नींद हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। नींद वास्तव में हमारे षरीर की जरूरत है। थकान मिटाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुचारू रूप से कार्यरत रखने और अनेक हार्मोन संबंधित कार्यों के लिए नींद आवष्यक होती है। नींद एक ऐसी औशधि है जो चौबीस घंटे में मनुश्य को कम से कम एक तिहाई समय के लिए समस्त चिंताओं से मुक्त करके विश्राम देती है।
सुप्रसिद्ध हृदय रोग विषेशज्ञ पद्म विभूशण डा. पुरूशोत्तम लाल का कहना है कि जो लोग हफ्ते में 60 घंटे से अधिक काम करते हैं और पूरी नींद नहीं लेते हैं उन्हें दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है। कम नींद के कारण इंसुलिन की बाधा उत्पन्न होती है। अधिक काम और नींद की कमी से रक्तचाप बढ़ता है जो मधुमेह तथा दिल के रोग का कारण बन सकता है। कम नींद लेने के साथ-साथ अधिक कैलोरी के सेवन और शारीरिक निष्क्रियता से मधुमेह और दिल के रोग का खतरा बढ़ जाता है।
मैट्रो हास्पीटल्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट्स (नौएडा) के मुख्य इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट तथा मैट्रो गु्रप ऑफ हास्पीटल्स के चेयरमैन डा. पुरूशोत्तम लाल ने बताया कि हफ्ते में 60 घंटे से अधिक काम करने वाले और छह घंटे से कम सोने वाले पुरुशों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा उन पुरुशों के मुकाबले दोगुना होता है जो 40 घंटे या उससे कम काम करते हैं और आठ घंटे सोते हैं। सप्ताह में केवल दो दिन औसतन पांच घंटे या उससे कम की नींद से दिल का दौरा पड़ने का खतरा दोगुना या तिगुना तक हो सकता है।
सबसे अधिक एंजियोप्लास्टी एवं स्टेंटिंग करने का श्रेय हासिल करने के लिये इंडियन मेडिकल एसोसिएषन की ओर से सम्मानित डा. पुरूशोत्तम लाल ने बताया कि हर व्यक्ति की नींद की अवधि अलग-अलग होती है। कोई आठ घंटे सोता है तो किसी के लिए मात्र पांच घंटे की नींद भी काफी होती है। लेकिन फिर भी एक निष्चित अवधि से थोड़ी सी भी कम नींद अपना असर दिखा सकती है। नींद पूरी न कर पाने वाले लोगों में मोटापे के लक्षण नजर आने लगते हैं। लगातार छह दिनों तक पूरी नींद न लेने से षरीर में ग्लूकोज का संचार अवरोधित होता है जिससे मधुमेह का खतरा काफी बढ़ जाता है। कम नींद लेने से षरीर में दोपहर और फिर षाम होते-होते कोर्टिसोल नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ती है जिससे तनाव पैदा होता है। तनाव के कारण हृदय गति में वृद्धि के साथ ही रक्तचाप भी बढ़ता है जो उच्च रक्तचाप, मधुमेह तथा दिल की बीमारी का कारण बनता है।
नयी दिल्ली, नौएडा, मेरठ, आगरा, फरीदाबाद आदि षहरों में काम कर रहे मेट्रो गु्रप ऑफ हास्पीटल्स समूह के चेयरमैन डा. लाल बताते हैं कि कम नींद लेना और शारीरिक निष्क्रियता पश्चिमी जीवन शैली का एक सामान्य पहलू है। आजकल विकसित देशों के अधिकतर लोग और भारत जैसे विकासशील देशों के पश्चिमी सभ्यता का पालन करने वाले लोग रात में छह घंटे से भी कम सोते हैं। कम देर तक सोने का एक परिणाम यह भी होता है कि अधिक समय तक जगे रहने के कारण लोग सामान्य से अधिक खाते हैं। अधिक खाने और कम सोने से मोटापा और मधुमेह होने का खतरा बढ़ जाता है। स्वस्थ जीवन शैली में सिर्फ खान-पान की स्वास्थ्यकर आदतों और पर्याप्त मात्रा में शारीरिक सक्रियता ही शामिल नहीं है बल्कि पर्याप्त मात्रा में नींद भी जरूरी है।
डा. बी. सी. राय राश्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित डा. लाल कहते हैं कि अच्छी और पर्याप्त नींद लेने से हृदय को बल मिलता है इसलिए यदि संभव हो तो रोजाना आठ घंटे की नींद लें और किसी भी हालत में सात घंटे से कम न सोएं।ं