अगर आपको अपने कंधे हिलाने-डुलाने में दर्द महसूस हो तो यह कंधे जाम होने की स्थिति का परिचायक है जिसे चिकित्सकीय भाषा में फ्रोजन शोल्डर या एडहेसिव कैपसुलाइटिस भी कहा जाता है। यह अत्यंत ही कष्टदायक स्थिति है जो कंधे में चोट लगने या चोट लगे बगैर भी उत्पन्न हो सकती है।
किसे होती है यह समस्या
पुरुषों की तुलना में यह समस्या महिलाओं को अधिक होती है। आम तौर पर यह 40 से 65 वर्ष की उम्र में होती है। मधुमेह के मरीजों में से 10 से 20 प्रतिशत मरीजों को यह समस्या हो सकती है।
कंधे की संरचना
फ्रोजन शोल्डर को समझने के लिये कंधे की संरचना को समझना आवश्यक है। हमारे कंधे तीन हड्डियों से बने होते हैं। ये हैं स्कापुला (शोल्डर ब्लेड), ह्यूमेरस (ऊपरी हाथ की हड्डी) और क्लैविकल (काॅलर बोन)। कंधे की जोड़ के चारोें तरफ ऊतक होते हैं। कंधे की मांसपेशियां लिगामेंट से बनी होती हैं। लिगामेंट मुलायम ऊतक होते हैं। लिगामेंट सभी हड्डियों को जोड़ती है। कंधे के भीतर ज्वाइंट फ्ल्युड भी होता है जो जोड़ों की सतह को चिकनापन एवं तरलता प्रदान करता है।
क्यों होता है फ्रोजन शोल्डर
फ्रोजन शोल्डर आखिर क्यों होता है इसके बारे में रहस्य बना हुआ है। एक परिकल्पना यह है कि यह आटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण पैदा होता है। दरअसल आटोइम्यून प्रतिक्रिया के दौरान शरीर को संक्रमणों से बचाने वाली रक्षा प्रणाली गलती से शरीर के हिस्सों पर ही हमले शुरू कर देती है। हमारा शरीर यह गलत सोच लेता है कि जिन ऊतकों पर वह हमला कर रहा है वह बाहरी वस्तु है। इसके कारण जिस ऊतक पर हमला होता है वहां तीव्र सूजन होती है। फ्रोजन शोल्डर की स्थिति में कंधे में काफी सूजन और दर्द होता है। इससे कंधे को हिलाना-डुलाना मुश्किल हो जाता है। यह सब इतना अचानक क्यों होता है यह भी अभी रहस्य बना हुआ है।
फ्रोजन शोल्डर की स्थिति चोट लगने के बाद कंधे के मूवमेंट में कमी के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। चोट के कारण कंधे को हिलाना-डुलाना मुश्किल हो जाता है जिससे यह समस्या हो सकती है। इसका एक उदाहरण यह है कि कलाई में फ्रैक्चर होने पर जब पूरे बांह पर प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है तब कुछ कारणों से कुछ लोगों में प्लास्टर उतरने के बाद कुछ समय तक कंधे को हिलाना-डुलाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे भी मामले सामने आये हैं जब कंधे को छोड़कर अन्य भागों की सर्जरी के बाद और यहां तक कि दिल के दौरे के बाद मरीज के स्वास्थ्य लाभ करने पर फ्रोजन शोल्डर की समस्या उत्पन्न हो जाती है। यह स्थिति कंधे की अन्य समस्याओं के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। कई बार बर्साइटिस, इम्पिगेमेंट सिंड्रोम और रोटेटेर कफ के आंशिक रूप से फटने पर भी फ्रोजन शोल्डर उत्पन्न हो सकती है।
फ्रोजन शोल्जर की आरंभिक स्थिति में दर्द के कारण मरीज कंधे को कम हिलाता-डुलाता है। कंधे को कम हिलाने-डुलाने के कारण धीरे-धीरे स्थिति गंभीर होती जाती है। इसके उपचार के पहले चरण में कंधे की सक्रियता वापस लायी जाती है और इसके बाद फ्रोजन शोल्डर के कारणों को दूर किया जाता है।
उपचार
फ्रोजन शोल्डर के उपचार में समय लग सकता है। ज्यादातर मरीजों को उपचार से लाभ होता है लेकिन इसमें कई महीने लग जाते हैं। उपचार का पहला चरण कंधे की सूजन कम करने और कंधे की सक्रियता बढ़ाने पर केन्द्रित होता है। दवाईयों के अलावा मरीज को फिजियोथिरेपी भी दी जाती है। कई बार कुछ इंजेक्शन दिये जा सकते हैं।
दवाईयों, फिजियोथिरेपी और इंजेक्शन से अधिक फायदा नहीं होने पर लोकल एनीस्थिसिया में कंधे की सर्जरी की जाती है। ज्यादातर मामलों में सर्जरी के बाद मरीज के कंधे की सक्रियता बहुत तेजी से बढ़ती है। आज के समय में आर्थाेस्कोपी की मदद से अधिक चीर -फाड़ के बगैर कंधे की सर्जरी की जा सकती है।
कंधे जब हो जाये जाम
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