ओवरी का कैंसर बचपन से बुढ़ापे तक किसी भी उम्र में हो सकता है। गर्भाषय और स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में ओवरी का कैंसर तीसरे नंबर पर है। ओवरी अनेक तरह की कोशिकाओं से निर्मित होती है, इसलिए इसमें भिन्न-भिन्न तरह के ट्यूमर होते हैं।
ओवरी में ट्यूमर नॉन कैंसरस भी होते हैं, जो संक्रमण से, ओवरी में रक्त, पानी या मवाद भरने से होते हैं. ट्यूमर का इलाज इनके लक्षण मरीज की उम्र और इनके नाप पर निर्भर करती है।. इसका खतरा सबसे ज्यादा कम उम्र की लड़कियों में या रजोनिवृत्ति के बाद होता है। यह साइलेंट बीमारी है, जिसका महीनों तक लक्षण प्रकट नहीं होता, इसलिए इसका पता नहीं लगता।
रोग के कारण
कुछ ओवरी के कैंसर आनुवांषिक होते हैं। इसका खतरा स्तन, आंत और यूटेरस कैंसर से भी बढ़ता है। गंदगी, गुप्तांग में टैल्कम पाउडर का प्रयोग, खाने में कैलोरी की अधिक मात्रा से भी इसका खतरा बढ़ता है। टेस्ट ट्यूब बेबी में अंडे बनने की दवा के प्रयोग से भी इसका खतरा बढ़ता है।
लक्षण
40 वर्ष से ज्यादा की उम्र की महिलाओं में इसके लक्षण सामान्य होते हैं, जैसे- पेट के निचले हिस्से में भारीपन, गैस की शिकायत, पेट में जलन, भूख न लगना, खाने के बाद पेट फूलना, कुछ ही दिनों में पेट का बढ़ जाना, पेट में दर्द, अचानक वजन कम हो जाना और अनियमित मासिक की शिकायत हो, तो ये ट्यूमर का संकेत हो सकते हैं।
इलाज
ज्यादातर ओवरी के ट्यूमर की पहचान एडवांस्ड स्टेज में होती है। इसका इलाज सर्जरी है। सर्जरी से यह सुनिष्चित हो जाता है कि ट्यूमर कैंसरजन्य ही है और इससे कैंसर की स्टेजिंग का भी पता चल जाता है। ऑपरेशन में कैंसर से युक्त अंग हटा दिये जाते हैं और उसके बाद कीमोथेरेपी दी जाती है। कुछ एडवांस्ड स्टेज के ओवरी के कैंसर में सर्जरी नहीं हो सकती है, सिर्फ कीमोथेरेपी से ही इलाज होता है।
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