जब बन जाये दिमाग में नसों के गुच्छे

- Vinod Kumar 

मस्तिष्क में खून की नसों का गुच्छा बन जाने की स्थिति अत्यंत खतरनाक साबित होती है। यह अक्सर मस्तिष्क रक्त स्राव का कारण बनती है। इस स्थिति को आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन कहा जाता है जिसमें दिमाग में खून की नलियों का एक असामान्य गुच्छा बन जाता है। 


ऐसा माना जाता है कि यह गुच्छा पैदाइशी होता है और व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह भी बढ़ता रहता है और एक अवस्था ऐसी आती है कि मस्तिष्क का ज्यादा से ज्यादा खून इस आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन से होकर जाने लगता है जिसकी वजह से मस्तिष्क के दूसरे क्षेत्र को रक्त की आपूर्ति नहीं मिल पाती। हालांकि ऐसी खतरनाक स्थिति में मरीज की जान बचाने के लिये तत्काल आपरेशन करने की जरूरत पड़ती है लेकिन आज इसका इलाज गामा किरणों की मदद से भी होने लगा है। विभिन्न अध्ययनों में गामा नाइफ को आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन के इलाज में अत्यंत कारगर पाया गया है।


सन् 1971 से अब तक आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन के 15 हजार से अधिक मरीजों का सफलता पूर्वक इलाज हो चुका है। गामा किरण से आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन के इलाज में सफलता की दर करीब 80 प्रतिशत है। गामा नाइफ से आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन के इलाज के दौरान मरीज की मौत होने अथवा विकलांग होने की आशंका नहीं के बराबर है। आज गामा नाइफ तकनीक आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन के इलाज के मामले में माइक्रोसर्जरी का कारगर विकल्प बन कर उभरी है। अध्ययनों से पता चला है कि यह तकनीक उन मरीजों के लिये वरदान समान है जिनके लिये आपरेशन के या तो खतरनाक होने की आशंका होती है या जो आपरेशन कराना नहीं चाहते हैं।  

आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन की बीमारी पुरुषों और महिलाओं में समान रूप से पायी जाती है। 


आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन का तनाव से कोई संबंध नहीं है। यह तो शरीर के अंदर बनावटी तौर पर खून के नसों की नलियों की कमजोरी की बीमारी है जो कि अक्सर पैदाइशी या खानदानी होती है। बच्चे में यह बीमारी जन्मजात होती है और उम्र बढ़ने के साथ-साथ नाड़ी की कमजोरी बढ़ती जाने के कारण 20 से 40 साल की उम्र में दिमाग की नस फट जाती है। नस फटने के बाद रोगी के सिर में अचानक बहुत तेज दर्द होता है और रोगी बेहोश हो जाता है या रोगी को मिर्गी का दौरा आता है या उसका एक हाथ-पैर काम करना बंद कर देता है। अगर किसी व्यक्ति को अचानक ऐसा होता है तो उसमें ब्रेन हेमरेज की आशंका 90 प्रतिशत होती है और 75 प्रतिशत आशंका एन्युरिज्म, आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन या स्पोन्टेनियस हैमरेज की होती है।   


पहले माना जाता था कि यह बीमारी अमरीका जैसे विकसित देशों में ही होती है लेकिन कई अध्ययनों से यह साबित हो गया है कि यह बीमारी विकसित देशों में तथा गांवों और शहरों में बराबर ही होती है क्योंकि इसका किसी प्रकार के वातावरण, जलवायु या खान-पान से कोई संबंध नहीं है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति को अचानक लगातार सिर और गर्दन में तेज दर्द हो रहा हो तथा आंखों के आगे अंधेरा छा जाता हो जो कि आम दवाओं से ठीक नहीं हो रहा हो तो इसे हल्के ढंग से नहीं लेना चाहिए और न्यूरो चिकित्सक से इसकी जांच कराना चाहिए। 


गामा नाइफ की मदद से अब मस्तिष्क को खोले और चीर-फाड़ किए बिना ही आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन समेत मस्तिष्क की अन्य बीमारियों को ठीक किया जा रहा है। परम्परागत आपरेशन के कई दुष्प्रभाव होने के कारण दुष्प्रभाव और कष्ट रहित गामा नाइफ का इस्तेमाल देश में व्यापक रूप से होने लगा है।

गामा नाइफ एक तरह का न्यूरोसर्जिकल यंत्र है। मस्तिष्क के आपरेशन में सामान्य तौर पर धातु या प्लास्टिक के औजारों से या लेजर की किरणों से मस्तिष्क के प्रभावित हिस्सों को काटा जाता है, लेकिन गामा नाइफ में किसी धातु या प्लास्टिक के औजारों के बगैर ही गामा किरणों की मदद से मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से को काटा जाता है।

सामान्यतः गामा किरणें कोबाल्ट 60 के टुकड़ों से निकलती है। गामा नाइफ के अंदर 201 गामा किरणें होती हैं। ये किरणें गोल छातेनुमा संरचना के अंदर जमा रहती हैं। जब ये किरणें वहां से निकलती हैं तो एक जगह पर फोकस होती हैं। फोकस के स्थान पर 201 गुना तीव्रता हो जाती है। गामा नाइफ से इलाज के दौरान रोगी के सिर को इस तरह रखा जाता है ताकि मस्तिष्क का वह खास हिस्सा फोकस पर आ जाये जिसे काटा जाना है या जिस पर रेडियेशन देना है। इसके लिए स्टीरियोटेक्टिक डेविलियेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है।


गामा नाइफ से आपरेशन करने के दौरान मरीज को बेहोश नहीं करना पड़ता। आपरेशन के दौरान मरीज पूरे होश में रहता है। वह बात भी कर सकता है और सब कुछ देख-सुन सकता है। इसके लिए रोगी को मात्र 48 घंटे ही अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। जिस दिन रोगी को भर्ती किया जाता है, उस दिन उसका सिर्फ निरीक्षण ही किया जाता है और वह आराम करता है। अगले दिन सुबह उसका इलाज शुरू होता है और शाम तक खत्म हो जाता है। इसके बाद रोगी आराम करता है और अगले दिन वह घर जा सकता है। यही नहीं वह उसी दिन से काम पर भी लौट सकता है।

मस्तिष्क के अंदर कुछ ऐसे हिस्से भी होते हैं जिनका इलाज परम्परागत रूप से संभव नहीं है, परंतु गामा नाइफ द्वारा इनका इलाज सफलता पूर्वक किया जा सकता है। गामा नाइफ की मदद से आर्टिरियोवीनस मालफाॅर्मेशन के अलावा ट्यूमर, मस्तिष्क के कैंसर, पार्किन्सन, मिर्गी और पागलपन जैसी कई दिमागी बीमारियों का इलाज हो सकता है।