डिस्फेजिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां 

डिस्फेजिया में आमतौर पर निगलने में कठिनाई होती है। इसमें रोगी को भोजन / तरल पदार्थ को मुंह से पेट तक ले जाने में कठिनाई होती है। कभी- कभी निगलने के दौरान दर्द भी हो सकता है। 

हालांकि जब रोगी बहुत तेजी से खाता है या भोजन को अच्छी तरह से नहीं चबाता है तो निगलने में अक्सर कठिनाई होती है, लेकिन यह आम तौर पर चिंताजनक बात नहीं होती है। लेकिन लगातार डिस्फेजिया होने अर्थात् निगलने में लगातार कठिनाई होने पर यह गंभीर चिकित्सीय स्थिति का संकेत दे सकता है और इसके इलाज की आवश्यकता होती है।

डिस्फेजिया किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन उम्रदराज लोगों में यह अधिक आम है। अलग- अलग रोगियों में निगलने की समस्याओं के कारण अलग-अलग होते हैं, और इसका इलाज कारण पर निर्भर करता है। सिर और गर्दन की मांसपेशियां कई कार्यों के लिए काफी मूव करती हैं। जिस तरह से किसी षब्द को बोलने के लिए जीभ और होंठों में समन्वय की जरूरत होती है, उसी प्रकार मुंह और गले की मांसपेशियों को निगलने की आवश्यक प्रक्रिया में समन्वय के साथ काम करना चाहिए। 
निगलने की इस प्रक्रिया में किसी भी कठिनाई को डिस्फैजिया कहा जाता है।
कारण:
मोटर और संवेदी कार्यों को नियंत्रित करने वाली नसों या मांसपेशियों में कमजोरी।
कुछ दवाओं से डिस्फैजिया हो सकता है।
स्ट्रोक के बाद।
सिर और गर्दन के कैंसर के रोगियों में।
ब्रेन ट्यूमर, सीओपीडी, डिमेंशिया, पार्किंसन, मोटर न्यूरॉन-रोग में।
लक्षण
खाने या पीने के दौरान खांसी आना, गले में खसखसाहट, या गला बंद होना।
खाने या पीने के दौरान या बाद में भारी आवाज 
निगलने के लिए अधिक प्रयास करना, अधिक समय लगना या दर्द होना।
भोजन या तरल का मुंह से टपकना, अटक जाना, या मुंह में ही रहना।
बार- बार निमोनिया या छाती में जकड़न।
पर्याप्त मात्रा में न खाने - पाने के कारण वजन कम होना या डिहाइड्रेषन।
दवा निगलने में कठिनाई
स्वतंत्र रूप से खाने में कठिनाई का बढ़ना।
मुंह में लार नहीं बन पाना।


डिस्फेजिया एक गंभीर समस्या हो सकती है जिसके इलाज की जरूरत हो सकती है। निगलने की प्रक्रिया में लगातार कठिनाई होने से मानसिक और शारीरिक रूप से व्यक्ति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। जब निगलने में कठिनाई हो, भोजन या तरल धीरे- धीरे मुंह से अंदर जाता हो या निगलने के दौरान दर्द हो और व्यक्ति मुंह से उचित पोषक तत्व और तरल पदार्थ नहीं ले पा रहो हो तो कुपोषण, निर्जलीकरण और उम्मीद से अधिक वजन कम हो सकता है। जब भोजन या तरल पदार्थ वायुमार्ग में प्रवेश करता है, तो सांस लेने में कठिनाई होती है और ष्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से मेें संक्रमण या निमोनिया हो सकता है। यह ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि स्ट्रोक के बाद, गले में संवेदनषीलता कम तो नहीं हो रही है, व्यक्ति को आभास हुए बगैर भोजन या तरल पदार्थ फेफड़ों में प्रवेश तो नहीं कर रहा है और साइलेंट एस्पाइरेषन तो नहीं हो रहा है।
मनोवैज्ञानिक रूप से, डिस्फैजिया उन स्थितियों में हो सकती है जब मनमाफिक खाना न हो या रुचि में कमी हो, रेस्तरां में या दूसरों के साथ भोजन करने के दौरान शर्मिंदगी का सामना करना पड़े, या सामाजिक रूप से अलग- थलग रहना जिसमें खाना भी शामिल हो। कई बार अलग तरह केे भोजन और पेय पदार्थ लेना मुश्किल हो सकता है, इन्हें खरीदना महंगा हो सकता है या आमतौर पर अनपेक्षित हो सकता है।



यदि कोई व्यक्ति डिस्फेजिया से पीड़ित हो
यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो इस स्थिति से गुजर रहा है, तो उसे डिस्फेजिया हो सकता है। किसी स्पीच पैथोलाॅजिस्ट / डिस्फैजियोलॉजिस्ट से इलाज कराने के लिए पहले किसी डॉक्टर से परामर्श करें। यदि कोई मरीज डिस्फेजिया से पीड़ित है तो निगलने संबंधित कठिनाइयों में विषेशज्ञ डिस्फैजियोलाॅजिस्ट इसका तुरत पता लगा सकता है। 
मरीज को जो समस्याएं हो रही हैं उसके संकेत, लक्षण और चिकित्सीय स्थिति की पूरी जानकारी लेकर और वह जो भी दवाइयाँ ले रहा है, उसके बारे में भी जानकर।
होंठ, जीभ, गाल, और लैरिंक्स की ताकत, सेंसेषन और मूवमेंट का मूल्यांकन करने के लिए मुंह का पूर्ण परीक्षण करके।
एस्पिरेषन के लक्षणों, व्यवहारों, पोस्चर और मुंह के क्रियाकलापों के बारे में जानने के लिए भोजन करने के दौरान या तरल पदार्थों को निगलने के दौरान रोगी का अवलोकन कर।
साइलेंट एस्पिरेषन / माइक्रो एस्पिरेषन का संदेह होने पर डिस्फेजियोलॉजिस्ट वीडियो फ्लोरोस्कोपी नामक एक्स-रे से निगलने की प्रक्रिया का अवलोकन करने के लिए मोडिफायड बेरियम स्वैलो स्टडी जैसे  उद्देश्यपूर्ण मूल्यांकन कर सकता है। निगलने की प्रक्रिया को देखने के लिए इंडोस्कोपिक मूल्यांकन (एफईईएस) किया जाएगा जिसके तहत मरीज की नाक के माध्यम से कैमरे के साथ एक रोशनीदार ट्यूब डाला जाता है। 
डिस्फेजिया का इलाज
विषेशज्ञ स्पीच- लैंग्वेज थेरेपिस्ट से डिस्फैजिया का इलाज कराने पर रोगी को डिस्फैजिया के लिए जिम्मेदार दोषों को सुधारने में मदद मिल सकती है या तकनीक केा उपयोग करके खोए हुए कार्यों की भरपाई करने में मदद मिल सकती है।