डायबिटीज रोगियों के लिए योग है फायदेमंद

डायबिटीज के लिए बाजार में कई दवाएं उपलब्ध हैं लेकिन इनसे डायबिटीज का स्थाई इलाज संभव नहीं है। योग से डायबिटीज ही नहीं कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। डायबिटीज के स्थाई उपचार के लिए योग ही एकमात्र उपाय है। नियमित रूप से योग करने से डायबिटीज को न सिर्फ नियंत्रित रखा जा सकता है बल्कि इससे छुटकारा भी पाया जा सकता है।
डायबिटीज के लिए योग
नियमित रूप से उत्तानपादासन, पवनमुक्तामसन, त्रिकोणासन, धनुरासन, मंडूकासन, पाद-हस्तासन, कपालभारती, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, मुद्रासन तथा ध्यान आदि योग करके मधुमेह से छुटकारा पाया जा सकता है।
सूर्य नमस्कार
डायबिटीज रोगियों के लिए यह योग सबसे आसान और लाभकारी है। इस योग को करने से शरीर में रक्त का संचार अच्छे से होता है। इस आसन को एक मिनट में 4 बार आराम-आराम से करना चाहिए।
प्राणायाम 
प्राणायाम 8 प्रकार का होता है जिसमें से भ्रामरी और भास्रिका प्राणायाम डायबिटीज के लिए ज्यादा लाभकारी होते हैं। भ्रामरी प्राणायाम करने से मन, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को फायदा होता है। भास्रिका प्राणायाम खून में ऑक्सीजन के स्तर को बढाता है और कार्बनडाइआक्साइड के स्तर को कम करता है। ज्यादा तेजी से सांस को अंदर-बाहर करना, गहरी सांस लेना अच्छे से सीखना चाहिए। ढइत 
मद्रासन
जमीन पर बैठकर दाएं हाथ की हथेली को पहले नाभि पर रखें और बाएं हाथ की हथेली को दाएं हाथ पर रखें। फिर सांस बाहर निकालते हुए आगे झुककर सामने की तरफ देखते हुए ठोढी को जमीन पर टिकाइए। सांस अंदर भरते हुए वापिस आइए। इस क्रिया को 4-5 बार दोहराएं।
मेडिटेशन 
ध्यान करने से तनाव कम होता है, दिमाग शांत और एकाग्रचित्त होता है। मेडिटेशन प्रतिदिन करने से इंसुलिन हार्मोन की अनियमितता ठीक होती है जो कि मधुमेह के रोगी के लिए बहुत जरूरी है।
सर्वांगासन
यह योग करने से गले के आसपास पाई जाने वाली थॉयराइड और पैराथाइराइड ग्रंथियों (मोटापा, प्रोटीन और कार्बोहाइडेट मेटाबोलिज्म के लिए उत्तरदायी ग्रंथियां) का व्यायाम हो जाता है। यह योग करने से ग्रंथियों में रक्तसंचार सुचारु हो जाता है। इस योग को करने के लिए आराम से किसी चटाई पर लेटकर दोनों हाथ फैला लीजिए, फिर धीरे-धीरे दोनों पैरों को उपर कीजिए, फिर हाथों से कमर को पकडकर पूरे शरीर को हवा में कीजिए और शरीर का पूरा भाग गर्दन पर हो जाने दीजिए। अपने पैरों को सीधा रखिए।
पश्चिमोत्सपना
इस आसन को करने के लिए अपने दोनों पैरों को सीधा रखिए, दोनों हाथों को उपर करके सांस बाहर निकालते हुए आगे की तरफ झुककर मुंह से टखनी को छुएं। यह आसन 2-3 बार दोहराएं। 
योग के दौरान यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सांस का क्रम क्या है। इसके लिए एक सामान्य सिद्धांत है कि जब हम योग के दौरान आगे की ओर झुकते हैं तब सांस बाहर निकालते हैं और जब पीछे की ओर झुकते हैं तब सांस लेते हैं। कोशिश यह होनी चाहिए की योग किसी प्रशिक्षक की देखरेख में किया जाए।