चेहरे की त्वचा गोरी हो या सांवली, एक सी रंगत की दिखाई देने पर ही सुंदर लगती है। चेहरे की रंगत कहीं अधिक गहरी तो कहीं हल्की होने पर चेहरे की सुंदरता तो कम होती ही है, त्वचा पर महीन सलवटें भी आ जाती हैं। इसे आम भाषा में झाइयां या पिगमेंटेशन कहा जाता है।
झाइयां आम तौर पर चेहरे की त्वचा खासकर गालों और कनपटी के आसपास ही अधिक होती हैं। झाइयों के कारण न तो त्वचा की सतह में बदलाव आता है और न ही संवेदना प्रभावित होती है। इसे छूने पर भी त्वचा में कोई परिवर्तन महसूस नहीं होता है सिर्फ त्वचा के रंग में ही परिवर्तन आता है और इसका रंग गहरा कत्थई हो जाता है। लंबे समय तक झाइयां रहने पर त्वचा पर झुर्रियां आ जाती हैं। झाइयों का आकार और रंग हमेशा एक समान नहीं रहता। उसका रंग हल्का और गहरा होता रहता है तथा दागों का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है।
झाइयां होने का कारण त्वचा में मेलानिन का अधिक बनना है। त्वचा की ऊपरी परत 'एपिडर्मिस' में रंग देने वाली कोशिकाएं होती हैं जो मेलानिन नामक रंग देने वाले पदार्थ का निर्माण करती हैं। मेलानिन सूर्य की किरणों से त्वचा का बचाव करती है। इसकी मौजूदगी से धूप की तेज किरणें त्वचा को झुलसा नहीं पाती। लेकिन रंग देने वाली इन कोशिकाओं की क्रियाशीलता में कमी आने पर त्वचा धूप से झुलस जाती है। गोरे लोगों खासकर विदेशी गोरे लोगों में 'सन बर्न' होने का मुख्य कारण उनकी त्वचा में इन कोशिकाओं की क्रियाशीलता की कमी होना होता है।
रक्त की कमी के कारण भी झाइयां हो सकती हैं क्योंकि त्वचा के भीतर स्थित रंग देने वाली कोशिकाओं का पोषण पतली रक्त नलिकाओं के द्वारा ही होता है। इसलिए प्रसव, मधुमेह, हृदय रोग और गर्भपात जैसे रोगों में रक्त की कमी होने पर झाइयां हो जाती हैं। कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों के लंबे समय तक इस्तेमाल से भी झाइयां हो सकती हैं। हेयर डाई, ब्लीच, सस्ते रूज, फाउंडेशन आदि भी झाइयां बनने का कारण बन सकते हैं।
कुछ महिलाएं झाइयों से मुक्ति पाने के लिए ब्लीच करवाती हैं। ब्लीच कराने से झाइयों के दागों में कुछ समय के लिए परिवर्तन दिखाई पड़ता है, लेकिन वास्तविकता में ब्लीच के कारण त्वचा सूर्य की पराबैंगनी (अल्ट्रावायलेट) किरणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं जिसके कारण झाइयां और अधिक गहरी हो जाती हैं। ब्लीच से तो केवल यह कुछ दिनों के लिए छिप जाती हैं।
झाइयां अधिक पुरानी होने पर अधिक गहरी हो जाती हैं और इनका इलाज भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए झाइयों का उपचार जितनी जल्दी संभव हो, करना चाहिए। इसका इलाज किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ या सौंदर्य चिकित्सक से ही कराना चाहिए। हालांकि घरेलू उपचार से भी इस पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है। झाइयां होने पर निम्न बातों पर अमल करने से इन्हें बढ़ने से रोका जा सकता है।
- झाइयां होने पर रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा की जांच कराएं। रक्त में हीमोग्लोबिन कम होने पर अधिक आयरन वाले खाद्य पदार्थ लें।
- त्वचा को धूप से बचाएं। धूप में बाहर निकलते समय 'सन स्क्रीन' क्रीम या छतरी का प्रयोग करें।
- झाइयां वाले स्थान पर कोई पुरानी या सस्ती सौंदर्य सामग्री का इस्तेमाल न .करें। झाइयां होने से पहले उस स्थान पर जिस सौंदर्य प्रसाधन का इस्तेमाल करती थीं, उसे अच्छी तरह से जांच करने के बाद ही प्रयोग में लाएं।
- अगर हेयर डाई का प्रयोग करती हों तो डाई लगाने के एक-दो दिन बाद बालों में मेंहदी या अंडों का लेप लगायें ताकि बालों पर रसायन के दुष्प्रभाव कम हों।
- चेहरे की ब्लीचिंग नहीं करायें। आवश्यकता पड़ने पर किसी सौंदर्य विशेषज्ञ से ही ब्लीच करायें।
- रात को सोने से पहले रूई में क्लीजिंग मिल्क या क्रीम लगाकर त्वचा की सफाई करें।