स्पाइन से संबंधित एक सामान्य डिसआर्डर है कमर दर्द, जिसका व्यक्ति के जीवन के समग्र गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कमर दर्द सबसे अधिक बार-बार होने वाला दर्द है और दर्द के मामले में यह सिर दर्द के बाद दूसरे स्थान पर है। पाँच में चार वयस्कों को अपने जीवन में कभी न कभी कम से कम एक बार कमर दर्द का अनुभव जरूर होता है। स्पाइन में दर्द के लिए सबसे सामान्य जगह पीठ का निचला हिस्सा यानी कमर है क्योंकि यह हमारे वजन का भार सहता है और इसलिए इसके प्रभावित होने की अधिक संभावना होती है।
लंबे समय से हो रहे कमर दर्द के लक्षण
— तीन महीने से अधिक समय से कमर में हल्का से गंभीर दर्द
— सुबह की जकड़न
— दर्द के कारण नींद में व्यवधान
— थकान और / या चिड़चिड़ापन
— डिप्रेशन
— लंबे समय तक बैठने या खड़ा रहने में असमर्थ होना
कारण
अधिक उम्र, शारीरिक क्रियाकलापों / पास्चर के सही नहीं होने, आराम तलब जीवन शैली, मोटापा, ट्रामा और यात्रा के कारण स्पाइन की संरचना में बदलाव आपके स्पाइन को चोटिल कर सकते है और जिसके कारण कमर दर्द और पैर में दर्द और / या सुन्नपन या यहां तक कि पैरों में कमजोरी जैसे अन्य लक्षण हो सकते हैं।
इलाज
दवाओं और शारीरिक चिकित्सा जैसी सर्जरी रहित चिकित्सा से लक्षण से राहत नहीं मिलने पर स्पाइन सर्जरी कराने की सलाह दी जा सकती है। सर्जरी रहित चिकित्सा में फिजिकल थेरेपी, दर्द निवारक दवाइयां - एंटी इंफ्लामेटरी या ब्रेसिंग शामिल हैं।
सर्जरी
परंपरागत सर्जरी: परंपरागत, ओपन स्पाइन सर्जरी में, चिकित्सक स्पाइन को स्पष्ट रूप से देखने के लिए एक चीरा लगाते है और रिट्रैक्स करते हैं या मांसपेशियों को एक तरफ खींचकर हटाते हैं। उसके बाद सर्जन स्पाइन तक पहुंचकर रोगग्रस्त और क्षतिग्रस्त हड्डी या इंटरवर्टिब्रल डिस्क को निकाल सकते हैं।
नवीनतम सर्जरी: तकनीकी विकास के कारण अब मिनिमली इंवैसिव सर्जिकल तकनीक की मदद से कमर दर्द की अधिकतर समस्याओं का इलाज करना संभव हो गया है। चिकित्सक छोटे चीरों के माध्यम से स्पाइन में पहुंचने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग करते हैं। मिनिमली इंवैसिव स्पाइन सर्जरी (मिस) में लंबा चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसमें कम रक्तस्राव होने, अस्पताल में कम समय तक रहने और जल्दी स्वस्थ होने के अलावा स्पाइन के आसपास की मांसपेशियों के अधिक नुकसान से बचा जा सकता है।
ओपन सर्जरी की तुलना में लाभ
ओपन सर्जरी की प्रमुख कमियां में से एक कमी मांसपेशियों को खींचना या ''रिट्रैक्शन'' है जिससे मुलायम ऊतकों को नुकसान पहुंच सकता है। इसके कारण मांसपेशी में इंजुरी होने की अधिक संभावना होती है और रोगी को सर्जरी के बाद दर्द हो सकता है जो सर्जरी के पहले महसूस किये जाने वाले दर्द से अलग होता है। इससे रोगी को स्वस्थ होने में अधिक समय लग सकता है।
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