डायबिटीज ऐसा रोग है जिसमें ब्लड ग्लूकोज का स्तर सामान्य से ज्यादा हो जाता है। जिससे डायबिटीज रोगी को भोजन को ऊर्जा में बदलने में परेशानी होती है। सामान्यतः भोजन के बाद शरीर भोजन को ग्लूकोज में बदलता है जो रक्त कोशिकाओं के जरिये पूरे शरीर में जाता है। कोशिकाएं इंसुलिन का उपयोग करती है। यह एक हार्मोन है जो पेनक्रियाज में बनता है और ब्लड ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। आमतौर पर इसका पता लगाना मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण सामान्यतः स्वास्थ्य समस्याओं की तरह ही होते हैं। इसलिए, डायबिटीज का पता लगाना के लिए परीक्षण करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
डायबिटीज का पता लगाने के लिए किये जाने वाले टेस्ट
ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट
ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट को फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज (एफपीजी) भी कहते है। यह टेस्ट बिना कुछ खाये-पिये सुबह के वक्त किया जाता है। टेस्ट से पहले फास्टिंग से ब्लड शुगर का सही स्तर पता करने में मदद मिलती है। यह टेस्ट बहुत ही सटीक, सस्ता और सुविधाजनक होता है। ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट प्री डायबिटीज और डायबिटीज का पता लगाने का सबसे लोकप्रिय टेस्ट है।
ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट
ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट को ओजीटीटी के नाम से भी जाना जाता है। इस टेस्ट से पहले करीब 2 घंटे पहले करीब 75 ग्राम एनहाइड्रस ग्लुकोज को पानी में मिला कर पीना होता है तभी शुगर के सही स्तर की जांच की जा सकती है। यह टेस्ट ऐसे व्यक्ति को कराने के लिए कहा जाता है जिसको डायबिटीज का संदेह तो होता है परन्तु उसका एफपीजी टेस्ट ब्लड शुगर के स्तर को नॉर्मल दर्शाता है। ओजीटीटी टेस्ट करने के लिए कम से कम 8 से 12 घंटे पहले कुछ नही खाना होता है।
ए 1 सी टेस्ट
ए 1 सी टेस्ट डायबिटीज के दैनिक उतार-चढ़ाव न दिखाकर, पिछले दो से तीन महीनों के अन्दर होने वाले ब्लड शुगर की औसत राशि के बारे में बताता है। यह हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़ी ग्लूकोज की मात्रा को भी नापता है। आमतौर पर टाइप 1 मधुमेह या गर्भावधि मधुमेह के लिए ए 1 सी टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, प्री डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज का पता लगाने के लिए इस टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। यह ट्रेडिशनल ग्लूकोज टेस्ट की तुलना में रोगियों के लिए अधिक सुविधाजनक होता है क्योंकि इसमें फास्टिंग की जरूरत नही होती है। इस टेस्ट को दिन में किसी भी समय किया जा सकता है।
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज (आरपीजी) टेस्ट का प्रयोग कभी कभी एक नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान पूर्व मधुमेह या मधुमेह का निदान करने के लिए किया जाता है। अगर आरपीजी 200 लिटर का दशमांश प्रति माइक्रोग्राम या उससे ऊपर दिखाता है और व्यक्ति में मधुमेह के लक्षणों का पता चलता है, तो चिकित्सक डायबिटीज का पता लगाने के लिए अन्य टेस्ट करता है।