महीने में एक या दो बार मछली के सेवन से दौरे की आशंका करीब-करीब आधी हो जाती है। हाल में सम्पन्न एक अध्ययन से पता चला है कि मछलियों में मौजूद ओमेगा-3 पाॅलीसेचुरेटेड फैटी एसिड रक्त प्रवाह को बढ़ती है जिससे रक्त के थक्के जमने और रक्त धमनियों में अवरोध पड़ने के खतरे कम हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप हृदय और मस्तिष्क सहित अन्य अंगों में दौरे पड़ने की आशंका घटती है।
हृदय और मस्तिष्क के दौरे आज असामयिक मौत के सबसे प्रमुख कारण कारण बन गये हंै। आधुनिक समय में उच्च रक्त चाप, मोटापा, मधुमेह, शराब सेवन, भागदौड़, दिमागी तनाव, अत्यधिक व्यस्तता, धूम्रपान आदि के कारण दौरे का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है।
हार्वर्ड स्कूल आॅफ पब्लिक हेल्थ के डा. अल्बर्टो अस्चेरियो के नेतृत्व में किये गये एक अध्ययन से निष्कर्ष निकला है कि जो लोग महीने में दो या अधिक बार मछली का सवेन करते हैं उन्हें मछली नहीं खाने वालों की तुलना में दौरे पड़ने की आशंका लगभग आधी होती है।
इस अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि बार-बार मछली खाने के कोई अधिक फायदे नहीं है लेकिन महीने में कुछ बार मछली खाना फायदेमंद है। डा. अस्चेरियो का कहना है कि उन्होंने यह अध्ययन विशिष्ट किस्म की मछलियों पर नहीं किया लेकिन अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर कहा जा सकता है कि सामान्य तौर पर उपलब्ध मछलियांे का सेवन दौरे रोकने में सहायक है।
जर्नल आफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित इस अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार यह अध्ययन 43 हजार लोगों पर किया गया जिनकी उम्र सन् 1986 में अध्ययन शुरू होने के समय 40 से 75 वर्ष के बीच थी। कुल 12 वर्ष तक चले इस अध्ययन के दौरान पाया गया कि इनमें करीब 608 लोागों को दौरे पड़े जिनमें से 377 लोगों को रक्त धमनियों में रक्त के थक्के जमने और अवरोध उत्पन्न होने के कारण दौरे पड़े। रक्त धमनियों में रक्त के थक्के जमने या अवरोध उत्पन्न होने के कारण शरीर के प्रभावित भाग खास तौर पर मस्तिष्क में आॅक्सीजन की आपूर्ति अवरुद्ध हो जाती है। इस अध्ययन से पता चला कि जो लोग प्रत्येक माह मात्रा एक से पांच औंस मछली का सेवन करते हैं उन्हें दौरे पड़ने का खतरा 43 प्रतिशत कम हो जाता है। लेकिन जो लोग सप्ताह में पांच या अधिक बार मछली खाते हैं उनहें कम मछली खाने वालों की तुलना में कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता है। इस अध्ययन से यह भी निष्कर्ष निकला कि मछलियां खाने से हैमरेजिक (रक्तस्राव) स्ट्रोक का खतरा नहीं घटता है।
ब्रेन स्ट्रोक के बारे में बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में मस्तिष्क को होने वाली रक्त की आपूर्ति किसी रक्त धमनी के फट जाने, उसमें रक्त का थक्का बन जाने या कहीं से थक्का आ कर वहां फंस जाने, उसमें वसा या कोलेस्ट्रोल के जम जाने के कारण अवरुद्ध हो जाने के कारण मस्तिष्क का दौरा पड़ता है। मस्तिष्क के दौरे दो तरह के होते हंै। पहले तरह के दौरे में मस्तिष्क की रक्त नलियों में अवरोध आ जाने अथवा बंद हो जाने के कारण मस्तिष्क को होने वाले रक्त प्रवाह में रूकावट आ जाती है। दूसरे प्रकार के दौरे मस्तिष्क में रक्त स्राव (हैमरेजिक) होने से पड़ते हैं। ये जानलेवा भी हो सकते हैं।
दौरे से बचना है तो मछली खाइये
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