कैसे रखें बच्चे का पेट दुरुस्त

बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए यह आवश्यक है कि उसका पाचन तंत्रा स्वस्थ रहे। पाचन तंत्रा को स्वस्थ बनाने के लिए इसे न केवल बाहरी संक्रमण से बचाने की जरूरत है अपितु उसका खान-पान भी पौष्टिक होना चाहिए। पेट के संक्रमण अक्सर दूषित जल या दूषित खाने की वस्तुओं से होते है। इन संक्रमणों में प्रमुख हैं-बैक्टीरिया (ई. कोलाई, शिजेला, सालमोनेला इत्यादि), प्रोटोजोआ (अमीबा, जीआरडिया इत्यादि), एस्केरिस, पिन वर्म, वायरल (रोटा वायरस) इत्यादि। पेट संक्रमण गंभीर, सामान्य या चिरकालिक रूप में हो सकता है। 
गंभीर पेट संक्रमण के लक्षण पेट में नाभि के आसपास या पूरे पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, बुखार इत्यदि हो सकते हैं। सामान्य संक्रमण के लक्षण पेट में हल्का-हल्का दर्द जो बीच में तेज हो जाता है, खट्टी डकार आना, भूख का कम होना, वजन का नहीं बढ़ना, खाने के तुरन्त बाद शौच के लिए जाना इत्यादि है। चिरकालिक संक्रमण के लक्षण हैं-पेट में कभी-कभी बहुत मामूली सा दर्द होना, भूख काफी कम हो जाना, बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में अवरुद्धता, एनीमिया इत्यादि। इस तरह के संक्रमण बच्चे के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते है क्योंकि एक तो इससे बच्चे के शारीरिक विकास में अवरुद्धता आने से बच्चा बौना रह जायेेगा और दूसरे बच्चे का अगर शारीरिक विकास ठीक नहीं है तो उसका मानसिक विकास भी कुछ पाॅइन्ट कम हो जाएगा। बच्चे को इस तरह के संक्रमण से बचाने के लिए पानी को किसी अच्छे फिल्टर (जैसे-एक्वागार्ड इत्यादि) से साफ करें। खाने-पीने की अन्य वस्तुओं में सफाई का पूरा ध्यान रखें। बच्चे के पेट को दुरुस्त रखने के लिए उसका आहार पौष्टिक होना चाहिए। इसमें आवश्यक मात्रा में प्रोटीन, विटामिन 'बी' काॅम्प्लेक्स, आयरन एवं मिनरल होने चाहिए। इसके लिए शाकाहारी बच्चे को दूध या उसकी बनी चीजें जैसेµसूजी, साबूदाना या चावल की खीर, दाल या उसकी बनी चीजें जैसे हलुआ, चीला, पकौड़ी, फल एवं हरी सब्जियाँ जैसे पालक, लौकी, तोरई, टिंडा इत्यादि तथा माँसाहारी बच्चे को अंडा, चिकन, मछली इत्यादि दे सकते हैं। बाजार में मिलने वाले फास्ट फूड जैसेµटाॅफी, चाॅकलेट, भुजिया, नमकीन, बर्गर, पिज्जा इत्यादि एकदम नहीं देना चाहिए क्योंकि ये न केवल बच्चे के पेट के लिए हानिकारक हैं बल्कि यह पौष्टिकता के नाम पर एकदम बेकार भी हैं।