गर्भाशय से अगर अनियमित रक्तस्राव हो तो क्या करें

अनियमित या देर से पीरियड आने या एक चक्र का गायब होना पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग) का संकेत हो सकता है। पीसीओडी में महिला का पीरियड अनियमित हो जाता है, मोटापा हो जाता है और गर्भ धारण करने में कठिनाई होती है और मुंहासे के साथ- साथ उसके चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों में अत्यधिक बाल की वृद्धि हो सकती है। इस स्थिति का डॉक्टर के द्वारा आसानी से इलाज कराया जा सकता है।
गर्भाशय से कम रक्तस्राव यूटेरिन टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) का भी लक्षण हो सकता है जिसमें गर्भाशय की दीवारें एक साथ चिपक जाती है और यहां तक कि फैलोपियन ट्यूब भी अवरुद्ध हो जाती है जिसके कारण इनफर्टिलिटी हो सकती है। इस स्थिति को एशेरमैन्स सिंड्रोम कहा जाता है और यह उन महिलाओं में कई बार देखा जाता है जिनकी एमटीपी (पूर्व में गर्भावस्था को चिकित्सीय रूप से समाप्त किया जाना) की गई हो। 'हिस्टोरोस्कोपी' के द्वारा इस स्थिति का आसानी से इलाज किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत, गर्भाशय में बहुत छोटे कैंची डालकर हिस्टोरोस्कोप (एक छोटे पेन के आकार का उपकरण जिसे योनि के माध्यम से गर्भाशय के अंदर रखा जाता है) की निगरानी में चिपकी हुई दीवारों को एक दूसरे से अलग कर दिया जाता है। 
इसके अलावा यदि महिला अपने दो पीरियड के दौरान (इंटरमेनस्ट्रृअल ब्लीडिंग) रक्तस्राव होता हो स्पॉटिंग हो रही हो तो यह गर्भाशय के अंदर  पॉलिप का लक्षण हो सकता है। इसे हिस्टोरोस्कोपी के द्वारा आसानी से हटाया जा सकता है। इंटरमेनस्ट्रृअल ब्लीडिंग या यौन संबंध बनाने के बाद रक्तस्राव को कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि वे गर्भाशय ग्रीवा (गर्भ का मुंह) का पहला लक्षण हो सकते हैं !!!
इंटरमेनस्ट्रूअल ब्लीडिंग सीएसडी (सीजेरियन स्कार डिफेक्ट) के कारण भी हो सकता है। इसमंे कमजोर सीजेरियन निशान की जगह पर एक छोटी विकृति हो सकती है या पाउच बन सकता है और इसके कारण सेकंडी इनफर्टिलिटी और असामान्य स्पॉटिंग हो सकती है। अगर गर्भावस्था में यह विकृति होती है तो इसके कारण कई जटिलताएं हो सकती हैं और यहां तक कि जीवन के लिए घात भी हो सकता है। इस विकृति को अनुभवी गाइनेकोलाॅजी लैप्रोस्कोपिस्ट के द्वारा लैप्रोस्कोपी या हिस्टोरोस्कोपी के द्वारा आसानी से ठीक किया जा सकता है।