डायबिटीज टाइप 1 में इंसुलिन थेरेपी होती है कारगर

डायबिटीज के मरीज के खून में शर्करा की मात्रा अधिक बढ़ जाती है जिन्हें नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन थेरेपी दी जाती है। डायबिटीज 1 आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को अधिक होता है। 
डायबिटीज 1 में इंसुलिन थेरेपी कितनी कारगर 
डायबिटीज 1 में इंसुलिन थेरेपी कारगर मानी जाती है क्योंकि आमतौर पर डायबिटीज 1 के मरीजों में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है जिससे इस थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।
हालांकि आजकल इंसुलिन थेरेपी का विकसित रूप जीन थेरेपी आ गया है। जो कि डायबिटीज 1 में बंद होने वाले इंसुलिन को प्रभावशाली रूप में प्रभावित करता है।
जीन थेरेपी के द्वारा यदि डायबिटीज के रोगी के शरीर में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को स्वस्थ कोशिकाओं से बदल दिया जाये तो यह कारगर सिद्ध हो सकता है।
दरअसल, हर इंसान के शरीर में एक ऐसा हॉर्मोन बनता है जो खून में शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है लेकिन डायबिटीज के मरीजों के शरीर में ये हार्मोन काफी मात्रा में नहीं बन पाता, जिससे उन्हें काफी तकलीफ होने लगती है और उसका प्रभाव शरीर के कई हिस्सों में दिखलाई पड़ने लगता है।
व्यक्ति के शरीर में डायबिटीज के दौरान कम होने हार्मोंस को इंसुलिन थेरेपी द्वारा संतुलित किया जाता है।
दरअसल, इंसुलिन थेरेपी में एक ऐसा इंजेक्शन होता है जो कोशिकाओं को प्रभावित करता है। टाइप 1 डायबिटीज के अधिकतर मरीजों को इंसुलिन थेरेपी लंबे समय तक लेने की सलाह दी जाती है।
डायबिटीज के मरीज अपनी जीवनशैली सही करके और अपने खान-पान को संतुलित करके नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह पर इंसुलिन थेरेपी लेकर अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं।
हालांकि डॉक्टर इंसुलिन थेरेपी और जीन थेरेपी को आपातकालीन स्थितियों में ही उपयोग में लाते हैं। ऐसे में डायबिटीज 1 और लो ब्लड शुगर वाले मरीजों को चाहिए कि वे अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें जिससे आने वाले खतरे को आसानी से टाला जा सकें।