पसीना निकलना हमारे शरीर की स्वाभाविक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह शरीर में निश्चित तापक्रम को बनाये रखने में सहायता करती है। लेकिन गर्मी के मौसम में हमारी स्वेद ग्रंथियां अधिक पसीना उत्पन्न करने लगती हैं जिससे हमारे शरीर में चिपचिपाहट महसूस होती है, साथ ही शरीर से दुर्गंध भी आने लगती है। इसके अलावा धूप, व्यायाम, शारीरिक तनाव, मानसिक तनाव, दर्द, हार्मोन में परिवर्तन आदि से भी अधिक मात्रा में पसीना निकलने लगता है।
पसीना निकलना शरीर की स्वाभाविक और अनिवार्य क्रिया है। पसीने के रूप में शरीर की गंदगी और विषैले पदार्थ बाहर निकल आते हैं। त्वचा से पसीना निकलने की प्रक्रिया रक्त में ऑक्सीजन पहुंचाकर रक्त के शुद्धिकरण में सहायक होती है। इसके अलावा पसीना निकलने की प्रक्रिया गर्मी के दिनों में शरीर को ठंडा रखने में सहायक होती है।
हमारे शरीर में हर जगह यहां तक कि ओठ और कान में भी स्वेद ग्रंथियां होती हैं। एक मनुष्य में तकरीबन बीस लाख पचास हजार स्वेद ग्रंथियां होती हैं। स्वेद ग्रंथियां दो प्रकार की होती हैं-एक्राइन और एपोक्राइन। एक्राइन ग्रंथियां पसीना उत्पन्न करती हैं और यह पसीना साफ तथा गंधरहित होता है। ये ग्र्रंथियां बच्चे के जन्म के तुरत बाद ही काम करने लगती हैं। वयस्क आदमी में जब सभी एक्राइन ग्रंथियां सही तरीके से काम करती हैं तो प्रतिदिन करीब 10 लीटर पसीना उत्पन्न होता है। एपोक्राइन ग्रंथियां किशोरावस्था में पहुंचने के बाद सक्रिय होती हैं। ये ग्रंथियां अलग किस्म का पसीना उत्पन्न करती हैं। त्वचा पर इस पसीने की उपस्थिति में जीवाणु का संक्रमण हो जाने पर इससे दुर्गंध आने लगती है। यही गंध शरीर का गंध (बॉडी ओडर) कहलाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में काफी अधिक संख्या में एपोक्राइन ग्रंथियां होती हैं। हमारे बांह के अंदर काफी संख्या में एपोक्राइन ग्रंथियां स्थित होती हैं। इनसे काफी मात्रा में दुर्गंधयुक्त पसीना निकलता है। इसलिए काफी लोग गर्मी के मौसम में शरीर के दुर्गंध को छिपाने या कम करने के लिए दुर्गंधनाशक या पसीनारोधी का इस्तेमाल करते हैं। पुरुष और महिला के शरीर से अलग-अलग किस्म का पसीना निकलता है। पुरुष के पसीना की तुलना में महिला का पसीना 10 गुना अधिक क्षारीय होता है। इसलिए पुरुष और महिला के लिए अलग-अलग तरह के दुर्गंधनाशक तथा पसीनारोधी का निर्माण किया जाता है। दुर्गंधनाशक एक तरह का परयूम होता है जो शरीर के दुर्गंध को छिपा लेता है जबकि पसीनारोधी बांह के अंदर पसीना को उत्पन्न होने से रोक देता है जो कि दुर्गंध पैदा करने का मुख्य कारण है। सभी तरह के पसीनारोधी में दुर्गंधनाशक भी होते हैं जबकि दुर्गंधनाशक पसीनारोधी नहीं होते हैं। दुर्गंधनाशक और पसीनारोधी कई आकार और सुगंध में उपलब्ध हैं। इसलिए इनका चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग दुर्गंधनाशक और पसीनारोधी जंचते हैं। लेकिन कभी भी दुर्गंधनाशक एवं पसीनारोधी का अंधाधुंध इस्तेमाल नहीं करना चाहिये क्योंकि इनका अधिक प्रयोग खतरनाक साबित हो सकता है। बहुत कम महिलायें यह जानती हैं कि टेलकम पाउडर और दुर्गंधनाशक क्रीम हमारे शरीर की त्वचा के साथ-साथ गुर्दे और फेफड़े जैसे महत्वपूर्ण अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये त्वचा में जलन, खुजली और घाव पैदा कर सकते हैं।
अधिकतर पसीनारोधी और दुर्गंधनाशक क्रीम पसीना रोकने वाले होते हैं। इनमें पाये जाने वाले रसायन त्वचा के छिद्रों को बंद कर देते हैं, जिससे पसीना निकलना बंद हो जाता है। त्वचा के छिद्रों का बंद होना हमारे शरीर के लिए अनेक तरह से खतरनाक साबित हो सकते हैं।
दुर्गंधनाशक और पसीनारोधी के दुष्प्रभावों के मद्देनजर हमें अपनी दिनचर्या इस तरह बनानी चाहिए ताकि हमें इनका कम-से-कम इस्तेमाल करना पड़े। प्रतिदिन स्नान करने से हमारी त्वचा से गंदगी और तेल काफी हद तक निकल जाते हैं जिससे जीवाणु का संक्रमण कम हो जाता है और शरीर से दुर्गंध नहीं आती है। हमारे कपड़े भी शरीर के दुर्गंध को अवशोषित कर लेते हैं इसलिए किसी तरह का व्यायाम करने, शारीरिक या मानसिक परिश्रम करने या घूप से आने के बाद स्नान करके साफ कपड़े पहन लेने पर दुर्गंध से छुटकारा मिल जाता है।
स्नान करते समय निम्न सुझाावों को आजमाया जाये तो पसीने के दुर्गंध से छुटकारा पाने के अलावा तन-मन में एक नयी ताजगी का अहसास किया जा सकता है।
- नहाने के पानी में सुंगध की कुछ बूंदें डाल लें।
- स्नान करने के पानी में अगर एक नींबू का रस एवं दो चम्मच ग्लिसरीन मिला लिया जाये तो त्वचा की खुश्की समाप्त हो जा सकती है।
- त्वचा के रूखे होने पर नहाने से पहले शरीर पर तिल के तेल की मालिश करें और थोड़ा सा अरारोट एवं चोकर मिलाकर एक रूमाल की पोटली बना लें। नहाते समय इस पोटली को शरीर से मलें। शरीर की मृत त्वचा इससे उतर जायेगी।
- बहुत खुश्की होने पर साबुन और गर्म पानी से पहले स्नान करें, फिर गीले शरीर पर थोड़ा सा दूध का पाउडर मलें। थोड़ी देर मलने के बाद गर्म पानी से धो दें।
- जिनकी त्वचा तैलीय है वे नहाने के पानी में एक नींबू का रस या एक चम्मच सिरका मिला लें।
- जिनकी त्वचा खुश्क है उन्हें नहाने के बाद शरीर पर मॉश्चराइजर का प्रयोग जरूर करना चाहिये।
- नहाने के बाद एक मग पानी में थोड़ी ग्लिसरीन डालकर इस पानी से शरीर को मलकर नहाएं। त्वचा की खुश्की कम होगी।