रोटीन (एचडीएल) के कम स्तर के कारण यह समस्या शुरू होती है। दूसरी तरफ कम घनत्व वाली लाइपोप्रोटीन (एलडीएल) धमनियों की दीवारों पर जम जाती है और इसके कारण रक्त प्रवाह में रूकावट आने लगती है जिससे हृदय-वाहिका रोगों के विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है। 
लुधियाना स्थित दयानंद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के मेडिसीन के प्रोफेसर डा. नरेन्द्र पाल जैन कहते हैं, ''जीवन शैली में स्वास्थ्यकारी परिवर्तनों को शामिल करना महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा हृदय रोग के खतरे को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों की पहचान करना तथा उनकी खपत की मात्रा को घटाना भी जरूरी है। है। यह किसी भी तरह की कद-काठी वाले व्यक्ति के लिए जरूरी है। उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर किसी भी तरह की काया और कद-काठी वाले व्यक्ति के लिए हृदय रोग पैदा कर सकता है। इसलिए आपको अपने कोलेस्ट्रॉल को नियमित रूप से जांच करानी चाहिए, चाहे आपका वजन, शारीरिक गतिविधि और आहार कुछ भी क्यों न हो।'' 
बुरे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए, आप आरंभ में उच्च स्तर वाले संतृप्त वसा और ट्रांस वसा वाले खाद्य पदार्थों के सेवन को सीमित करें। आलू वेफर्स और बेकरी उत्पाद और मैदा (सभी तरह के काम में आने वाले आटे) जैसे परिष्कृत अनाज वाले अनेक डिब्बाबंद खाद्य पदार्थो में कम रेशे होते हैं और इनमें ट्रांस वसा होते हैं। इसके अतिरिक्त, खाना पकाने के तेल के दोबारा इस्तेमाल से भी ट्रांस वसा का स्तर बढ़ जाता है। साथ ही बार-बार लाल मांस, सम्पूर्ण दुग्ध उत्पादों, घी और नारियल तेल आदि के सेवन से भी एलडीएल बढ़ सकता हैं क्योंकि इनमें अधिक संतृप्त वसा होते हैं। इनके सेवन को कम करना चाहिए तथा उनके स्थान पर ताजा गैर परिष्कृत खाद्य आहार लेना चाहिए। इसमें दो किस्म के घुलनशील और अघुलनशील रेशे होते हैं। आप अपने खाने में घुलनषील रेशे की मात्रा बढ़ाएं। ये दोनों हृदय के लिए लाभकारी हैं। लेकिन घुलनशील फाइबर एलडीएल स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इसलिए रोजमर्रे के खाने में जई और जई चोकर, फल, सेम, मसूर, और सब्जियां शामिल करें। 
डा. जैन कहते हैं, ''मक्खन जैसे संतुप्त वसा से भरपूर पदार्थों के स्थान पर कम वसा वाले 'टेबल स्प्रेड; का उपयोग करके आप एक और बहुत ही कारगर बदलाव कर सकते हैं। कम वसा वाले 'टेबल स्प्रेड' आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है लेकिन इस बात को सुनिश्चित करें कि जब आप टेबल स्प्रेड का चुनाव कर रहे हों तो वैसे टेबल स्प्रेड का चुनाव करें जिसमें पोशण लेबल पर 0 प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल हो और 0 ग्राम ट्रांस वास हो। 
अपने कोलेस्ट्राॅल को स्वस्थकारी स्तर पर सुधार करने के अपने प्रयास को और बढ़ाने के लिए आप अपने खाने में नट, खास तौर पर पिस्ताचियो को शामिल कर सकते हैं। भारतीय मधुमेह फाउंडेशन (डीएफआई) तथा राष्ट्रीय मधुमेह, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन के हाल के एक अध्ययन से पाया गया है कि पिस्ताचियो में कम ग्लाइसेमिक सूचकांक होता है जो प्राकृतिक तौर पर कोलेस्ट्रॉल से मुक्त है और यह प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट के स्रोत हैं। इन गुणों के कारण पिस्ताचियो का सेवन मुख्य तौर पर उन लोगों के लिए लाभकारी है जिन्हें मोटापे और हृदय रोग का खतरा है। इनके अलावा आप अपने रोजमर्रे के आहार में साबुत अनाज, गैर परिष्कृत खाद्य, फल और सब्जियों का इस्तेमाल करें। अच्छे कोलेस्ट्राॅल को बढ़ाने के लिए अपने भोजन में अलसी, सूरजमुखी के बीज और वसायुक्त मछली को शामिल करें। अधिक वसा वाले दुग्ध उत्पादों के स्थान पर कम वसा वाले दूध उत्पादों का सेवन करें। 
रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करना भी जरूरी है। रोज तेजी से पैदल चलें, साइकिल चलाएं, तैराकी करें या अपने पसंदिदा खेल खेलें। इससे आपको मदद मिलेगी। यहीं नहीं इलेवेटर के बजाए सीढ़ियों का प्रयोग करना या टेलीविजन देखते समय थोड़-थोड़ समय के बाद उठक-बैठक करने से भी बदलाव आ सकता है। 
याद रखें कि आपकी सेहत आपनी जिम्मेदारी है। सिर्फ आप ही अपनी सबसे अच्छी देखभाल कर सकते हैं।