पेडिएट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट के द्वारा नियमित रूप से सामना की जाने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है बच्चे के दिल में छेद का होना। इस समस्या से पीड़ित बच्चे में आमतौर पर दिल के चैम्बर को अलग करने वाली किसी एक दीवार में छेद होता हैए जो दिल के अंदर के स्थान पर निर्भर करता है।
ऐसे छेद शुद्ध और अशुद्ध रक्त को मिश्रित कर देते हैं और फेफड़ों में दबाव में वृद्धि करने के साथ—साथ दिल के आकार में भी वृद्धि करते हैं। छेद से होकर बहने वाला खून भी आवाज पैदा करता हैए जिसे मुरमुर कहा जाता है। इसे तब सुना जा सकता है जब डॉक्टर स्टेथोस्कोप से छाती को सुनता है।
लक्षण
दिल में छोटे छेद किसी भी तरह की समस्या पैदा नहीं कर सकते हैं और यहां तक कि अपने आप ही बंद हो सकते हैं। लेकिन बड़े छेद ऐसे लक्षण पैदा करते हैं जिनकी तरफ ध्यान चला जाता है। बच्चे अधिक तेजी से सांस ले सकते हैं और फीड करते समय थक जाते हैं। फीड करते समय उन्हें पसीना आ सकता है या वे रोना शुरू कर सकते हैं और उनका वनज धीमी गति से बढ़ सकता है। उन्हें अक्सर ठंड लग जाती है और उनके फेफड़ों में बार—बार संक्रमण हो सकता है। ये संकेत आम तौर पर यह इंगित करते हैं कि छेद को अन्य जटिलताओं को रोकने के लिए आमतौर पर जीवन के पहले 6 महीनों के भीतर ही दिल की सर्जरी कराने की आवश्यकता है। अगर किसी बच्चे को ऐसे लक्षण हैं तो इंतजार नहीं करना चाहिए और समय बर्बाद नहीं करना चाहिएए बल्कि तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।
इलाज
दिल की सर्जरी
सर्जरी आमतौर पर बच्चे के जीवन के पहले कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों के भीतर की जाती है। सर्जरी के तहत सर्जन छाती की दीवार में एक चीरा लगाता है और छेद को बंद करते समय हार्ट—लंग मशीन रक्त परिसंचरण को बनाये रखता है। सर्जन सीधे छेद को बंद कर सकता है या अधिक सामान्य रूप सेए उस पर मानव निर्मित शल्य चिकित्सा सामग्री का एक पैच सील देगा। अंत मेंए दिल के ऊतक पैच या सिलाई को ठीक कर देते हैंए और सर्जरी के 6 महीने बादए छेद पूरी तरह से ऊतक से ढक जाएगा।
परिणाम
ऐसे छेद ठीक से और समय पर इलाज करने के बादए बच्चे सामान्य रूप से विकसित होते हैं और सामान्य जीवन जीते हैं। सफलता की कुंजी समय पर और उचित रेफरल और त्वरित उपचार में निहित है।
दिल में छेद होने पर कराएं इलाज
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